हरिशंकर परसाई : उत्पीड़ित शोषित अवाम की आवाज - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
एम.एम. चन्द्रा हिंदी साहित्य में गंभीर और प्रतिबद्ध व्यंग्य लेखन कबीर, भारतेन्दु, बालमुकुन्द गुप्त की एक लम्बी परम्परा रही है. परसाई के समय में गंभीर साहित्यिक व्यंग्य रचना नहीं हो रही थी, साहित्य की इस धारा को साहित्यिक समाज में शूद्र यानि पिछड़ी व हल्की रचना समझा जाने लगा था…