हिन्दू सहिष्णुता की ऐसी परीक्षा भी जायज नहीं

12
240

– अनिल सौमित्र

यह सच हो सकता है कि इतिहास के किसी कालखंड में हिन्दू पिटे हों, यह भी संभव है कि कुछ वर्षों तक, दशकों तक वे लगातार मार खाते, मरते-कटते और लांछित होते रहे होंं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हिन्दुओं और हिन्दू संगठनों को उनकी सहिष्णुता के नाम जब चाहे, जो चाहे और जबतक चाहे लतियाते-गलियाते रहे। एक हद तक यह सही है कि हिन्दू संगठन जातियों, वर्ग और मत-संप्रदायों में बंटा है। उसमें मुसलमानों और इसाइयों की तरह एका और संगठन का अभाव है। लेकिन गालियां, लांछन और आरोपों को सुनना, सहना और सहते रहना उसकी नियति तो नहीं। सब्र की भी इन्तहां होती है। हिन्दुओं के पिटने, लांछित होने और गालियां सुनने की परंपरा-सी हो गई है। जो चाहे, जब चाहे हिन्दुओं को अपना शिकार बना ले और उसे सब्र, सहिष्णुता और अहिंसा का पाठ पढा दे, धैर्य रखने की नसीहत दे जाए!

हेडलाइन्स टुडे ने 15 जुलाई को संघ, हिन्दू संगठनों और हिन्दुओं को आरोपित करने वाला स्टिंग आॅपरेशन दिखाया है। कुछ लोगों ने इसके खिलाफ हेडलाइन्स टुडे के मुख्य समाचार चैनल आजतक के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों में से कुछ ने तोड़-फोड़ कर दी। हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तोड़-फोड़ की घटना को अनुचित बताते हुए यह कहा है कि संघ के कार्यकर्ता वहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए गए थे। प्रदर्शन के बाद अगर कोई तोड़-फोड की घटना हुई है तो ऐसा नहीं होना चाहिए। इससे संघ का कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि हेडलाइन्स टुडे और आजतक चैनल लगातार प्रदर्शन की बजाए और तोड़-फोड़ के ही फुटेज दिखाता रहा। उसके संवाददाता और न्यूज एंकर गला फाड़-फाड़कर प्रदर्शनकारियों, संघ और हिन्दू संगठनों की निदा कर और करा रहे थे। ढूंढ-ढूंढकर हिन्दू विरोधी, संघ विरोधी नेता और संगठन लाए गए। संघ को प्रतिबंधित करने की मांग की जा रही है। लालू, रामविलास, वृंदा करात से लेकर दिग्विजय सिंह, राजीव शुक्ल जैसे सबके सब नेताओं को लोकतंत्र की याद आ गई। आपातकाल में कांग्रेसी और सरकारी आतंक झेल चुका मीडिया अगर अपने और जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के बारे में कांग्रेस के नेताओं से बयान लेता है तो यह हास्यास्पद ही है।

हिन्दू आतंकवाद’‘ के जुमले की शुरुआत मालेगांव विस्फोट की अचनाक शुरु हुई तफसिश से हुई। गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 को रमजान के महीने में मालेगांव में हुए बम धमाके में 6 लोग मारे गए थे और 20 जख्मी हुए थे। महाराष्ट्र आतंक निरोधक दस्ते ने इस कांड के आरोपियों के संबंध दक्षिपंथी संगठन अभिनव भारत से होने की बात कही थी। जब हिन्दुओं को फंसाने का सिलसिला शुरू हुआ तो पहले कहा गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर इस विसफोट की मास्टर मांइड है, फिर कहा गया कर्नल पुरोहित मास्टर मांइड है,ं फिर दयानन्द पांडे को मास्टर माइंड बताया गया। तब स ेअब तक इस विस्फोट के न जाने कितने मास्टर माइंड बताये गए। रामजी कालसांगरा से लेकर संदीप डांगे और सुनील जोशी तक मास्टर माइंड बने। अब इतने समय बाद इस विस्फोट के मास्टर माइंड स्वामी आसीमानन्द बताये जा रहे हैंं। मास्टर माइंड के नामों में कुछ और नाम जुड़ गए – देवेन्द्र गुप्ता, लोकेश शर्मा और चन्द्रशेखर। ये दोनों संघ से जुडे हैं। इनसे सीबीआई और एटीएस ने पूछताछ की और संघ के दो और वरिष्ठ प्रचारकों का नाम उछाला गया। उत्तरप्रदेश से संबंधित संघ के वरिष्ठ प्रचारक अशोक बेरी और अशोक वाष्णेय से भी पूछताछ की गई। लेकिन पूछताछ और जांच में सहयोग को भी ऐसे लिखा गया जैसे ये लोग भी आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। एक बम विस्फोट और इतने मास्टर माइंड! धन्य है हिन्दू समाज।

