’’हिन्दी पर गर्व करो, और हिन्दी को अभियान दो’’
इंटरनेट के जरिए विश्व पटल पर राज करती हिन्दी
हिन्दी आधारित ई व एम तंत्र के जरिए सूचना का लोकतंत्रीकरण
डिजिटल खाई को पाटने में हिन्दी का सर्वाधिक योगदान
आज भारत में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के कारण हिन्दी पर गर्व करो, और हिन्दी को अभियान दो की जरूरत है। देश में सामाजिक, आर्थिक विकास की क्रांति लाने में तथा डिजिटल खाई को पाटने में सर्वाधिक योगदान हिन्दी का ही है। हिन्दी को विश्व व्यापी बनाने तथा जन-जन की भाषा बनाने की दिशा में व्यापक पैमाने पर कारगर ढ़ंग से यदि किसी का योगदान है तो वह है हिन्दी आधारित ई और एम तंत्र।
कुल मिलाकर संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी आधारित जो उच्च तकनीक समाज के सभी वर्गो को समान रूप से मिली है। यह संभव हुआ है हिन्दी के कारण। हिन्दी भाषा के उपयोग उसके महत्व दूरगामी परिणाम के मद्देनजर नई टेक्नालाजी ने अपने आप को हिन्दी के अनुसार ढ़ालने का प्रयास किया है। अब लगभग पूरा का पूरा सोशल मीडिया और न्यू मीडिया अपना विस्तार केवल हिन्दी के कारण कर पा रहा है। अंग्रेजी के पाठकों में ठहराव की स्थिति जैसी आ गई है।
कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की निर्भरता व आवश्यकता अब पूरी तरह हिन्दी के कारण खत्म हो चुकी है। रेखांकित करने योग्य सामयिक और समीचीन बात यह है कि पुस्तकों के अलावा ऐसे अनेक वीडियो आधारित सॉफ्टवेयर बाजार में निशुल्क और सशुल्क उपलब्ध हैं। जिनके माध्यम से कम्प्यूटर निरक्षर व्यक्ति कम्प्यूटर के मूलतत्व, विंडोस एक्सपी, इंटरनेट, ई-मेल, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2007, गूगल, याहू, हॉटमेल, ट्विटर, फेसबुक, ऑपरेटिंग सिस्टम के अलावा इंटरनेट और कम्प्यूटर का मूलभूत ज्ञान हिन्दी के माध्यम से प्राप्त कर रहा है। भारत में 22 भाषाएं 1650 बोलियॉं प्रचलन में हैं, पूरे विश्व में चीनी भाषा के बाद हिन्दी सबसे अधिक बोली जाती है। जहां तक सरकारों का सवाल है तो केन्द्र और राज्य सरकारों की वेबसाईट, पासपोर्ट से लगाकर, रेल और अन्य सभी महत्वपूर्ण कार्यो से संबंधित वेबसाईट हिन्दी में भी उपलब्ध है।
सामाजिक, आर्थिक विकास की क्रांति में हिन्दी आधारित मोबाईल फोन का भी सकारात्मक योगदान है। ई व एम तंत्र न केवल लोगों को नजदीक ले आया है। बल्कि सूचना संपन्न कराने में अहम भूमिका निभा रहा है। इस प्रक्रिया ने सूचना तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण किया है। शहरी संपन्न और ग्रामीण वंचित वर्ग के बीच व्याप्त तकनीकी खाई को पाटने के क्षेत्र में यह व्यवस्था सबसे शक्तिशाली तकनीक के रूप में उभरी है।
डब्ल्यू3सी यानि वर्ल्ड वाइड वेब की संपन्न हुई इंटरनेशनल कांफ्रेंस में इस बात पर गंभीरता से चर्चा हुई है कि समस्त मोबाईल फोन सभी तरह के फोंट को सपोर्ट करें और यूनिकोड का इस्तेमाल करें। डब्ल्यू3सी और टीडीआईएल ने इस दिशा में काम प्रारंभ कर दिया है। शीघ्र ही अब वेबसाईट और ईमेल के पते हिन्दी में टाईप करने को मिलेंगे।
