भेद भाव यह कैसा मम्मी

भैया तो शाला जाता है,

मुझे नहीं जाने देती माँ|

भैया दूध मलाई खाता,

मुझे नहीं खाने देती माँ||

 

मैं लड़की हूं शायद इससे,

भेद भाव मुझसे होता है|

सदा ध्यान मम्मी पापा का,

हरदम भैया पर होता है|

भैया कुछ भी गाता रहता,

मुझे नहीं गाने देती मां||

 

भैया को तो हर महीने में ,

नये वस्त्र सिलवाये जाते|

खेल खिलोने उसके मन के,

जब चाहे दिलवाये जाते|

वह‌ जो चाहे ले आता है,

मुझे नहीं लाने देती मां||

 

गाँव और शहरों में अब भी,

भ्रूण हत्यायें ,जारी हैं|

कुचल्,कुचल दी जाती हर दिन

कितनी कन्यायें क्वांरी हैं|

लड़की को क्यों मार पेट में

गज़ब आज ढाने देती मां||

 

बर्षों बरस आज से पहले,

तुम भी तो माँ लड़की ही थीं|

लड़कों के हर पक्षपात पर ,

तुम नानी माँ पर भड़की थीं|

इतनी समझ आपमें है फिर,

क्यों सब हो जाने देती माँ|

 

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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