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साहित्यिक मजमेबाजी के प्रतिवाद में - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी एक जमाना था हिन्दी साहित्य में य़थार्थ का चित्रण होता था। विचारधारात्मक बहसें होती थीं। नए मानकों पर आलोचना लिखी जाती थी। इन दिनों हिन्दी साहित्य को तमाशबीनों और मेले-ठेले की संस्कृति ने घेर लिया है। पहले साहित्य में उत्सव गौण हुआ करते थे अब प्रधान हो गए…