मोदीजी की इमानदारी और भतीजी की लंबी बीमारी से निधन

nikunj-benडा. राधेश्याम द्विवेदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी की 42 साल की बेटी और उनकी भतीजी का हृदय की लंबी बीमारी के बाद 7 sep.2016 को निधन हो गया है। वो काफी समय से दिल की समस्या से जूझ रही थीं। 41 साल की निकुंज का अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में इलाज चल रहा था। पिछले 8-9 सालों से वह बीमार थीं। निकुंजबेन मध्य प्रदेश के भोपाल में परिवार के साथ किराए के घर में रहती थीं। उनके दो बच्चे हैं जिसमें 10 साल का एक बेटा है। बताया जा रहा है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी ना होने के कारण निकुंजबेन घर में सिलाई और प्राथमिक शाला के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर घर का खर्च चलाने में मदद करती थीं और उनके पति जगदीश कुमार एक प्राइवेट फर्म में कंप्यूटर रिपेयरिंग का काम करते हैं। उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी भतीजी निकुंजबेन जगदीश कुमार मोदी की पारिवारिक स्थिति बहुत ही सामान्य थी। वह सिलाई का काम करते हुए अपना जीवन-निर्वाह करती थीं। उन्होंने कभी अपने चाचा का नाम किसी के सामने नहीं लिया। न ही किसी से किसी प्रकार की सहायता ही ली। अहमदाबाद के बोपल में वे एक किराए के मकान में रहती थीं। मोदी के परिवार की सादगी इतनी थी कि उनके परिवार में उनकी इस भतीजी निकुंज बेन की कोई तस्वीर भी उपलब्ध नहीं हो पाई।

प्रहलाद भाई राशन एसोसिएशन डीलर हैं:-नरेंद्र मोदी का जन्म वडनगर में हुआ था। वे कुल 6 भाई-बहन हैं। उनके पिता दामोदर दास मोदी वडनगर में चाय की दुकान चलाते थे। नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े भाई सोमाभाई गुजरात के स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी थे। अमृत भाई उनके दूसरे भाई है। वे अहमदाबाद में लेथ मशीन ऑपरेटर हैं। प्रहलाद भाई राशन एसोसिएशन डीलर है। पंकज भाई मोदी सबसे छोटे हैं।प्रहलाद भाई की अपने भाई के साथ मुलाकात बहुत ही कम हो पाती है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे कभी-कभी ही दिल्ली जाते हैं। पर अपने भाई से मिलने नहीं जाते। प्रधानमंत्री बनने के बाद जब नरेंद्र मोदी मां का आशीर्वाद लेने गांधीनगर आए थे, तब भी उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी। उन्होंने बताया कि पीएम के भाई होने का लाभ वे नहीं लेते। हां, पीएम का भाई होने के नाते उन्हें प्रोटोकाल के अनुसार सिक्योरिटी दी गई है। गम के साये में है पीएम मोदी का समूचा परिवार:- जी-20 समिट में हिस्सा लेकर भारत वापस आते ही पीएम ने सबसे पहले भतीजी के स्वास्थ्य के बारे में पूछा था। भतीजी की गंभीर स्थिति की वह लगातार फोन से जानकारी लेते रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंखे उस समय ज्यादा नम हो गई, जब पता चला कि उनके बड़े भाई प्रहलाद मोदी की बेटी की मौत हो गई है।निकुंज की मौत के बाद प्रधानमंत्री मोदी का समूचा परिवार गम के साये में डूबा हुआ है और घर पर तांता लगा हुआ है। दरअसल वो अपनी भतीजी से बहुत प्यार करते थे। निकंजबेन को उन्होंने अपनी गोद में खिलाया था,पीएम मोदी के भाई और निंकजबेन मोदी के पिता का बेटी के गम में रो-रोकर बुरा हाल है।

अंग्रेजी अखबार ‘अहमदाबाद मिरर’ की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम के भाई प्रह्लाद मोदी ने बताया कि नरेंद्र भाई ने चीन से वापस आते ही निकुंज की हालत के बारे में पूछा। उन्होंने अंतिम संस्कार के बाद भी फोन कर भी इससे जुड़े सभी जरूरी काम पूरे करने को कहा। अब प्रधानमंत्री अपने जन्म दिन पर जब गुजरात आएंगे, तब वे यहां अपने भाई से मिलने आएंगे, ऐसी संभावना जताई जा रही है। यह कहा जा रहा है कि पीएम की भतीजी का निधन होने के कारण वे अपना जन्म दिन बहुत ही सादगी से मनाएंगे। बेटी मुफलिसी में मर गयी:-मोदी जी की सगी भतीजी मने उनके भाई प्रहलाद जी मोदी की बेटी मुफलिसी में मर गयी ।

