डॉ कुलदीप चन्द अग्निहोत्री
देश के अनेक हिस्सों में पिछले कुछ दशकों से मंदिरों-मठों और साधु-संतों पर अनेक प्रकार से प्रहार हो रहे हैं । भारतीय जनता की आस्था के केन्द्र मन्दिर मठों को बदनाम करने की कोशिश हो रही है और जाने-माने साधु-संतों को लांछित किया जा रहा है । कुछ साल पहले कांची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य को कांग्रेस शासित आंध्रप्रदेश से आधी रात को हत्या के एक तथाकथित मामले में गिरफ्तार ही नहीं किया गया बल्किं बाद में मीडिया के एक वर्ग की सहायता से उनके चरित्र पर लांछन लगाने का प्रयास भी किया गया । दो साल पहले उड़िशा के कंधमाल जिले में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की चर्च के आतंकवादियों ने जन्माष्टमी के दिन उनके आश्रम में ही हत्या कर दी थी । उससे कुछ अरसा पहले त्रिपुरा में चर्च के आतंकवादियों ने शांति कालीजी महाराज के आश्रम में घुस कर उनकी हत्या की थी । पिछले दिनों भारत सरकार की जांच एजेंसियां आतंकवादियों द्वारा किये गये बम विस्फोटों में श्री रविशंकर महाराज जी का नाम भी उछाल रही थी । हिन्दु आस्था के इन प्रतीकों को लांछित करने का एक विश्वव्यापी षडयंत्र है जिसमें चर्च के साथ साथ मध्य एशिया और पाकिस्तान से धन प्राप्त करने वाले इस्लामी आतंकवादी संगठन भी शामिल हो चुके हैं । कांग्रेस पर जब से सोनिया गांधी का कब्जा हुआ है तब से लगता है हिन्दु प्रतीकों पर आक्रमण करने में सोनिया कांग्रेस और चर्च आपस में मिल गये हैं । सौभाग्य से हिमाचल प्रदेश इस त्रिमूर्ति के इन षडयंत्रों से बचा हुआ था ,परन्तु लगता है कि अब इन शक्तियों ने इस शांत प्रदेश को भी अपने निशाने पर ले लिया है ।
कांगड़ा और ऊना के सीमांत पर किन्नु के स्थान पर स्थित सप्त देवी मंदिर आश्रम और वहाँ के स्वामी महंत सूर्यनाथ पर जानलेवा आक्रमण इसकी शुरूआत के संकेत हैं । गोरखपंथ सम्प्रदाय के महंत सूर्यनाथ का हिमाचल प्रदेश में काफी प्रभाव है । वे केवल मठ के भीतर सिमट कर रहने वाले महंत नहीं है बल्कि हिमाचल प्रदेश के सामान्य जन के समाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए है । सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उनका अच्छा खासा योगदान है । पिछड़ी और अनुसूचित जातियों के उत्थान के लिए वे कर्मशील रहते हैं । जाहिर है इस आश्रम के इस प्रकार के क्रियाकलापों से उन लोगों को चिन्ता होती जो पंथनिरपेक्षता की आड़ में इस देश की पहचान को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं । मुस्लिम सम्प्रदाय के कुछ भटके हुए लोग सप्त देवी आश्रम को पहले भी अपना निशाना बना चुके हैं । हिमाचल प्रदेश में इस्लाम को मानने वाला सम्प्रदाय प्रदेश के समाज से एक प्रकार से समरस हो चुका है । ये लोग वस्तुतः यहां के स्थानीय लोग ही हैं जिन्होंने कभी मुगलकाल में अनेक कारणों से अपनी पूजा पद्वति बदल ली थी परन्तु इन्होंने अपना सामाजिक परिवेश नहीं बदला था । यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में मुसलमानों को लेकर कभी तनाव की स्थिति पैदा नहीं हुई और हिन्दु-मुसलमान का