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हिन्दी की देह है फोटो, प्राण है संगीत - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
जगदीश्‍वर चतुर्वेदी हिन्दी भाषा में अहंकार का भाव नहीं है। नायक नहीं हैं। यह ऐसी भाषा है जो प्रकृति से उदार है। हिन्दी न तो राष्ट्रभाषा है न मातृभाषा है और न पितृभाषा बल्कि वातावरण या परिवेश की भाषा है। भारतीय समाज में संचार और संबंध की स्वाभाविक भाषा है,जीवन…