भाजपा वालों को शासन करना नहीं आता । मोदी की माँ auto riksha में travel करती है । उनके भाई blue collar jobs करते हैं । एक भतीजी शिक्षा मित्र है । दूसरी कपडे सिल के और ट्यूशन पढ़ा के गुज़ारा करती थी। आपसे इतना भी न हुआ कि अपने भाइयों को भी MLA ,MP के टिकट दे मंत्री बनवा देते । बहन बहनोई भी राज्यसभा में होते । भांजे जिला पंचायती लड़ते । अरे कुछ न होते तो ब्लाक प्रमुखी को भी महंगे थे क्या ? भांजे, भतीजे अहमदाबाद व दिल्ली में Liasoning lobbying करते । एकाध कोई रक्षा सौदा , कोई telecom की ठेकेदारी , कोई सड़क बनाने का ठेका ही ले लेते । कुछ न होते तो कोई NGO ही खुलवा देते । 2 -4 करोड़ dollar के Rafael सौदे में ही दिलवा देते।.गुडगाँव बीकानेर में DLF के लिए किसानों से ज़मीन ही ले लेते। ईरान इराक़ से इतनी दोस्ती है , उनसे ही Oil for food जैसा कुछ जुगाड़ कर लेते।सुरेश प्रभु अपने आदमी हैं , रेलवे बोर्ड की दलाली , कुछ ट्रान्सफर पोस्टिंग में ही खा कमा लेते। जो आदमी अपने खानदान का ही विकास न कर पाया, वो देश का क्या ख़ाक विकास करेगा ? मोदी जी आपने और आपकी इमानदारी ने देश का दिल तोड़ दिया ।

लालबहादूर शास्त्री के बाद देश में यह पहला गैर कांग्रेसी नेता है जो न खाता है न खाने देता है। बस देश के लिए जीता और मरता है। समाचार संकलन केंद्र के वर्डसप्प पर पत्रकार बन्धु श्री सत्येंद्र सिंह जी इस खबर से बहुत आहत थे और मोदी जी से नाराज दिख रहे थे। इस पोस्ट से उनकी नारजगी दूर हो जानी चाहिए। नरेंद्र मोदी जी को मुल्लायम, करूणानिधि, मायावती और1900 करोड़ डॉलर वाल्ली सोनिया गाँधी की नकल करना व सीख लेना चाहिए। मुलायम के घर का कुत्ता भी कम से कम ब्लाक प्रमुख तो है ही । सैफई कुनबे के 36 लोग ब्लाक प्रमुख से ले के मुख्य मंत्री तक हैं । जिसके पास चटनी बनाने भर नून नहीं होता था वो कुनबा आज खरबपति है ।इसी तरह करुणानिधि के कुनबे में भी 40 से ज़्यादा लोग राजनीति में हैं । इनका कुनबा भी खरबपति है । आज से 30 साल पहले दिल्ली के पास सिर्फ एक कमरे के एक घर में मायावती का परिवार रहता था । आज उनके भाई का बँगला ,लखनऊ में आगरा के ताजमहल को फेल करता है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के इतने बड़े त्याग और तपस्या को पाकर हर भारत वासी को गर्व महशूस करना चाहिए।

7 COMMENTS

  1. विद्वान् लेखक ने लिखा है की भाजपा वालों को शासन करना नहीं आता. मेरा केवल एक प्रश्न,क्या कोई भी भाजपा वाला अपने माँ बाप , पति पत्नी, बेटे बेटियों या सगे सम्बन्धियों के लिए कुछ नहीं करता?

  2. मैं नहीं जानता कि कितने लोग मुझसे सहमत होंगे ,पर मेरे विचार से इस तरह के व्यवहार की कभी भी सराहना नहीं की जानी चाहिए,क्योंकियह सराहना समाज के उस भाग को प्रोत्साहन प्रदान करेगा,जिन्होंने अपने मद में अपने माँ बाप को त्याग रखा है.मैं इसे शिक्षित समाज का दुर्भाग्य मानता हूँ कि ऐसे अमानवीय कार्य को भी वह सराहनीय मानता है.फिर तो फोन करने की भी क्या जरूरत थी? इसमें भी तो सरकारी पैसा खर्च हुआ होगा.

    • ॥त्यजेदेकं कुलस्यार्थे, ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत । ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थं पृथिवीं त्यजेत॥

      • अर्थात, मनुष्य को परिवार के लिए अपना, समाज के लिए अपना परिवार, राष्ट्र के लिए अपना समाज और आत्मा के लिए संसार बलिदान देना चाहिए।

      • मैं उतनी संस्कृत तो समझता हूँ कि डॉक्टर को साहिब पहले भी उत्तर दे सकता था,पर अब उत्तर देने में ज्यादा आसानी है. केवल एक प्रश्न.क्या कोई बताएगा कि मोदी जी ने परिवार के लिए अपना क्या बलिदान दिया है? इस श्लोक के अनुसार जब आप सामर्थ्यवान होते हैं,तो व्यक्तिगत सुख त्याग कर दूसरों की भलाई में लग जाइये.यह भलाई का क्षेत्र परिवार से प्रारम्भ हो कर वसुधैव कुटुम्बकं तक जाता है. हमारे शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.इसमे जन्म भूमि से पहले जननी शब्द आता है.

  3. किंचित भी सहायता मोदी जी अपने परिवार को करते, तो शिकारी कुत्तों जैसा मीडिया का झुंड उनके पीछॆ पड जाता।
    उनके सूट पर निंदा करनेवाला मीडिया अभी भी चातक दृष्टि से राह देख रहा है।
    मोदी जी ने परिवार को उनसे दिल्ली में मिलने से, मना किया है।
    ये बिका हुआ मीडिया मोदी जानते हैं। गंधी नगर में भी मुख्य मंत्री के कार्यालय में मोदी से परिवार मिलता नहीं था।
    भ्रष्ट भारत भाग्यवान है; पर या तो अज्ञानी है, या मूर्ख है।

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