सारे जहॉ में अच्छा हिन्दोस्ता हमारा……..

मेरा भारत महान या मुझे भारतीय होने पर गर्व है ये बात अब हम वास्तव में गर्व से कह सकते है। क्यो कि पिछले दिनो अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया परिषद (एनआईसी) और यूरोपीय संघ सुरक्षा शिक्षा संस्थान (ईआईएसएस) ने ”ग्लोबल गवर्नस 2025’’ नामक रिर्पोट में ये दावा किया है कि भारत दुनिया के तीसरे सब से भाक्तिशाली देशो में है। ताकत के मामले में सिर्फ अमेरिका और चीन उस से आगे है। विभिन्न देशो के विशोषज्ञो की अंतरदृश्टि और काल्पनिक परिदृश्यो पर आधारित इस रिर्पोट में वैशिक प्रशासन में अगले 15 सालो में होने वाली तब्दीलियो का भी जिक्र किया गया है। इस रिर्पोट में इन विशोषशज्ञो ने ये भी आशा जताई है कि वशर 2025 में विश्व के सब से शक्तिशाली देशो की सूची में अमेरिका की बादशाहत भले ही बरकरार रहे पर इस दिशा में उसे चीन और भारत से कडी चुनौती मिलेगी। आने वाले 15 सालो में अंतरराश्ट्रीय स्तर पर भारत और चीन के रूतबे में भारी इजाफा होगा। रिर्पोट के मुताबिक अमेरिका 2010 में वैश्विक शक्ति में 22 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दुनिया के सब से शक्तिशाली मुल्क की कुर्सी कब्जाने में तो कामयाब हो गया है और इस तरह उसने अपना पुराना वजूद भी कायम रखा। लेकिन चीन 12 प्रतिशत और भारत ने 8 प्रतिशत ताकत के साथ क्रमश दूसरे और तीसरे पायदान पर खडे होकर दुनिया का ध्यान अपनी ओर जरूर किया है ताकत के मामले में यूरोपीय संघ के देशो की कुल हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है। जापान, रूस, और ब्राजील भी लगभग 5 प्रतिशत ताकत के साथ टॉप टेन में शामिल है। ये पूरी की पूरी रिर्पोट भारत के हित में है क्यो कि इस रिर्पोट में यह भी कहा गया ह कि अगले 15 सालो में इस सूची में कोई बडा फेरबदल नही होगा। हा 2025 तक अमेरिका दुनिया का सब से शक्तिशाली देश बना रहेगा, लेकिन वैश्विक शक्ति में उस की हिस्सेदारी घटकर 18 प्रतिशत तक हो जायेगी। तथा यूरोपीय संघ की ताकत में भारी गिरावट दर्ज की जायेगी जब की भारत की शक्ति मौजूदा 8 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो जायेगी।

आज भारत यकीनन तरक्की कर रहा है अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की भारत यात्रा। ओबामा द्वारा भारत की प्रशंसा यू ही नही की गई पिछले दिनो अमेरिका के एक वरिष्ट रक्षा विभाग के अधिकारी का ये कहना कि पिछले पॉच साल में भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधो में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। जिस में नागरिक परमाणु समझौते का विशोष योगदान है और अब इन संबंधो को और व्यापक परिद्वश्य में विस्तार दिया जा रहा है। आज अमेरिका सहित पूरा विश्व आर्थिक मंदी से जूझ रहा है ऐसे में मनमोहन सिॅह के कार्यकाल में भारत दुनिया में आर्थिक और कूटनीतिक शक्ति के रूप में पेश किया जाने लगा है। आज जब पूरे पिश्चमी जगत के देश खुद को आर्थिक मंदी से निकालने की जद्दोजहद में लगे है। तब भारत की अर्थव्यवस्थाए हल्की गिरावट के बाद वापस अपनी तेजी पकड चुकी है। आर्थिक मंदी के बाद भी भारत ने कामनवेल्थ गेम्स का आयोजन जिस आन बान शान से किया उसे देख दुनिया ने अपने दॉतो तले ऊगली दबा ली।

