ऊधम सिंह की उपेक्षा दर्द पैदा करती है:संजय पासवान

udham singhअजय कुमार आर्य

नई दिल्ली। शहीद ऊधम सिंह की 73वीं पुण्यतिथि के अवसर पर यहां ‘कांस्टिट्यूशन क्लब’ में एक श्रद्घांजलि सभा का आयोजन शहीद ऊधम सिंह फाउण्डेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर फाउंडेशन ट्रस्ट के चीफ पैटर्न और भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय पासवान ने कहा कि ऊधम सिंह जैसा क्रांतिकारी संसार के इतिहास में ढूंढ़ा जाना कठिन है, जिसने अपने वतन के अपमान का बदला 21  वर्ष बाद लिया और 21 वर्ष तक लगातार अपने शिकार को पकड़कर समाप्त करने की साधना भी की। श्री पासवान ने कहा कि मां भारती को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने में ऊधम सिंह जैसे बलिदानियों का बलिदान ही प्रमुख रहा था। पर यह अफसोस की बात है कि आज उन जैसे बलिदानियों का बलिदान भुला दिया गया है। इतिहास में भी उन्हें समुचित स्थान नही मिला। जिसके लिए उनका फाउण्डेशन ट्रस्ट काम करेगा और बलिदानियों को उनका समुचित स्थान दिलाकर रहेगा।

श्री पासवान ने कहा कि देश में असमानता के जो आधार बनकर खड़े हुए हैं उनमें प्रमुख हैं मजहब का, जाति का, क्षेत्र का और भाषा का। हम समता मूलक समाज की स्थापना चाहते हैं परंतु ये चार आधार ऐसे हैं जो समानता स्थापित नही होने देते, इसलिए समाज में विषमता तो बनी ही रहती है। आज समय आ गया है कि हमें इन विषमताओं को जड़ से समाप्त करने के लिए प्राणपण से कार्य करना है। शहीदों को भी एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत कुछ लोगों ने उपेक्षित किया है और विषमताओं के इन्हीं बिंदुओं के आधार पर उनकी उपेक्षा की है। जिससे बड़ी पीड़ा होती है। इसलिए इस सोच को बदल कर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर आयोजित सभा को भाजपा के अनिल जैन, पूर्व मंत्री सत्यनारायण जटिया फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण कुमार सहित कई नेताओं ने संबोधित किया। श्री अरूण ने 13 अप्रैल 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड से लेकर 13 मार्च 1940 तक के उस सारे घटनाक्रम को बड़ी शिद्दत से पेश किया। जिसने ऊधम सिंह जैसे युवक को अमृतसर से उठाकर लंदन भेजा और जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड के हत्यारे ओ डायर को मारकर इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में अपना नाम दर्ज कराया।

कार्यक्रम का संचालन संजय गौतम ने किया। कार्यक्रम में ‘उगता भारत’ के मुख्य संपादक श्री राकेश कुमार आर्य को फाउण्डेशन ट्रस्ट की ओर से अध्यक्ष श्री संजय पासवान द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए सम्मानित भी किया गया। जिनके साथ पत्र के सहसंपादक रामकुमार वर्मा भी उपस्थित थे। इस अवसर पर कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष योगदान श्री भारत भूषण और उनके अन्य ट्रस्टी साथियों का रहा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here