'हेलो बस्तर' को पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
कौशलेन्द्र “हेलो बस्तर” [राहुल पंडिता की पुस्तक पर एक विमर्श] ‘हैलो बस्तर’ की एकांगी समीक्षा की है राजीव रंजन प्रसाद ने सत्य का गला घोट दिया है राहुल पंडिता ने १- भूमकाल से माओवादी संघर्ष की तुलना नहीं की जा सकती. दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है. दोनों के उद्देश्यों…