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जय हो बाजार की! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डिस्काउंटों से भरे बाजारों , अखबारों में अखबारों से बड़े छपे विज्ञापनों को देख अब मुझे भीतर ही भीतर अहसास हो गया है कि हे राम ! तुम बनवास काट, घर के भेदी से लंका ढहवा अयोध्या की ओर लखन, सीता सहित कूच कर गए हो। और हम खालिस मध्यमवर्गीय…