होली में मुहल्ले में, हल्ला है, गुल्ला है,
रंग है, भंग है, छाछ है, रसगुल्ला है.
गुझिया है, पेडा , कचौड़ी, गुलगुल्ला है,
कीचड है, कांई है, रंग का बुलबुल्ला है.
पंडा नाचत भंग छान, छिपत न मुल्ला है,
बचत न कोई, कोई डर न खुल्लमखुल्ला है.
अंग में है रंग , की रंग – अंग घुल्ला है ,
काहे की शराफत कौन दूध का धुल्ला है..
हुडदंग है, मृदंग है, नाचत सब संग है,
फरकत अंग, बरसत ज्यों रंग-रंग है .
उछाह है, उमंग है, अबीर ज्यों पतंग है,
तंग मन चंग और बहत रंग-गंग है….