जांच में अभिनव भारत और राष्ट्र चेतना मंच को आरोपित करते-करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तक आ पहुंचे। कभी आरोपियों को आइएसआई का एजेंट बताया गया तो कभी संघ के प्रचारक और वरिष्ठ कार्यकर्ता इन्द्रेश कुमार का संबंध आईएसआई से जोड़ा गया। बीच में एक और शगूफा छोडा – आरोपी दयानंद पांडे और कर्नल पुरोहित आरएसएस के प्रमुख मोहनराव भागवत को मारना चाहते थे। यह बात जब किसी को हजम नहीं हुई तो मीडिया और जांच एजेंसियों के सहारे हिन्दू आतंकवाद का नारा बुलंद किया गया। जब जांच चल रही है, एजेंसियां और न्यायालय अपना काम कर रहे हैं फिर ये मीडिया ट्रायल कैसी! वह भी खबरे बिना सिर और पैर की जो सूत्रों के हवाले से दी जा रही है। न तथ्य का पता है और न ही स्रोत का, लेकिन हिन्दू आतंकवाद और भगवा आतंक का हौआ सिरचढ़ कर बोल रहा है। हद तो तब हो गई जब मुम्बई में हुए आतंकी हमले में संघ और इज्ररायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ बताया गया। इस आतंकी वारदात में मुम्बई एटीएस चीफ हेमंत करकरे आतंकियों के हाथों मारे गए, को लेकिन कुछ लोगों ने इसमें भी संघ को नामजद करने की कोशिश की। कुल मिलाकर एक काल्पनिक कहानी खड़ी करने का एक गंभीर षडयन्त्र।

याद कीजिए जब माओवादियों से संबंध और उन्हें सहयोग देने के आरोप में छत्तीसगढ़ पुलिस ने विनायक सेन को गिरफ्तार किया था, तब क्या हुआ था। देश और दुनिया के सैकड़ों बुद्धिजीवी सड़कों पर आ गए थे। दुनिया से सैकड़ों ई-मेल संदेश विनायक सेन के समर्थन में आए। सरकार और न्यायालय पद इस कदर दबाव बनाया गया कि अंततः विनायक सेन को जेल से रिहा करना पड़ा। लेकिन साध्वी प्रज्ञा के मामाले में क्या हुआ! हाल ही में मारे गए माओवादियों के दूसरे नंबर के कॉमरेड आजाद के सिर पर 12 लाख का इनाम और मालेगांव में आरोपित संदीप डांगे और रामजी कालसंागरा के सिर पर भी 10-10 लाख का इनाम। किसे खुश करना चाहती है महाराष्ट्र की एटीएस! आजाद पर कितने और कौन-कौन से मामले थे, ये संदीप और रामजी पर कितने और कौन-कौन से मामले हैं? इसरत जहां के मामले में कितनी हाय-तौबा, सबसे बड़े सक्यूलर पत्रकार पुण्यप्रसून को गलत रिर्पोर्टिंग के लिए माफी मांगनी पड़ी। लेकिन साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी और उसे थर्ड डिग्री यातना देने पर कहीं कोई सुगबुगाहट नहीं। क्या महिलावादी, क्या मानवाधिकार वादी सब चुप्प! क्या यह चुप्पी खतरनाक और दोगली नहीं है!

