खेल कूद कर जब घर आये गलफ़ुल्ले,
अम्मा बापू पर चिल्लाये गलफ़ुल्ले |
अम्मा ने तो केवल इतना बोला था,
दस दिन से क्यों नहीं नहाये गलफ़ुल्ले |
बापू भी तो पूछ रहे थे बस इतना
घर क्यों बहुत देर से आये गलफ़ुल्ले |
दादाजी ने जब गुस्से से डांटा तो,
बोल नहीं कुछ भी थे पाये गलफ़ुल्ले |
दादी जी ने बड़े प्रेम से समझाया |
गर्दन झुका बहुत शर्माए गलफ़ुल्ले |
अम्मा बापू के चरणों में शीश रखा,
अपनी गलती पर पछताए गलफ़ुल्ले |
(2)
बहुत जोर से भूख लगी है
गप्पड़ -गप्पड़ सत्तर अस्सी ,
खाए समोसे खड़े -खड़े |
तीस गिलास पिएंगे लस्सी ,
इसी बात पर अड़े खड़े |
लस्सी पीकर पहुँच गए थे,
एक पुराने होटल में |
चार बड़े मुर्गे फटकारे ,
बस केवल कुछ ही पल में |
फिर बोले मित्रों से अपने ,
अब हम घर को जायेंगे |
बहुत जोर से भूख लगी है,
जाकर खाना खाएंगे |
–प्रभुदयाल श्रीवास्तव