ताज महल और हालात्-ए-आगरा

marketडा. राधेश्याम द्विवेदी ‘नवीन
बेगम मुमताज की याद में , ताजमहल बनवाया गया।
देश विदेश के कारीगरों को , आगरा में बुलवाया गया।
मकराने के संगमरमर को ,बाहर बाहर चिनवाया गया।
वेशकीमती पत्थरों को , खूबियों से जड़वाया गया ।।1।।
धूल गैस जहरीली हवायें , संगमरमर पीला करती हैं।
इनसे बचने के खातिर ,गैर उद्योग जोन यहाॅ बनती हैं।
ताज ट्रिपेजियम क्षेत्र के, कल कारखाने बन्द होते हैं।
श्रमिकों और कारीगरों को , रोटी के लाले पड़ते है।।2।।
कोयलाधारित विजलीघर , रेलवे इन्जन सब बन्द हुए।
चिमनियां खड़ी की खड़ी रही, उत्पादन सब ठप्प हूए ।
ईटों के भट्ठे इस क्षेत्र से , पूर्णरुपेण अब बन्द हुए।
सुर्खी चूने का व्यापार भी , एक तरह से खत्म हुए ।।3।।
कुम्हारी कला के बरतन अब, दिखते नहीं बाजारों में।
घड़े सुराही मटके भी अब, मिलते नहीं बाजारों में ।
पूजा की मूुर्तियां खिलौने , बिकते नहीं बाजारों में।
चाइना की बनी चीजें ही , मिलते खूब बाजारों में ।।4।।
रद्दी कागज के लिफाफे , मिलते नहीं बाजारों में ।
पोलिथीन ने कब्जाकर लिया , शहर और बाजारों में।
लकड़ी के सामान भी अब, लुप्त हो रहे बाजारों में ।
लोहा प्रचलन कम हुआ, प्लास्टिक पट गया बाजारों में।।5।।

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