सम्बन्ध घी-शक्कर की तरह ही रहा । परन्तु इधर जब से देश में इस्लामी आतंकवाद और जिहाद का प्रभाव बढ़ा है तब से उसका अपशकुन हिमाचल में भी देखने में आ रहा है । पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले मुल्ला मौलवियों का दखल हिमाचल प्रदेश में भी बढ़ा है और ये मुल्ला मौलवी प्रदेश के मुसलमानों और अन्य लोगों में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही समरसता में दरारे डाल कर मुसलमानों में अलग पहचान और अलगाव के बीज बो रहे हैं । अनेक स्थानों पर मुस्लिम सम्प्रदाय की युवा पीढ़ी इन मौलवियों की उन्मादकारी जहर का शिकार भी हो रही है ।
पिछले दिनों सप्त देवी आश्रम के महंत सूर्यनाथ जी पर किया गया आक्रमण इस प्रवृति का ताजा उदाहरण है । कुछ लोग आश्रम की संपत्ति पर अवैध कब्जा करने का प्रयास कर रहे थे । उन लोगों ने महंत सूर्यनाथ पर जानलेवा आक्रमण ही नहीं किया बल्कि उनका चरित्र हनन करने का प्रयास भी किया । सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि आक्रमणकारियों के हौसले इतने बढ़े हुए थे कि उन्होंने सम्पत्ति स्थल पर महंत जी से मारपीट करने के बाद उन पर न्यायलय परिसर में भी आक्रमण किया । शुरू में ऐसा समझा गया कि शायद यह केवल आश्रम की संपत्ति को हथियाने का भौतिकवादी मामला ही था । परन्तु प्रदेश के लोग तब सकते में रह गये जब कुछ दिनों बाद कांग्रेस और मुसलमानों ने मिलकर महंत सूर्यनाथ जी के खिलाफ बार-बार प्रदर्शन कर उनके चरित्र हनन का प्रयास किया । कुछ स्थानों पर तो कांग्रेस के एक विधायक ही इसका नेत्तृव करते हुए सामने आ गये । वोटों के लालच में देश भर में सोनिया कांग्रेस मुस्लिम संगठनों के साथ तालमेल बिठाने और उनके साथ समझौता करने के प्रयासों में लगी हुई है । केरल में तो सत्ता प्राप्ति के लिए कांग्रेस लंबे अरसे से मुस्लिम लीग के साथ सम्बन्ध बनाये हुए है । केन्द्र में भी कांग्रेस की सरकार को मुस्लिम लीग का समर्थन प्राप्त है । इन सम्बन्धों को और पुख्ता करने के लिए मंदिर-मठों और साधु-संतों को आक्रमण का निशाना बनाया जायेगा ऐसा किसी ने सोचा नहीं था । खास कर हिमाचल प्रदेश जैसा शांत क्षेत्र और देवभूमि कांग्रेस और मुस्लिम संस्थाओं के इस नये प्रयोग का अखाड़ा बनेगी – इसकी कल्पना करना मुश्किल था । परन्तु राजनीति जो न करवाये सो थोड़ा । हो सकता है इस षडयंत्र में प्रशासन के कुछ लोग भी भागीदार हों , अन्यथा महंत सूर्यनाथ जी पर प्रशासकीय भवन में ही आक्रमण संभव नहीं था ।
हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस बात की पुख्ता जांच की जाये की प्रदेश में मठ-मंदिरों की संपत्ति को हथियाने और साधु-संतों को लांछित करने का अभियान चलाने के पीछे कौन सी शक्तियां हैं । प्रदेश में मुल्ला- मौलवियों को जहर फैलाने के लिए और मुसलमानों में अलगाव की भावना पैदा करने के लिए वित्तीय सहायता कौन दे रहा है अभी पिछले दिनों हिमाचल से आईएसआई के कुछ एजेंट भी पकड़े गये थे । क्या आइएसआई इन एजेंटों के माध्यम से प्रदेश के मुसलमानों में अपने स्वार्थों के लिए पैठ तो नहीं बना रही । महंत सूर्यनाथ पर जानलेवा आक्रमण को साधारण घटना न मानकर इसके पीछे के षडयंत्र की जांच सरकार को करवानी चाहिए, अन्यथा प्रदेश का वातावरण विषाक्त होगा ।
