डॉ.वेदप्रताप वैदिक
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री के लिए कह दिया कि वे कोरी हवाबाजी कर रहे हैं। उन्होंने जो चुनावी वादे किए, उन्हें वे भूल गए हैं। वे कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए सारे अच्छे कामों को मटियामेट कर रहे हैं। वे जवाहर लाल नेहरु की विरासत को ठिकाने लगा रहे हैं। वे संघ के ‘एजेंडा’ को लागू कर रहे हैं।
इसमें शक नहीं कि मोदी अभी तक अपने खास-खास चुनावी वादों को ठोस रुप नहीं दे सके हैं लेकिन क्या इसके लिए सवा साल का समय थोड़ा नहीं होता? इतने कम समय में इतने बड़े देश की समस्याओं को हल करना तो दूर की बात है, यदि कोई नेता उन्हें ठीक से समझ ही ले तो यह बड़ी बात है। जहां तक मोदी का सवाल है, वे तो मूलतः स्वयंसेवक हैं। वे अन्य नेताओं की तरह जमीनी राजनीति से कभी जुड़े नहीं। अचानक वे गुजरात के मुख्यमंत्री बना दिए गए। वे केंद्र सरकार में कभी रहे नहीं। इसीलिए वे राष्ट्रीय राजनीति को समझने में कुछ समय लगा रहे हैं तो इसमें बहुत आश्चर्य नहीं होना चाहिए। पिछले सवा साल में ऐसे उदाहरण नगण्य ही हैं, जो यह सिद्ध करें कि यह सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है या किसी नीतिगत मामले पर कोई भयंकर मूर्खतापूर्ण फैसला ले रही है। उसने दो काफी अटपटे फैसले किए थे। एक तो भूमि-अधिग्रहण का और दूसरा, हुर्रियत के बहाने पाकिस्तान से वार्ताभंग का! इन दोनों फैसलों को उसने रद्द कर दिया। यह उसका लचीलापन ही माना जाएगा। इससे यह धारणा भी निर्मूल हुई कि मोदी अड़ियल और अहंकारी है। यदि मोदी सरकार मनरेगा, जीएसटी, भूमि-अधिग्रहण आदि में कुछ संशोधन-परिवर्द्धन लाई है और वे अनुचित लगते हैं तो उनका विरोध तो उचित है लेकिन उसे सिर्फ हवाबाजी कहना कहां तक उचित है? इसमें शक नहीं कि मोदी सरकार ने हर कार्यक्रम को नौटंकी का रुप देने की भरसक कोशिश की है। इसीलिए लोग उन्हें पीएम की बजाय ईएम (ईवेन्ट मेनेजर) कहने लगे हैं लेकिन कौन सरकार नहीं चाहती कि उसका जबर्दस्त प्रचार हो। लोकतंत्र में तो इससे बचा नहीं जा सकता। मोदी को हवाबाज कहनेवाली सोनियाजी को सोचना चाहिए कि आज पूरी कांग्रेस ही हवाबाजी होकर रह गई है। वह सिर्फ मां-बेटा पार्टी बनकर रह गई है। यदि भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही हवाबाज सिद्ध हो गई तो भला, इस देश का क्या होगा?