मैं

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alone-manमैं

चुप रहता हूँ

कुछ भी काम नहीं करता

सिर्फ सपने बुनता हूँ

अकेला दौड़ता रहता हूँ

धूल भरी मेड़ों पर ।

 

मैं

खो जाता हूँ

देर तक कविताओं में

और डूबता-उबरता हूँ

उन कविताओं के स्पंदन में ।

 

मैं

नहीं चाहता हूँ

विष बोना

आदमियत की मिट्टी में ।

 

मैं

यही चाहता हूँ

कि प्रेम की गंगा बहे

हर इन्सान की खून में ।

 

इसलिए

मैं बैठा हूँ

अपने सपनों के मेड़ पर

और बंधन खुलती

आपकी कविताओं के पास ।

मोतीलाल

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मोतीलाल
जन्म - 08.12.1962 शिक्षा - बीए. राँची विश्वविद्यालय । संप्रति - भारतीय रेल सेवा में कार्यरत । प्रकाशन - देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं लगभग 200 कविताएँ प्रकाशित यथा - गगनांचल, भाषा, साक्ष्य, मधुमति, अक्षरपर्व, तेवर, संदर्श, संवेद, अभिनव कदम, अलाव, आशय, पाठ, प्रसंग, बया, देशज, अक्षरा, साक्षात्कार, प्रेरणा, लोकमत, राजस्थान पत्रिका, हिन्दुस्तान, प्रभातखबर, नवज्योति, जनसत्ता, भास्कर आदि । मराठी में कुछ कविताएँ अनुदित । इप्टा से जुड़ाव । संपर्क - विद्युत लोको शेड, बंडामुंडा राउरकेला - 770032 ओडिशा

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