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गजल:जा पहुंचा चांद पर मैं जिसे पूजता रहा..... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-इक़बाल हिंदुस्तानी माली ख़फ़ा ना हो कहीं ये सोचता रहा, लुटता हुआ मैं अपना चमन देखता रहा। दुश्मन की ज़द से खुद को बचाना था इसलिये, मैं अपने रक्षकों की तरफ़ देखता रहा। हसरत भरी निगाह से मौक़ा दिया मगर, अफ़सोस कुछ किया नहीं वो देखता रहा। …