कितने खरे उतरे अखिलेश?

अवनीश सिंह भदौरिया

 

सपा प्रमुख मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जब अखिलेश को सत्ता देनी चाही पर, जनता ने नकार दिया था । वहीं दूसरी बार अखिलेश मीडिया और मतदाताओं के अनुरूप अपना रवैया बदल चुके थे। आंतरिक बदलाव का एहसास अखिलेश जी को हुआ और वह परिवर्तन उनके अंदर और पार्टी के अंदर जनता को दिखा और परिवर्तन की लहर पार्टी के प्रति जनता ने उत्साहपूर्वक दिखाया और सपा की सरकार गठित हुई। अब अखिलेश यादव पांच साल अपनी सरकार के पूरे करने वाले हैं। साथ ही विधानसभा चुनाव आ रहे हैं। जिसकी तैयारी में अखिलेश यादव की पूरी टीम जुट चुकी है। अब उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा हायर की गयी कंपनियां रेडियो, टी वी, सोशल मीडिया के जरिये अखिलेश सरकार के कामों का विवरण दे रही हैं। रेडियो पर सरकार के बनने वाले प्रोजेक्ट्स से लेकर आधुनिक तंत्रों से लैस पुलिस अब सफल रुप से उत्तर प्रदेश की जनता की रक्षा करने में समर्थ है। ऐसा जनता जनार्दन को बताया जा रहा है। सत्ता का सुख और लत दोनों की आदत जिसे एक बार लग जाय तो मोहभंग होना मुश्किल होता है।
अखिलेश युवा वर्ग के राजनेता हैं। उनके सोचने और काम करने का ढंग आज की युवा पीढ़ी की तरह है। युवा वर्ग आज सपा सरकार के साथ अखिलेश के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को उत्सुक है। आज आने वाली पीढ़ी और युवा वर्ग दूसरे शहरों में न जाकर अपने प्रदेश में रहकर अपने सपनों को साकार कर सकें ऐसी मूलभूत आवश्यकताओं से लैस अपने शहर को देखना चाहते हैं।  पर, सच्चाई कितनी है। अखिलेश ने सरकार चलायी या उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने या हमेशा अपने वयानों सुर्खियों में रहने वाले नेता आजम खान ने।
सही ढ़ंग से काम करने के लिए सलाहकारों का होना अनिवार्य है। पर अखिलेश सरकार पर पूर्ण नियंत्रण तो सपा सुप्रीमो का ही रहा। अखिलेश मात्र मुखौटा समान, परिवर्तन का नाम है। वारदातों की फेहरिस्त तो सरकारी फाइलों की धूल की तरह परत पर परत है। उत्तर प्रदेश क्या देश के अमूमन हर शहर, हर जिला और हर राज्य में आतंक का कहर छाया हुआ है। सवाल यह नहीं है कि सरकार के रहते क्यों हो रहा है। बल्कि सवाल यह है कि कोई ठोस कदम सरकार की ओर से क्यों नहीं उठाया गया और उठाया जा रहा है। कड़े नियमों का प्रावधान क्यों नहीं लाया गया। जिससे राज्य में रह रहे लोग अखिलेश की सरकार के तहत स्वयं को सुरक्षित महसूस करें।
वहीं, सोशल मीडिया के जरिए खखिलेश सरकार को प्रमोट भी किया जा रहा है। इसी के द्वारा हर रेडियो स्टेशन पर अलग अलग तरह के विज्ञापन आजकल सुने जा रहे हैं। तात्पर्य यह है कहने का कि काम करके नहीं विज्ञापन के जरिये दिखाया जा रहा है जनता को। जिससे जनता आपके रिपोर्ट कार्ड का आंकलन करने में समर्थ हो पायेगी। अखिलेश युवा नेता हैं तो क्या जनता अंधी नहीं है कि उसे अपने काम दिखाने के लिए करोड़ो रुपये सरकार विज्ञापन पर फूंक रही है। यह बात अलग है कि एक इंडस्ट्री को लाभ पहुंचता है। देश उन्नति करता है। पर नजरिया और नियत में बदलाव आवश्यक है।
इसी बजट का आधा हिस्सा प्रजेक्ट्स को सही रूप से प्रोजेक्ट करने में अखिलेश सरकार विचार करती तो उत्तर प्रदेश का चेहरा ही बदल जाता। यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात या राजस्थान, नेतागण मात्र विवादित बयान देकर ही स्वयं को प्रमोट करने के उद्देश्य से मीडिया पर अपनी छवि बनाने में लगे रहते हैं। जिससे देश और गणमान्य नागरिकों से लेकर जन साधारण तक का दिमाग व्यर्थ की उलझनों में उलझ कर रह जाये। सर्व साधारण से जुड़े अहम मसलों पर कितनी सरकारें ध्यान केंद्रित कर पाती हैं।
मात्र सपा सुप्रीमो मलायम सिंह यादव के स्टेज पर यूपी के सीएम और अपने पुत्र से यह पूछना कि बताओ सरकार ने अब तक यह काम क्यों नहीं किया और दूसरे काम को करने के लिए सरकार क्या कर रही है। जनता को क्या ज्ञात नहीं कि लोग नेहरु परिवार पर जो तंज कस रहे हैं पर वहीं मुलायम का परिवार उत्तर प्रदेश में तो बिहार में लालू का परिवार अपनी जड़ों को राजनीति की जमीन पर मजबूत कर रहा है। इलेक्शन के समय प्रमोशन करके अपनी सरकार को बेहतर बनाना पर कार्यशैली वही परंपरागत रखना कितना न्यायोचित है। एक ओर कांग्रेस को ढाल बनाकर देश में डंका पीटना कि यह परिवार सालों से राज कर रहा है देश पर। वहीं दूसरे परिवारों को शह देना कितना तर्कसंगत है। लोकतंत्र का अधिकार समानता का द्दोतक होता है। जिसमें जनता, शासक समरुप से नियम कानून का पालन करे। देश उन्नति करे। मसला यह भी है कि सरकार हार गयी तो क्या करेगी। जाहिर सी बात है विपक्ष में बैठेगी। पर, काम चल निकला है तो चलते रहना चाहिए। हर व्यापार का उसूल होता है। अखिलेश-डिम्पल, डिम्पल की देवरानी और मुलायम के एक और बेटे हैं जिनके लिए सपा सुप्रीमो ने सीट छोड़ दी। दम खम लगाकर जीतना है क्योंकि उत्तर प्रदेश को स्मार्ट सिटी के साथ देश के बाकी राज्यों के तर्ज पर आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आगामी चुनाव जीतना आवश्यक है। यह अखिलेश सरकार का खुद से वादा है। वहीं, कुछ दिनों पहले सपा प्रमुख मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने पुत्र सीएम अखिलेश यादव की सरकार पर ताना मरते हुए कहा, कि अखिलेश सरकार के कुछ नेता रुपया कमाने में लगे हुए हैं। उन्हें किसी की चिंता नहीं है और वह बस अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। सपा प्रमुख मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपनी ही सरकार पर यह तंज कसकर क्या सही में सरकार को सबक सिखाया है या आने वाले सुनावों को लेकर अपने फायदे के लिय यह बयान दिया है? कुछ दिनों में और राजनीतिक नजारे देखने लायक होंगे।
(लेखक दैनिक न्यू ब्राइट स्टार में उप संपादक हैं।)

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