दूसरों की शर्त पे, जीने की आदत है नहीं
टूट जाए दिल किसी का ऐसी फितरत है नहीं
जाने अनजाने सभी को प्यार होना लाजिमी
प्यार मिलते ही सिसकते ये हकीकत है नहीं
आते ही घर, पूछ ले बस, हाल कैसा आपका
क्यों बुजुर्गों ने कहा अब ऐसी किस्मत है नहीं
आज बच्चों से अधिक मां-बाप को पढ़ना पड़े
ज्ञान का बस दान होता ये तिजारत है नहीं
जेब खाली है मगर मुस्कान होठों पर लिए
इस तरह जीते हैं कितने क्या इजाजत है नहीं
मौत, जीवन की सहेली पास जाते रात-दिन
जिन्दगी खुद से मिटाने की जरूरत है नहीं
किस तरफ जाना सुमन को है पता करना कठिन
राह चुन लो, जिन्दगी से, फिर शिकायत है नहीं