जून 2010 में जी20 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिॅह की अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात काफी महत्वपूर्ण रही थी। हमारे देश के प्रधानमंत्री को यू तो बिना किसी प्रचार के चुपचाप काम करने का शौक है। किन्तु जब वो अर्न्तराष्ट्रीय मंचो पर बोलते है तो एक दम सटीक और मौके मतलब की बात करते है और ये भी सिद्व कर देते है कि एक परिपूर्ण अर्न्तराष्ट्रीय राजनेता और अर्थ शास्त्री बोल रहा है। जी20 सम्मेलन में ओबामा ने अपने भाषण के दौरान अगर ये कहा कि जब मनमोहन सिॅह जी बोलते है तो सारी दुनिया सुनती है, तो ये मात्र ओबामा द्वारा की गई मनमोहन सिॅह जी कि औपचारिक प्रशंसा नही थी। दरअसल मंदी से उबरने के उपायो पर भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा दी गई राय इस सम्मेलन में बडी महत्वपूर्ण रही। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा देशो को दिये जा रहे राहत पैकेज अभी न हटाने के संबंध में उन के द्वारा दिये गये तर्को ने जी20 की नीतियो को काफी प्रभावित किया। इस मुद्दे पर अमेरिका भी ये ही चाहता था कि अभी राहत पैकेज तेजी से कम न किये जाये। भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी सटीक राय, तर्को से पेश कर अमेरिका की हा में हा मिला कर भारत और अमेरिका के संबंधो को और मजबूती प्रदान की। दरअसल जब से भारत के साथ अमेरिकी परमाणु करार हुआ है और उसे अर्न्तराष्ट्रीय बिरादरी की मान्यता मिली है, कई देश भारत के साथ करार करने को आगे आये है इस की सब से बडी और खास वजह ये रही है कि आज भारत एक बडी आर्थिक ताकत की तरह उभर रहा है इस के साथ ही परमाणु उर्जा को लेकर भारत का रिकार्ड अभी तक बेदाग है इसी लिये दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक देशो को भारत के साथ परमाणु करार करने में किसी प्रकार की दिक्कत और विवाद का डर नही है।

भारत आज तरक्की कर रहा है वही हमारे पडौसी मुल्क पाकिस्तान का बहुत बुरा हाल है नवीनतम सन 2010 के आंकडो से अंदाजा लगता है कि पाकिस्तान साक्षरता, बाल मृत्यू दर, औसत आयु मामलो में भारत के मुकाबले काफी पिछल चुका है भारत में सन 2010 के आकडे कहते है कि विकास दर 7.4 प्रतिशत है जब कि पाकिस्तान में केवल 2 प्रतिशत है साक्षरता भारत में 66 प्रतिशत है जब कि पाकिस्तान में अच्छी पाई के सारे संसाधन होने के वावजूद 56.2 प्रतिशत ही लोग साक्षर है हिन्दुस्तान के पास सैन्य क्षमता 3,773,300 कुल सैन्य बल है जो कि विश्व की दूसरी सब से बडी सेना होने का गौरव भी रखता है। हिन्दुस्नान में बेरोजगारी 10.7 प्रतिशत है जब कि पाकिस्तान में 14 प्रतिशत है। भारत में यदि ये रोज रोज होने वाले घोटाले न हो तो आज भी भारत सोने की चिडिया बन सकता है और हम भारतवासी गर्व से कह सकते है कि सारे जहॉ में अच्छा हिन्दोस्ता हमारा।

3 COMMENTS

  1. भाई शादाब जी आपकी भावनाओं के आगे मैं नतमस्तक हूँ. पर जिन कारणों से आप भारत को महान बतला रहे हैं वे तो थोथी बातें हैं, अमेरिका की चालबाजियों व कलाकारियों का एक हिस्सा हैं. भारत की महानता अमेरिका के बतलाये मापदंडों पर नहीं परखी जानी चाहिए. गांद्दी की की टिप्पणी के प्रकाश में बात समझें तो क्या ऐसा नहीं की महानता के झूठे अहंकार में देश की दुर्दशा के तथ्यों पर पर्दा डालने के सुयोजित प्रयास का शिकार हम भी बन रहे हैं ?
    * हमारी महानता के मापदंड वे नहीं जो अमेरिका ने कहे, उसकी जड़ें तो कहीं अधिक गहरी हैं. अपनी उस महानता से प्रेरणा लेकर अपनी आज की प्रायोजित दुर्दशा को नज़रों से ओझल किये बिना उसके समाधान के प्रयास करने होंगे.

  2. मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ जो आपने अपने लेख के प्रारम्भ में लिखी है की भारत दुनिया के तीसरे सबसे “भक्तिशाली” देशों में है, बिलाशक सोनिया गांधी की भक्ती में तो पहले नंबर पर है ही और देश के बहुसंख्यक के पिछवाड़े पर लात मारकर “तुष्टिकरण” देवता की भक्ति में तो दुनिया में सबसे अव्वल है.

  3. विश्व के सबसे गरीब ,भूखे, बीमार और लाचार लोग भी इसी देश में हैं -सबसे भ्रष्ट, चोर और देश का पैसा विदेशी बैंकों में जमां करने वालों में हम तीसरे नहीं पहले नंबर पर हैं…. फिर भी सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्थान हमारा .. रहने को घर नहीं है सारा जहाँ हमारा …..

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