अब जबकि पब्लिक कांग्रेस का षडयंत्र जानने लगी है तो हिन्दू आतंकवाद के कुछ और तथाकथित सबूत पेश किए जा रहे हैंं। कोई आरपी सिंह, बीएल शर्मा प्रेम और दयानंद पांडे को एक मीटिंग के दौरान मुसलमानों को सबक सिखाने की बात करते दिखाया-सुनाया सुनाया गया। ऐसे सैकड़ों टेप मिल जायेंगे जहां बैठकों में इस तरह के सुझाव आते हैं, उसे भी दिखाइए टीवी पर। क्या कोई भी गंभीर संगठन कोई कोई गोपनीय योजना बनाते हुए उसकी विडियो रिकॉर्डिंग करवाता है! तो क्या दयानंद पांडे, समीर कुलकर्णी, कर्नल प्रसाद पुरोहित या ऐसे ही गिरफ्तार किए गए लोगों में से कुछ लोग किसी बड़े सरकारी षड्यंत्र के हिस्सेदार हैं! हेडलाइंस टुडे के ही स्टिंग आॅपरेशन के बारे में बताया गया कि वह विडियो टेप दयानंद पांडे के लैपटॉप से लिया गया है। संभव है दयानंद पांडे ने अपने लैपटॉप के कैमरे से बिना किसी को बताये किसी गुप्त योजना के तहत बैठक को रिकॉर्ड किया हो। तो ये पांडे या समीर कुलकर्णी जिसके बारे में न तो एटीएस चर्चा कर रही है और न ही सीबीआई वह किसी देशी-विदेशी खुफिया एजेंसी के लिए काम कर रहा हो। बीएल शर्मा प्रेम ने भी क्या गलत कह दिया! साधु के ही नही हर एक हिन्दू और हर एक राष्ट्रभक्त के दिल में अपने शोंषण और तिरस्कार के खिलाफ ज्वाला धधक रही है। आतंकवाद, मतान्तरण, सांप्रदायिक आरक्षण, घुसपैठ और कई क्षेत्रों से हिन्दुओं का पलायन नहीं रूका तो ये धधक रही ज्वाला तेज ही होगी।

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत लगभग 27 हिन्दुओं को म पर गिरफ्तार कर यातनायें दी रही है। लेकिन अफजल को फांसी की सजा देने के बाद भी कार्यवाई नही की जा रही। बटला हाउस में हुए इनकाउंटर जिसमें पुलिए के एक अफसर हेमंत शर्मा की आतंकियों ने हत्या कर दी, दसकी जांच की मांग कांगेस के ही नेता कर रहे हैंं। इस्लामिक आतंक ओर घुसपैठ जैस मसले पर नरमी और हिन्दुओं पर गर्मी जायज नही। इस्लामी आतंकवाद के सामने हिन्दू आतंकवाद का शिगूफा दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कुछ कांग्रेसी नेता छेड़ रहे हैं। इसकी आड़ में वे आरएसएस को भी लपेटने के चक्कर में हैं, जिसकी देशभक्ति तथा सेवा भावना पर विरोधी भी संदेह नहीं करते। कांग्रेस षड्यंत्र का सच बनाने की कवायद में है। इसमें हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबेल्स के प्रचार सिद्धांत का सहारा लिया जा रहा है। एक काल्पनिक बात को कई बार, बार-बार और कई तरीके से बोलने से वह सच जैसे लगने लगता है। मीडिया भी सच, वास्तविकता और छवि निर्माण के इस खेल में जाने-अंजाने कांग्रेस के षडयंत्र का शिकार है।

संभव है टीआरपी और विज्ञापन का लोभ मीडिया की मजबूरी हो। इसी कारण वह कांग्रेस के षड्यंत्र में भागीदार हो गई हो। लेकिन एक चैनल या एक अखबार की गलती या मजबूरी का नुकसान पूरी मीडिया बिरादरी को हो सकता है। कांग्रेस की ही तरह मीडिया की विश्वसनीयता दांव पद लग गई तो क्या होगा!

