विजय कुमार
अभी सुबह ठीक से हुई भी नहीं थी। प्रातःकालीन चाय का तीसरा कप मेरे हाथ में था कि शर्मा जी टपक पड़े। उनके एक हाथ में मिठाई का डिब्बा और दूसरे में बहुत भारी माला थी। कलफदार धुले हुए कपड़े पहने शर्मा जी के चेहरे से प्रसन्नता ऐसे फूट रही थी, मानो बिना बेटे की शादी के ही पोते का मुंह देख लिया हो।
– लो वर्मा, जरा ठीक से मुंह मीठा करो।
– शर्मा जी, ठीक से मुंह मीठा कैसे होता है ?
– मुंह मीठा तो एक ही लड्डू से हो जाता है; पर ठीक से तब होता है, जब पेट भर के मिठाई खाई या खिलाई जाए।
– लेकिन मिठाई का कारण तो बताइये; और ये इतनी भारी माला लेकर कहां जा रहे हो ?
– तुम कैसे घोंचू हो वर्मा। दिन भर अखबार चाटते रहते हो, फिर भी कहते हो कारण बताओ।
– चलो मैंने अपनी भूल मानी; पर अब तो बता दो।
– तो सुनो, अब भारत के बुरे दिन समाप्त होने वाले हैं। तुमने वो गाना सुना होगा, ‘‘दुख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे’’।
– हां सुना तो है।
– बस तो फिर। सब अखबारों में लिखा है कि राहुल भैया पार्टी और सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार हैं। मैं यह माला उन्हें ही पहनाने जा रहा हूं।
– पर यह भूमिका तो वे कई साल से निभा रहे हैं। कांग्रेस में वे महासचिव और युवा कांग्रेस के प्रभारी हैं। सरकार को भी वे जब कुछ कहते हैं, तो पूरी सरकार घुटनों पर बैठकर उसे मान लेती है।
– पर अब उन्होंने सक्रिय होने का निर्णय कर लिया है।
– मैंने तो सुना है शर्मा जी कि वे बिहार चुनाव के समय खूब सक्रिय हुए थे। इसका परिणाम यह हुआ कि विधायकों की संख्या तेरह से घटकर चार रह गयी। फिर वे उत्तर प्रदेश के चुनावों में सक्रिय हुए, तो वहां भी कांग्रेस चौथे नंबर पर पहुंच गयी। यही हाल पंजाब में हुआ। इसलिए लोग उन्हें चुनाव प्रचार में बुलाने से भी डरने लगे हैं।
– तुम जले पर नमक मत छिड़को वर्मा। उ0प्र0 में हार का कारण हमारी परम आदरणीय अध्यक्ष जी ने बता ही दिया है कि वहां नेता अधिक थे और कार्यकर्ता कम। ऐसे में राहुल भैया क्या करते ?
– पर पिछले तीन साल से तुम्हारे राहुल भैया यूथ कांग्रेस और कांग्रेस संगठन को चाक-चौबन्द करने के लिए पूरे देश में धक्के खा रहे थे। फिर नये कार्यकर्ता क्यों खड़े नहीं हुए ?
– यह तुम नहीं समझोगे; पर अब सब ठीक हो जाएगा, क्योंकि राहुल भैया ने तय कर लिया है कि..।
– उन्होंने यही तो तय किया है कि उनकी माताश्री और मनमोहन जी जब चाहे तब उन्हें काम दे सकते हैं।
– यह तो उनकी विनम्रता और बड़प्पन है। वरना वे तो जब चाहें, तब प्रधानमंत्री बन सकते थे।
– तो फिर बने क्यों नहीं ?
– उन्होंने कहा ही है कि इसका निर्णय प्रधानमंत्री जी को करना है।
– पर शर्मा जी, यदि प्रधानमंत्री निर्णय करने लायक होते, तो देश की यह हालत क्यों होती ? उनके नाम के पीछे भले ही सिंह लगा हो; पर वे पिंजरे के उस सिंह की तरह हैं, जो अपने मालिक के हंटर की आवाज सुनकर दुब दबा लेता है। फिर वह वही करता है, जो मालिक कहता है। उसके इशारे पर वह रस्सी पर चलता है और कलाबाजी भी खाता है।
– तुम बेकार की बात कर रहे हो। मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व में सरकार बहुत सफलतापूर्वक काम कर रही है।
– हां, इसीलिए तो सैकड़ों प्रस्ताव रुके हुए हैं। कोई लोकसभा में फंसा है, तो कोई राज्यसभा में। कोई संसदीय समिति में अटका है, तो कोई मंत्रिमंडलीय समिति में। कुछ पर मैडम राजी नहीं हैं, तो कुछ पर मंत्रीगण। ‘हर मर्ज में अमलतास’ की तरह एक संकटमोचन बाबा थे, वे राष्ट्रपति भवन चले गये। ये बात दूसरी है कि सारे संकट अब भी जस के तस विद्यमान हैं। इसलिए जो थोड़ा बहुत काम होता था, अब वह भी नहीं होगा।
– यह तुम्हारे जैसे निराशावादी लोगों की सोच है वर्मा। अब काम बहुत तेजी से होगा, क्योंकि राहुल भैया पार्टी और सरकार में सक्रिय होने वाले हैं।
– लेकिन शर्मा जी, उनकी पार्टी में अब तक की सक्रियता से तो पार्टी का बंटाधार हो गया है। अब यदि सरकार में भी आ गये, तो फिर देश का भगवान ही मालिक है।
– जी नहीं। उनके आने से मैडम और प्रधानमंत्री जी को सहारा मिलेगा। ये तीनों मिलकर इतना काम करेंगे कि लोग देखते रहे जाएंगे।
– सच तो यह है वर्मा जी कि शून्य दो हों या तीन, वे मिलकर भी शून्य ही रहते हैं। देश का भला तब होगा, जब ये तीनों काम से मुक्ति ले लेंगे। वैसे जनता भी इन्हें छुट्टी देने को तैयार है। अभी तो हालत यह है कि ये न खुद कुछ करते हैं और न दूसरों को करने देते हैं। इनके हटने से कांग्रेस में भी जो अच्छे लोग हैं, वे आगे आएंगे और विपक्ष में तो एक से एक योग्य और समर्थ लोग हैं।
– तुम चाहे जो कहो; पर मैं राहुल भैया को माला जरूर पहनाऊंगा।
– साथ में मेरी तरफ से यह भी कह देना कि जिन्दाबाद करने वाले स्वार्थी लोगों के हाथ से बहुत मालाएं पहन लीं। अब किसी भारतीय सुकन्या के हाथ से पावन वेदमंत्रों के बीच विधि-विधान से जयमाला पहन लें। इससे उनका भी भला होगा और देश का भी।
शर्मा जी ने मुंह तिरछा किया और पलट कर घर को चल दिये।
अच्छा लगा.
सुरेश महेश्वरी
इतनी सुबह सुबह ३ कप चाय पीयेंगे तो कब्जियत हो जाएगी विजय जी, ऊपर से आप सोनिया बिस्कुट भी खा रहे हो. हा हा हा हा … सादर