पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु ताकत

0
152

संदर्भः-अमेरिकी रिपोर्ट का दावा की 2025 तक पाकिस्तान दुनिया की पांचवीं बड़ी ताकत होगा
weapon
प्रमोद भार्गव
अमेरिका द्वारा किए एक अध्ययन के मुताबिक पाकिस्तान परमाणु हथियारों के निर्माण व भंडारण की दृष्टि से 2025 तक विश्व की पांचवीं महाशक्ति बन जाएगा। विश्व ग्राम में बदलती दुनिया के लिए यह एक ऐसी चेतावनी है,जिससे सतर्क रहने की जरूरत है। भारत के लिए यह रिपोर्ट इसलिए चिंताजनक है,क्योंकि पाक पड़ोसी देश होने के साथ दुश्मन देश भी है। यही नहीं वहां के विदेश सचिव एजाज चौधरी ने अमेरिका की धरती से बेखौफ कहा है कि ‘भारत के संभावित खतरे को रोकने के लिए हम कम क्षमता वाले परमाणु हथियार और मिसाइलों के निर्माण में गतिशील हैं।‘ अमेरिकी थिंक टैंक अध्ययन में भी बताया है कि पाक 2025 तक 220 से 250 तक परमाणु हथियार बना लेगा। जो उसे दुनिया की पांचवीं बड़ी परमाणु शक्ति बना देंगे। साथ ही पाक ने परमाणु हथियार दागने में सक्षम एनएएसआर मिसाइलें भी बना ली हैं,जिनकी मारक क्षमता 60 किमी है। पाक सीमा पर तैनात भारतीय सैनिक और अमृतसर जैसे शहर इसकी मार के दायरे में आसानी से आ सकते हैं। तय है,ये हथियार भारत के शान्तिप्रिय जन जीवन के लिए ज्यादा खतरनाक हैं।
पाकिस्तान की यह खुंखार और डरावनी सूरत इसलिए बन रही है,क्योंकि वह तीन तरह के संकटों से एक साथ सामना कर रहा है। एक आतंकवाद,दूसरे ढह रही अर्थव्यवस्था और तीसरे परमाणु हथियारों का जरूरत से ज्यादा भंडारण। आर्थिक संकट के ऐसी ही बद्तर हालात से उत्तर कोरिया जूझ रहा है। दुनिया में ये दोनों देश ऐसे हैं,जो भारत और अमेरिका पर परमाणु हमला करने की धमकी दोहराते रहते हैं। मानव स्वभाव में प्रतिशोध और ईश्र्या दो ऐसे तत्व हैं,जो व्यक्ति को विवेक और संयम का साथ छोड़ देने को मजबूर कर देते हैं। इस स्वभाव को क्रूरतम परिणति में बदलते हम अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर किए परमाणु हमलों के रूप में देख चुके हैं। अमेरिका ने हमले का जघन्य अपराध उस नाजुक परिस्थिति में किया था,जब जापान इस हमले के पहले ही लगभग पराजय स्वीकार कर चुका था। इस दृष्टि से पाकिस्तान और उत्तर कोरिया पर भरोसा कैसे किया जाए ? बावजूद अमेरिका समेत अन्य बड़ी ताकतें दोरंगी नीतियां अपना रही हैं। यही वजह है कि एजाज चौधरी परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने का ऐलान वाशिंगटन से करने में कोई संकोच नहीं करते। नतीजतन परमाणु अप्रसार संधि सार्थक सिद्ध नहीं हो पा रही है। जबकि यह संधि 1968 में अस्तित्व में आ गई थी। भारत ने भी पाक के एटमी हमले के अंदेशे के चलते इस संधि पर अब तक हस्तक्षर नहीं किए है। जिससे पाक को भय बना रहे कि भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न देश है और वह भी जबावी कार्यवाही में परमाणु शस्त्रों का उपयोग करने से नहीं चुकेगा।
पाक में परमाणु हथियार इसलिए खतरनाक हैं,क्योंकि वहां कई कट्टरपंथी संगठन सक्रीय हैं। नवाज शरीफ की निर्वाचित सरकार होने के बावजूद सुरक्षा संबंधी सभी फैसले सेना लेती है। इस सेना के भीतर भी आतंकवादी सेंध मारने में सफल हो जाते हैं। ऐसे में यदि एटम बम आंतककियों के हाथ लग जाते हैं तो वे भारत समेत दुनिया के विनाश की इबारत लिख सकते है। वैसे भी पाक भारत के खिलाफ छद्म युद्ध के लिए कट्रपंथी मुस्लिम अतिवादियों को खुला समर्थन दे रहा है। मुंबई और संसद पर हमले के दिमागी कौशल रखने वाले योजनाकार दाऊद और हाफिज सईद को पाक ने शरण दे रखी है। यही नहीं भारत के खिलाफ आतंकी रणनीतियों को प्रोत्साहित व सरंक्षण देने का काम पाक