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गजल:गीत ज़िन्दगी के हम गुनगुनाते रहे-हिमकर श्याम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
जहां तक हुआ खुद को बहलाते रहे गीत ज़िन्दगी के हम गुनगुनाते रहे छूटती रही ख़ुशियों की डोर हाथों से वक़्त हमें, हम उसे आजमाते रहे राहों में न सही हौसलों में दम है बस क़दम दर क़दम हम उठाते रहे आरज़ू थी जो दिल की रह…