लन्दन में हिंदी कविता सेमीनार

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शिखा वार्ष्‍णेय, लंदन

रविवार की संध्या थी और उस दिन ठण्ड भी बहुत थी परन्तु हिंदी साहित्य के कुछ कवियों की रचनाओं ने ठन्डे मौसम में गर्माहट लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी .२० फरवरी तो लन्दन के नेहरु सेंटर में संपन्न हुआ हिंदी समिति द्वारा आयोजित एक कविता सेमीनार जिसकी अध्यक्षता की साउथ एशियन सिनेमा के फाउनडर श्री ललित मोहन जोशी ने .

 

मंचीय कवियों में शामिल थे श्री सोहन राही (वरिष्ठ कवि ) ,डॉ पद्मेश गुप्त (अध्यक्ष यू के हिंदी समिति,संपादक पुरवाई ) ,दिव्या माथुर (उपाध्यक्ष यू के हिंदी समिति) और डॉ. गौतम सचदेव ( वरिष्ठ लेखक,कवि और पत्रकार).

सभा का आगाज़ सोहन राही जी ने अपनी शानदार रचनाओं से किया, जिनका परिचय देते हुए डॉ पद्मेश गुप्त ने कहा कि जिस लन्दन में गीत लिखना तो दूर गीत गुनगुनाने का भी समय नहीं है वहां राही जी जैसे शायर की कलम मोती लुटा रही है, जो लन्दन की सारी चमक दमक को फीका कर रही है.उन्होंने कहा कि राही जी ७० वर्ष के ऐसे जवान हैं जिनके नवीनतम अशरार आज भी अच्छे अच्छे नौजवानों के दिल में गूँज उठते हैं.

 

राही जी ने अपनी बेहतरीन ग़ज़ल और गीत अपने शानदार अंदाज में सुनाये जिससे महफ़िल में उनकी बयानगी के दौरान वाह वाह के स्वर गूंजते रहे .उन्होंने अपनी सुप्रसिद्ध रचना .

‘समंदर पार करके अब परिंदे घर नहीं आते

अगर वापस भी आते हैं तो लेकर पर नहीं आते’.

भी सुनाई और पूरी रचना के दौरान मुक़र्रर के स्वर गूंजते रहे.

राही जी के बाद दिव्या माथुर ने अपनी संवेदनशील रचनाओं का वाचन आरम्भ किया .जिसमें उन्होंने मेरी ख़ामोशी,धत्त ,तीन पीढियां आदि रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया .

दिव्या जी कि रचनाओं का परिचय देते हुए शिखा वार्ष्णेय ( स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक ) ने कहा कि .- दिव्या माथुर की कविताएँ यथार्थ के धरातल पर लिखी हुयी हैं.सामजिक संरचना और उनमे व्याप्त कुरीतियों पर धारदार व्यंग उनकी रचना का एक महत्वपूर्ण भाव है .

दिव्या जी कि रचनाओं को एक ही वाक्य में समझाया जा सकता है ..और वह है ..गागर में सागर …बहुत थोड़े से शब्दों में गहरी और पूरी बात प्रभावी ढंग से कह देनी की अद्भुत क्षमता है उनकी लेखनी में…कहीं कहीं तो जैसे सिर्फ एक शब्द ही पूरी कहानी कह देता है .जैसे ..सुनामी सच .

तत्पश्चात पद्मेश जी का परिचय देते हुए डॉ श्री के के श्रीवास्तव (जो कि स्वं एक कवि होने के साथ साथ कृति यू के के अध्यक्ष हैं और बीबीसी में अपनी क्रिकेट कमेंट्री के लिए जाने जाते हैं ) ने कहा कि गूढ़ भावों को सरल शब्दों में व्यक्त करना आसान काम नहीं परन्तु पद्मेश जी के यह बाएं हाथ का काम है वह चाहें तो अपनी रचनाओं से रुला दें और चाहें तो हंसा हंसा कर लौट पोट कर दें .उन्होंने कहा कि साहित्य मंच पर जिस शान से पद्मेश जी बेट्टिंग करते हैं उनके सामने सहवाग और तेंदुलकर भी नहीं टिक सकते.

 

और उनका वक्तत्व एकदम खरा उतरा जब किसी एन्साइक्लोपीडिया की तरह पद्मेश जी ने अपनी रचनाये सुनानी शुरू कीं.बर्लिन की दीवार और नीम का पेड जैसी कवितायेँ सुनकर उन्होंने हर श्रोता के दिल को छू लिया .उनकी ऐनक ,घड़ी और छडी ने जैसे प्रावासियों के मन के हर तार को झंकृत कर दिया पद्मेश जी कविता वाचन के दौरान श्रोता भाव विभोर से हो गए. उनकी कविताओं में निहित प्रभावशाली भाव श्रोताओं के मुखमंडल पर भी उसी तरह दृष्टिगोचर होते देखे गए .

तदोपरांत वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार गौतम सचदेव जी का परिचय डॉ पद्मेश गुप्त ने दिया .उन्होंने कहा कि डॉ गौतम सचदेव ब्रिटेन में हिंदी के ऐसे हस्ताक्षर हैं ,जिनसे हिंदी का हर छोटा बड़ा लेखक अपने साहित्य पर टिप्पणी चाहता भी है ,और टिप्पणी से घबराता भी है .उन्होंने आगे कहा कि साहित्य के प्रति पूरी इमानदारी लिये गौतम जी एक मात्र ब्रिटेन के ऐसे हिंदी लेखक हैं जिनका व्यंग निबंधों का संग्रह “सच्चा झूठ ” प्रकाशित हुआ है.

फिर क्या था गौतम जी ने अपनी धारदार रचनाओ से समा बाँध दिया .नंगापन,पुस्तक का मूल्य ,ज़ख्म जैसी रचनाओ ने श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया .रचनाओं में समाहित धारदार व्यंग सभी के मन पर प्रभाव छोड़ने में पूर्णत: सफल रहे .

 

तत्पश्चात श्री ललित मोहन जोशी ने अपने अध्यक्षीय सन्देश में सभी कवियों का अवलोकन करते हुए कहा कि सोहन राही जी की रचनाओं में क्लासिक अदायगी है तो दिव्या माथुर की रचनाये सामाजिक यथार्थ पर लिखी गईं हैं.उन्होंने पद्मेश जी को हिंदी समिति और इस तरह के आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि उनकी रचनाये सरल और बेहद प्रभावी होती हैं.

गौतम जी की रचनाओं के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनकी रचनाओं में जटिलता ,गंभीरता ,इमेज्नेरी ,और सटीक उपमाओं के भाव प्रमुख होते हैं .

सभा के अंत में उन्होंने उन सभी लोगों की भी प्रशंसा की जिन्होंने मंचीय कवियों का बेहतरीन शब्दों में परिचय दिया था.

और इस तरह लन्दन में हिंदी साहित्य प्रेमी और बहुत से गणमान्य सदस्यों से भरे एक बेहद खूबसूरत रोचक और प्रसंशनीय समारोह का समापन हुआ जिसका सञ्चालन आयरलेंड के श्री दीपक मशाल ने किया.

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