गंगा के लिए, गंगा किनारे, सांप्रदायिक सद्‌भाव का ऐतिहासिक सम्मेलन

विपिन किशोर सिन्हा

ऐसी ऐतिहासिक घड़ियां बहुत कम ही आती हैं जब हिन्दू और मुसलमान एक साथ, एक ही स्वर में, एक ही मंच से एक ही बात कहें। ऐसी घड़ी का साक्षात्कार गंगा भक्तों ने किया – दिनांक 5 नवंबर को सायंकाल 6 बजे, काशी के ऐतिहासिक अस्सी घाट के नवनिर्मित महामना मालवीय घाट पर जब हिन्दुओं और मुसलमानों के शीर्ष धर्मगुरु गंगा महासभा द्वारा आयोजित एक महत्त्वपूर्ण सम्मेलन में एक साथ मंच पर विराजमान हुए। कांची कामकोटि के पीठाधीश्वर जगद्‌गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती, अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त रामकथावाचक श्री मुरारी बापू, हरिद्वार के स्वामी चिदानन्द महाराज मुनिजी, मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक, लखनऊ के शाही इमाम मौलाना फ़जलुर्रहमान को मंच पर एक साथ बैठकर विचार-विमर्श करते हुए देखना अत्यन्त सुखद था। स्वामी चिदानन्द जी द्वारा गंगोत्री से लाए पवित्र गंगाजल को जिस भक्ति भाव से मौलाना कल्बे सादिक ने ग्रहण किया, वह दृश्य अभूतपूर्व था। मां गंगा की पीड़ा को सबने एकसाथ समभाव से हृदय के अन्तस्तल से अनुभव किया। सबने एक स्वर से भारत सरकार से मांग की कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से गंगा एक्ट पास किया जाय। साथ ही गंगा को गंगा बनानेवाली अलकनन्दा और भागीरथी पर बन रहे बांधों को रोकने की भी प्रधान मंत्री से मांग की गई। कानपुर आई.आई.टी. के पूर्व प्रोफ़ेसर जी.डी.अग्रवाल, जो संन्यास लेने के बाद स्वामी ज्ञानस्वरूप सानन्द हो चुके हैं, ने घोषणा की कि यदि मकर संक्रान्ति के पूर्व इन नदियों पर निर्माणाधीन बांधों पर निर्माण का कार्य नहीं रुका, तो वे 15 जनवरी से चौथी बार आमरण अनशन करेंगे। महामना मालवीय जी द्वारा स्थापित गंगा महासभा की ओर से सन्तों का यह समागम महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की 150वीं जयन्ती-वर्ष के अवसर पर संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि गंगा महोत्सव और गंगा आरती से कुछ नहीं हासिल होना है। भारत का एक-एक नागरिक व्यवहारिक रूप में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प ले, तभी कुछ अच्छे परिणाम की कल्पना की जा सकती है। इस अवसर पर गंगाभक्तों को संबोधित करते हुए सन्त मुरारी बापू ने कहा कि 150वीं जयन्ती का दसांश निकालें। 15 बिन्दु तैयार किए जाएं जिनपर गंगा के निमित्त राष्ट्रजागरण अभियान चले। प्रधान मंत्री को समग्र भारत की भावना का खयाल रखते हुए शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। लखनऊ से आए मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि जिस प्रकार लखनऊ से आनेवाली गोमती काशी से कुछ आगे औड़िहार में अपनी ही बहन गंगा से मिलकर एक हो जाती है और फिर एक होकर एक साथ आगे बढ़ती है, करोड़ों की प्यास बुझाती हैं, हजारों-लाखों एकड़ जमीन की सिंचाई करके करोड़ों टन अनाज पैदा कर करोड़ों के पेट भरती हैं, उसी प्रकार हम मुस्लिम अपने बड़े भाई हिन्दुओं के गले में बाहें डालकर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले सौ वर्षों में देश में एक भी मस्जिद न बने, एक भी मन्दिर न बने, एक भी गुरुद्वारा या गिरिजाघर न बने, उन्हें तनिक भी मलाल नहीं होगा, लेकिन गंगा समाप्त हो जाएगी तो उन्हें बहुत मलाल होगा, बेइन्तहां तकलीफ होगी क्योंकि तब यह देश पाकिस्तान बन जाएगा। मेरी खुदा से गुज़ारिश है कि वे कभी भी हिन्दुस्तान को पाकिस्तान न बनने दें। गंगा से ही हिन्दुस्तान है। इसलिए गंगा को बचाना सभी हिन्दू-मुसलमानों का फ़र्ज़ है।

