मुहोब्बत की भला इससे बड़ी सौगात क्या होगी
जला कर घर खड़ा हूँ मै यहाँ अब रात क्या होगी ||
गुनाहों में गिना जाने लगा दीदार करना अब
हसीनो के लिए इससे बड़ी खैरात क्या होगी ||
सुबह से शाम तक देखे कई पतझड़ दरीचे में
गरजते बादलों की रात है बरसात क्या होगी ||
जरा नजरें मिलाकर बोल दे तू दोस्त है मेरा
बिना जाने तुझे ऐ दोस्त दिल की बात क्या होगी ||
मुझे दुःख है तुम्हारे घर बड़े हैं दिल बिकाऊ हैं
मुझे दिल से समझने की तेरी औकात क्या होगी ||
जलाते हैं बिना कारण किसी का घर किसी का दर
सियासत दार चिलायें धरम क्या जात क्या होगी||
पसीना खून का करके पिता ने बेटियां ब्याही
जहाँ दूल्हे बिकाऊ हों वहां बारात क्या होगी ||
अकेला खेलता शतरंज है जो बंद कमरे में
उसे शै क्या हराएगी , बिशात-ए-मात क्या होगी ||…मनोज नौटियाल
मुझे दुःख है तुम्हारे घर बड़े हैं दिल बिकाऊ हैं
मुझे दिल से समझने की तेरी औकात क्या होगी ||
फिर कैसा गिला, कैसा शिकवा.बिकनेवालों का कोई ईमान नहीं होता.अच्छी प्रस्तुति