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हसना झूठी बातों पर - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
नयनों में छायी तृष्णा, सूनापन मन के जज्बातों पर, धीरे-धीरे सीख गये हम, हसना झूठी बातों पर, कपट भरी इस दुनिया में, रिश्तों को बटते देखा हमने, प्रेम की माला का मोती, एक-एक कर झरते देखा हमने, कल तक जो सब अपने थे, वो आज बेगाने लगते हैं, प्यार भी…