कैलाश-मानसरोवर पर चीन सरकार की अनुमति लेकर तीर्थयात्रियों के लिए विशाल धर्मशाला बनवाने वाले स्वामी चिदानन्द महाराज मुनि जी ने सुरसरि गंगा में व्याप्त प्रदूषण के कारण हो रही मौतों का रोंगटा खड़ा कर देने वाला विवरण दिया। उन्होंने सप्रमाण बताया कि देश में आतंकवाद से भी ज्यादा मौतें गंगा का प्रदूषित जल पीने से होती हैं। लखनऊ से पधारे वहां के शाही इमाम मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए बताया कि खुदा ने पानी के रूप में इस दुनिया को सबसे पाक चीज अता की है। कुरान के माध्यम से अल्लाताला ने यह हुक्म दिया है कि पानी को हमेशा पवित्र और साफ़सुथरा रखा जाय। खुदा के इस हुक्म को मानना हरेक मुसलमान के लिए जरुरी है। आज समूची मुस्लिम कौम हिन्दुओं के आगे शर्मिन्दा है जिसने वक्त रहते गंगा की बढ़ती दुश्वारियों की ज़ानिब उनका ध्यान नहीं दिलाया। यह गंगा ही है जिसमें स्नान करके हिन्दू पूजा-पाठ करता है और मुसलमान जिसके पानी से वज़ु करके नमाज़ पड़ता है। गंगा सिर्फ़ हिन्दू-मुसलमानों की ही नहीं, सारे हिन्दुस्तान की विरासत है, धरोहर है। हम हिन्दू और मुस्लिम अपनी भूल सुधारेंगे और साथ मिलकर गंगा को बचाएंगे। कांचिकामकोटि के जगद्‌गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती के आशीर्वचन से आयोजन को विराम दिया गया। इस अवसर पर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी के पौत्र महामना मालवीय मिशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जस्टिस गिरिधर मालवीय, समाजसेवी ओ.पी.केजरीवाल, महेश्वर त्रिपाठी, प्रेमस्वरूप पाठक आदि विभूतियों ने भी अपनी उपस्थिति से गंगाभक्तों का मनोबल बढ़ाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के ख्याति प्राप्त अधिवक्ता और ‘गंगारत्न’ की उपाधि से सम्मानित श्री अरुण गुप्ता जी ने बताया की गंगा एक्ट का प्रारूप तैयारी के अन्तिम चरण में है। प्रयाग में जस्टिस गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में दिनांक 27 से 31 दिसंबर तक होने वाली बैठक में इसे अन्तिम रूप देकर प्रधान मंत्री को सौंप दिया जाएगा।

दिनांक 5 नवंबर को अस्सी घाट पर गंगा महासभा द्वारा आयोजित सम्मेलन कई दृष्टियों से अभूतपूर्व था। हिन्दुओं के साथ मुसलमानों ने जिस उत्साह से कार्यक्रम में भाग लिया और गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की प्रतिज्ञा ली, वह दृश्य दर्शनीय था। यह सम्मेलन भविष्य के लिए एक शुभ संदश दे गया – अखबारबाज़ी, चैनलबाज़ी, बयानबाज़ी करने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकलने वाला। हिन्दुओं और मुसलमानों की ऐसी कोई समस्या नहीं जिसे दोनों समुदाय के धर्मगुरु एक साथ बैठकर हल नहीं कर सकें। जनता एकसाथ रहना चाहती है, धर्मगुरुओं के विचारों में भी काफी समानता है। बांटने का काम कभी जिन्ना और नेहरु ने किया था; आज सोनिया और मुलायम कर रहे हैं। राजनीति ने भारत को काफी नुकसान पहुंचाया है, इसके टुकड़े-टुकड़े किए हैं। हमें राजनीतिज्ञों से सावधान रहने की आवश्यकता है।

 

1 COMMENT

  1. अति सुंदर! विपिन किशोर सिन्हा जी ने इस एतिहासिक सम्मलेन की कार्यवाही का सुखद वर्णन प्रस्तुत कर मुझे कृतार्थ कर दिया है| मेरा उन्हें सप्रेम धन्यवाद|

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