हिन्दू लगातार मुस्लिम आक्रमणकारियों के निशाने पर रहे हैं. याद कीजिए इतिहास के पन्ने जब तैमूर ने एक ही दिन में एक लाख हिन्दुओं का कत्लआम कर दिया था. इसी तरह पुर्तगाली मिशनरियों ने गोआ के बहुत सारे ब्राह्मणों को सलीब पर टांग दिया था. तब से हिन्दुओं पर धार्मिक आधार पर जो हमला शुरू हुआ वह आज तक जारी है. देश की जाजादी के वक्त कश्मीर में कितने हिन्दू थे, आज कितने बचे हैं? हिन्दुओं ने कश्मीर क्यों छोड़ दिया? किन लोगों ने उन्हें कश्मीर छोड़ने पर मजबूर किया? हिन्दू पवित्र तीर्थ अमरनाथ और वैष्णव देवी की यात्रा के लिए सरकार को जजिया कर देने को बाध्य है, जबकि इसी देश में मुसलमानों को हज के नाम पर करोड़ों अनुदान और सब्सिडी दी जाती है। कंधमाल में एक वृद्ध संन्यासी की हत्या कर दी जाती है, लेकिन इसपर भारतीय मीडिया कुछ बोलने की बजाए ईसाई उत्पीड़न की खबरे देता है। गुजरात के गोधरा में हुई हिन्दुओं के नरसंहार को भूल मीडिया ने नरेन्द्र मोदी को हत्यारा सिद्ध करने में अपनी सारी शक्ति लगा दी।

हिन्दू हमेशा से सहिष्णु और आध्यात्मिक रहा है। हिन्दुओं के बीच काम करने वाले संगठन भी इसी विचार और सिद्धांत से प्रेरित हैं। लेकिन वर्षोंं से दबाये और सताये गए हि जा सकता हिन्दू अब दमन, अपमान और दोयम दर्जे के व्यवहार से क्षुब्ध है। हिन्दुओं ओर हिन्दू संगठनों में अकुलाहट स्वाभाविक है। संभव है इस समाज और इन संगठनों में ऐसा वर्ग ऐसा पैदा हो जाये जो हमलावरों को उन्हीं की भाषा में जवाब दे। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर व्यापक हिन्दू समाज ने अपने स्तर पर आतंकी घटनाओं और हमलों के जवाब देने शुरू कर दिये तो क्या होगा? आज दुनिया में करीब एक अरब हिन्दू हैं, यानी हर छठा इंसान हिन्दू धर्म को माननेवाला है। फिर भी सबसे शांत और संयत समाज अगर आपको कहीं दिखाई देता है तो वह हिन्दू समाज ही है. ऐसे हिन्दू समाज को आतंकवादी ठहराकर कांग्रेस क्या हासिल करना चाहती हैं? क्या हिन्दुओं और हिन्दू संगठनों की ही सहिष्णुता और धैर्य की परीक्षा जायज है?

12 COMMENTS

  1. मज़हब नहीं सीखाता आपसमें………? भूल जाइए॥
    (१)हिंदुसे अपेक्षा सहिष्णुताकी– पर अन्य लघुमतियोंसे क्या? असहिष्णुताकी?
    (२)हिंदुके लिए, ॥अहिंसा परमोऽधर्मः॥ पर लघुमतियों से ॥आतंक और जिहाद परमोऽधर्मः॥
    (३)हिंदुसे अपेक्षा ॥सर्व धर्म समभाव॥ अन्योंसे(इसाइ और इस्लाम)–> ॥एक धर्म समभाव॥ बाकी hell में, या जहन्नुम में जाएंगे।
    (४)हिंदू Peaceful Co-existence(शांतिपूर्ण सह अस्तित्व) में विश्वास करे, जब बाकी सारे Peaceful Co-existence में नहीं मानते। कैसे उनसे शांतिसे रहोगे? स्मशानमें?
    (५) हिंदू देशके प्रति कर्तव्य (फ़र्ज़)करता रहे, अन्य केवल (हक़)अधिकार रखते हैं।
    क्या हिंदू लघुमतियोंका नौकर है? आप भाईचारेसे उन लोगोंके साथ रहकर दिखाइए जो भाईचारेमें विश्वास नहीं करते। जो अपने धर्मियोंसे भी भाईचारेसे रह नहीं सकते? पाकीस्तानमें क्या चल रहा है? बंगला (पूर्वीका पाकीस्तान) क्यों अलग हुआ? कितने इस्लामिक(सही अर्थमें) देशोंमें जनतंत्र चलता है?
    लघुमति जब लघु है, तब यह हाल है, यदि बहुमति हो गई तो क्या होगा?
    मिडीया बिका देश बिके बराबर है। जगोगे तब देर हो चुकी होगी। और फिर गाइए मज़हब नहीं सीखाता …… कौनसा मज़हब?
    द्वेष नहीं सीखाता, केवल जाग जाईए॥
    सज्जन शक्तिशाली हो, तो ही दुर्जन ठीक रास्तेपर चलेगा। यदि दुर्जन शक्तिशाली हुआ तो? तो पागल निर्हिंदू पाकीस्तान, निर्हिंदू-कश्मिर,अल्पहिंदू बंगला॥