हिन्दी में ई-प्रशासन के विभिन्न आयाम है। जिसके चलते सुशासन के लिए ई-प्रशासन एक अनिवार्य संस्थागत व्यवस्था बन गई है। भविष्य का समाज सूचना प्रौद्योगिकी से संचालित होगा। इस आदर्श परिस्थिति का पूरा लाभ समाज के सभी सदस्यों को मिले। इसके लिए आवश्यक कदम उठाना और तैयारी करना जरूरी है। ई-प्रशासन के विभिन्न पहलूओं का ज्ञान सबको समान रूप से देने के लिए सरकार के प्रयासों में समाज के सभी सक्षम सदस्यों की भागीदारी जरूरी है। लिहाजा हिन्दी भाषा में ई-प्रशासन की संस्कृति विकसित होना चाहिए। इससे जहॉ भाषायी एकीकरण होगा वहीं ऐसे प्रयासों से सूचना प्रौद्योगिकी के ज्ञान का प्रसार होगा और लोगों तक ई-प्रशासन आधारित विभिन्न नागरिक सेवाओं की जानकारी भी आसानी से पहुंचेगी। वैसे गर्व की बात यह है कि लगभग 80 सालों के पश्चात् स्वतंत्र भारत का पहला भाषायी सर्वेक्षण 21 मई 2007 से शुरू हो चुका है। यह जन को जोड़ने वाली भाषा हिन्दी का ही कमाल है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तो इसके लिए स्टॉफ ही अलग से रख लिया है।
बहरहाल वे दिन अब लद चुके हैं जब हम हिसी सायबर कैफे में बैठे-बैठे मातृभाषा हिन्दी की कोई वेबसाईट ढूंढ़ते रह जाते थे। अब इंटरनेट पर हिन्दी की दुनिया दिन प्रतिदिन समृद्ध होती जा रही है। अब हिन्दी प्रेमी घर में बैठे-बैठे हिन्दी में ईमेल, चैटिंग, हिन्दी के समाचार पत्र बॉच सकता है। रचनाओं का आनंद नियमित और पेशेवर स्तम्भ लेखक की तरह इंटरनेट पर मुफ्त जगह (स्पेस) और मुफ्त के औजारों का फायदा उठाकर हिन्दी में स्वयं को अभिव्यक्त कर सकता है, रोजगार, शिक्षा, कैरियर, चिकित्सा, व्यवसायिक, उद्योग, सेंसेक्स, योग, इतिहास आदि किसी भी विषय की जानकारी पलक झपकते ही ले और दे सकता है। समान रूचि वाले सैंकड़ों मित्रों के साथ किसी प्रासंगिक मुद्दे पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट के माध्यम से एक दूसरे को लाईव देख, सुन सकता है, विचार विमर्श कर सकता है।
हिन्दी सहित स्थानीय भाषाओं में काम करने के लिए सॉफ्टवेयर का अभाव अब खत्म हो चुका है। आजकल किसी भी साक्षर को कम्प्यूटर में हिन्दी में अपना काम निपटाते देखा जा सकता है। हिन्दी कम्प्यूटिंग अब किसी अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा की दासी नहीं रही। केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार की इकाई सीडैक एवं टीडीआईएल द्वारा एक अरब से भी अधिक बहुभाषी भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोने और परस्पर समीप लाने में अहम् भूमिका निभायी जा रही है। भाषा विशेष का कोई भी एक यूनिकोड फोंट अपने पीसी में संधारित कीजिए और सर्फिंग पर सर्फिंग करते चले जाइये।
हिन्दी आधारित वेब तकनीक को देश के बड़े अखबारों ने जल्दी ही अपना लिया। अखबारों को पढ़ने के लिए यद्यपि हिन्दी के पाठक को अलग-अलग फोंट की आवश्यकता होती है परन्तु संबंधित अखबार कि साइट से उक्त फोंट विशेष को चंद मिनटों में ही मुफ्त डाउनलोड और इंस्टाल करने की भी सुविधा रहती है।
दिलचस्प यह है कि वह दिन दूर नहीं जब जनमानस वेबसाइट और ई-मेल के पते हिन्दी में उपयोग करने लगेगा। यह सब होगा हिन्दी आधारित ई और एम तंत्र के जरिए। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं। ये वे परिवर्तन है जिनके चलते भारत का गण दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। यानि गण को मजबूत करता हिन्दी आधारित एम व ई-तंत्र।