सिंह साहब मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता हूँ, मेरे भी मित्रों और सम्बन्धियों के बच्चे ऐसे ही विद्यालयों में शिक्षा ले रहे है बड़े बड़े पैकेजों पर नौकरियां कर रहे हैं मेरा तो बस इतना कहना हैं की इन सब के बाद भी देश के प्रति समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी तो समझना चाहिए, ज्यादा कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम समाचार पत्रों में “आपके पात्र” में अपनी भावनाएं तो व्यक्त कर सकते हैं, तुष्टिकरण में लिप्त पार्टियों के खिलाफ वोट तो डाल सकते हैं, आप भले ही आँख मूंदे बैठे रहे लेकिन यह जनगणना पूरी होने दीजिये, हम लोग यह मानकर चल रहे हैं ना की अभी मुस्लिम जनसंख्या 17 % है अगर यह 25 % से ऊपर ना निकले तब मैं मान लूंगा की आप सही हैं और में गलत, कम से कम अगर हमलोग सरकार पर यह दबाव डाल सके की परिवार नियोजन सबके लिए कडाई से लागू किया जाए जैसा की चीन में हो रहा है तभी हमारी भावी संताने सुखी रह सकेंगी और वे लोग भी. मिस्त्र की क्रान्ति को कम से कम में विश्व युद्ध का आगाज़ समझ रहा हूँ और क्यों समझ रहा हूँ यह आपको केवल ७-८ महीनों में समझ में आ जाएगा.
अजित भोसले जी आप हिन्दू युवाओं से क्या चाहते हैं?क्या आप चाहते हैं की हिन्दू युवा अपने सब कार्य छोड़ कर इन तथाकथित संतों महंतों की सेवा में लग जाएँ या उनको बचाने की जिम्मेवारी ले ले ?या फिर आतंक वादी बन जाएँ? अपनी आजीविका के लिए किसी कंपनी में नौकरी करना गुनाह है क्या?हिमाचल में जिसकी सरकार है यह उसकी जिम्मेवारी है की क़ानून व्यवस्था बनाए रखे और लोगों को उत्पात न मचाने दे.रह गयी कान्वेंट में शिक्षा पाने से ही हिंदुत्व को भुलाने की बात,तो एक तो ऐसा होता नहीं.अगर होता है तो माता पिता के संस्कार को दोष दिया जाना चाहिए न की कवेंट की शिक्षा को?एक बात याद रखिये की इस तरह की उत्तेजक बयानवाजी के किसी को भी लाभ नहीं होता.
बहुत खूब, अब तो शब्दों का भी अंत हो चुका है तथाकथित बहुसंख्यक हिन्दू समाज को कोसने के लिए ना जाने हम लोग किस राख के बने हुए हैं (मिटटी के बने हुए कहना मिटटी जैसी पवित्र वस्तू का अपमान करना है) समझ ही नहीं रहे की बाहरी दुश्मन तो जाने कब हमला करेंगे अन्दर तो हमले कब के शुरू हो चुके है, और अब तो ये हमले भीषण रूप ले चुके हैं, दरअसल हिन्दू युवाओं की सोच इतनी कुंद हो चुकी है की उनका दिमाग मल्टी नेशनल कंपनियों में नोकरी करने या बड़े-बड़े पैकेज पर काम करने के अलावा कुछ सोचता ही नहीं कॉन्वेंट में शिक्षा लेने के बाद शायद इन लोगो की दिमागी कूवत भी समाप्त हो जाती है की वह अपने धर्म की समाज की थोड़ी सी भी भलाई सोच सके, बहुत दुःख होता है यह सब देखकर साथ ही यह भी आश्चर्य होता है की मुसलमान और इसाई चाहे कितने भी पढ़ लिख जाए पर धर्म के प्रति उनकी प्रतिबधता आश्चर्य जनक है समझ में नहीं आ रहा की हिन्दुओं में नपुंसकता आखिर क्यों पनप रही है और बढ़ती ही जा रही है.