  2. मीडिया के ऐसे कृत्यों के प्रति एक व्यापक जनजागरण अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है, हर मंच पर इसकी चर्चा की जानी चाहिए,

  3. आप हिन्दू राष्ट्र के सच्चे प्रहरी है .

  4. स्व. राष्ट्रकवि रामधारीसिंह दिनकर ने लिखा है :- “दर्द जब गुमसुम पलेगा, एक दिन इस्पात बनकर वह ढलेगा ” इसी प्रकार गोस्वामी तुलसीदास की चौपाई में लिखा है “अति संघर्ष करे जब कोई, अनल प्रकट चंदन से होई.. यदाकदा हिन्दू समाज जब कभी आक्रोशित हुआ है तो ऐसी ही परिस्तिथि के कारण हुआ है. .. मीडिया को चाहिए की अपनी ख़बरों को शालीनता से प्रस्तुत करे .. जब एक ही खबर को या वीडिओ को बार बार दिखाया जाता है तो साफ दिखता है कि यह खबर नहिं किसी कंपनी का विज्ञापन हो रहा है. पूरी खबर का ज़रा सा अंश बार बार दिखाना सिद्ध करता है कि यह किसी पूर्वाग्रह के या किसी गुप्त सौदे के कारण हो रहा है. अनिल सौमित्र को बधाई

  5. Bilkul kaha apane har chij ham se kyu expect kiya jata hai. sab darate hai ki vo jaisa kar rahe hai agar hindu karane lage to unaka jeena ushakil ho jayega, par kabatak sahe ham marana nahi to marana bhi nahi hai ab.

  6. क्या खुब लिखा आपने , सही मायने मे आप हिन्दुराष्ट्र के सच्चे सिपाही है , बहुत बहुत बधाई आपको

  7. dekhiye hamare sanghatano ko majboot karne ki jaroorat hai, aise rone dhone se kuch nahi hoga, target decide karke kaam karna hoga. Sabhi sanghthano ko ekjut hokar andolan khada karna hoga. Otherwise massege ye jayega ki hamare sanghathan sirf baaten karna jante hain action lena nahi….massege ye bhi ja sakta hai ki ye sanghthan congress se mile hain isiliye chuppi sadh lete hain.

    Pravkta se nivedan hai ki site main kuch sudhaar karen…hindi typing kaam nahi kar raha hai…user guidelines bhi dena chahiye…

  8. मीडिया को निस्पक्च समाचार देना चाहिए लेकिन हो क्या रहा है पैसा लेकर खबरों को चाहे जिस तरह विकृत किया जा रहा है अभी लोकसभा चुनाव में बेशर्मी से अपने पाकच में खबरे लगवाई गयी यह बात भी सामने इस लिए ई क्यों की कुछ मीडिया घरानों को इसका लाभ नहीं मिला अज कौन नहीं जनता की मीडिया सैट-प्रतिशत दलाली केर रहा है हेड लिनेस तो डे न्यू चानेल ने अगेर खबर दिखाया तो मरखने के पहले क्यों नहीं र स स के प्रवक्ता राम माधव से उसके लिए उनका पाकच भी जानना चाह्जा मरखने के बाद hi kou unaki yad ई.अभी कुछ नहीं बिगाड़ा है मीडिया को अगर दलाली ही karani है तो फिर unhe abhivyacti के nam per rejervation chahiye isi tarah adivasio aur tathakathit naxsalvadio ke bare me bhi yahi lagu hota hai ektarafa khabre hi kou ati hai r s s to fir bhi rashtravadi sanghatan hai is kliye dharana pradarshan hi kiye ho sakta hai ki kuch log gusse me todfod kiye ho lekin jis din naxsalvadio ke nishane per aa gaye to bhagvan hi malik hai akhir bagar kisi adhar ke her mamle me media trail ka kya matlab hai jab adalat moujud hai aur usake nirday ke bagar sabhi mamlo me aopn a nirday dene wala media koun hota hai.agar kisi vyaktigat mamle me bologe to majboori me chup rahege lekin kisi sanatha ke bare me anrgal pralap karoge to isi tarah log pesh ayege kou ki unake pas aur koi rasta nahi hai.isi ghatana ke bad pahale jo ghanto dharana pradarshan chal raha tha usaki riporting pahale ya ghatana ke bad dikhaya gaya .dusari bat ye hai ki jab tumlog 60% se adhik samay cinema aur andhaviswas juth muth ka daranew wale karyakram dikhayege to patrakarita kaha rahi ki vishesh suracha ya darja ki mag karte ho.sabase pahale to is vishesh darje se vanchit kiye jane ki jarurat hai.kou ki chaplusi dalali aur janta ko digbhramit karane wali chije aur kuch bhi ho sakati hai lekin patrakarita nahi isliye sab se pahale is prawitgi per rok lagan i chahiye. koun nahi jan ta ki aj ke patrakar karodo me khel rahe hai kya i n logo me itani natikata hai ki agar sabse sampati ki ghoshada karane wala media apni sampati ki ghosada ker sakata hai.press sanghatan kya isaki ghosada swecha se ker sakate hai.

  9. very nice

    हिन्दू इतना उग्र क्यों होता जा रहा है ? -तारकेश्वर गिरी.
    हिन्दू इतना उग्र क्यों, आखिर वजह क्या है कि शांति का सन्देश फ़ैलाने वाला समाज आज उग्र हुआ पड़ा है, कुछ एक को छोड़कर सभी राजनितिक दल हिन्दू विरोधी हो गए हैं , सारे मीडिया वाले भी हिन्दू विरोध का प्रचार कर रहे हैं . आखिर हिन्दू इतना उग्र क्यों हो गए हैं.

    बहुत ही गंभीर विषय है आज कि तारीख में . हिन्दू आज से १००० साल पहले इतना उग्र क्यों नहीं हुआ . अगर पहले ही इतना उग्र हो गया होता तो शायद भारत का नक्शा कुछ और ही होता , आखिर हिन्दू के उग्र होने कि वजह क्या है ?

    क्या इसके पहले सिर्फ वोट कि राजनीती है ?
    क्या इस पर धार्मिक दलों (दुसरे धर्मो का ) का दबाव है ?

    आज भारत में भी हिन्दू डर करके जी रहा है, कंही मुस्लिम से तो कंही इसाई से तो कंही सरकार से आखिर क्या वजह है ?

    पूरा संसार इस बात को अच्छी तरह से जनता हैं कि जब भी मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया है तो उनका उद्देश सिर्फ राज करना ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म को तहस – नहस करना भी था। हिंदुस्तान में जितने भी पुराने मंदिर थे , उनको तोड़ कर के या तो मस्जिद बना दिया गया या कब्र बना दिया गया है।

    इतने के बावजूद भी क्या हिन्दू उग्र नहीं होगा.

    १. हिंदुस्तान में सभी पुराने मंदिरों को तोड़कर के मस्जिद या कब्र बना दिया गया. – हिन्दू सहता रहा .
    २. हिंदुस्तान में हिन्दू कि हालत एक गुलाम जैसी हो गई – हिन्दू सहता रहा.
    ३. सोमनाथ का मंदिर लूट लिया गया – हिन्दू सहता रहा.
    ४. कश्मीरी पंडितो को कश्मीर से भगा दिया गया और उनके मंदिरों कि जगह मस्जिदे बना दी गई – हिन्दू सहता रहा .

  10. अद्भुत लिखा मारा आपने तो अनिल जी….डटे रहिये….आपकी सहिष्णुता ही आपकी ताकत है…कोई उसका नाजायज़ फायदा नहीं उठा पायेगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here