की गुप्तचर संस्थाएं और सेना भी कर रही हैं। हालांकि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को सरंक्षण देने के उपाय अब उसके लिए भी संकट बन रहे हैं। आतंकी संगठनों का संघर्श शिया बनाम सुन्नी मुस्लिम अतिवादियों में तब्दील होने लगा है। इससे पाक में अंतर्कलह और अस्थिरता बढ़ी है। ब्लूचिस्तान और सिंघ प्रांत में इन आतंकियों पर नियंत्रण के लिए सैन्य अभियान चलाने पड़े हैं। बावजूद,पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी,सेना और खुफिया तंत्र, तालिबान,अलकायदा,लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मौहम्मद जैसे आतंकी गुटों को खतरनाक नहीं मानते। इन आतंकियों को अच्छे सैनिक माना जाता है,जो धर्म के लिए अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर 6 अगस्त और नागासाकी पर 9 अगस्त 1945 को परमाणु बम गिराए थे। इन बमों से हुए विस्फोट और विस्फोट से फूटने वाली रेडियोधर्मी विकिरण के कारण लाखों लोग तो मरे ही,हजारों लोग अनेक वर्षों तक लाइलाज बीमारियों की भी गिरफ्त में रहे। विकिरण प्रभावित क्षेत्र में दशकों तक अपंग बच्चों के पैदा होने का सिलसिला जारी रहा। अपवादस्वरूप आज भी इस इलाके में लंगड़े-लूल़े बच्चे पैदा होते हैं। अमेरिका ने पहला परीक्षण 1945 में किया था। तब आणविक हथियार निर्माण की पहली अवस्था में थे,किंतु तब से लेकर अब तक घातक से घातक परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में बहुत प्रगति हो चुकी है। लिहाजा अब इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो बर्बादी की विभीषिका हिरोशिमा और नागासाकी से कहीं ज्यादा भयावह होगी। इसलिए कहा जा रहा है कि आज दुनिया के पास इतनी बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार हैं कि समूची धरती को एक बार नहीं,अनेक बार नष्ट-भ्रष्ट किया जा सकता है।
जापान के आणविक विध्वंस से विचलित होकर ही 9 जुलाई 1955 को महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन और प्रसिद्ध ब्रिटिश दार्शनिक बट्र्रेंड रसेल ने संयुक्त विज्ञत्ति जारी करके आणविक युद्ध से फैलने वाली तबाही की ओर इशारा करते हुए शान्ति के उपाय अपनाने का संदेश देते हुए कहा था,‘यह तय है कि तीसरे विश्व युद्ध में परमाणु हथियारों का प्रयोग निश्चित किया जाएगा। इस कारण मनुश्य जाति के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा। किंतु चौथा विश्व युद्ध लाठी और पत्थरों से लड़ा जाएगा।‘ इसलिए इस विज्ञत्ति में यह भी आगाह किया गया था कि जनसंहार की आशंका वाले सभी हथियारों को नष्ट कर देना चाहिए। तय है,भविष्य में दो देशों के बीच हुए युद्ध की परिण्ति यदि विश्वयुद्ध में बदलती है और परमाणु हमले शुरू हो जाते हैं तो हालात कल्पना से कहीं ज्यादा डरावने होंगे।
हमारे प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस भयावहता का अनुभव कर लिया था,इसीलिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में आणविक अस्त्रों के समूल नाश का प्रस्ताव रखा था। लेकिन परमाणु महाशक्तियों ने इस प्रस्ताव में कोई रूचि नहीं दिखाई,क्योंकि परमाणु प्रभुत्व में ही,उनकी वीटो-शक्ति अंतनिर्हित है। अब तो परमाणु शक्ति संपन्न देश,कई देशों से असैन्य परमाणु सूझौते करके यूरेनियम का व्यापार कर रहे हैं। परमाणु ऊर्जा और स्वास्थ्य सेवा की ओट में ही कई देश परमाणु-शक्ति से संपन्न देश बने हैं और हथियारों का जखीरा इकट्ठा करते चले जा रहे हैं।
दुनिया में फिलहाल 9 परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। ये हैं ,अमेरिका,रूस,फ्रांस,चीन,ब्रिटेन,भारत,पाकिस्तान,इजराइल और उत्तर कोरिया। इनमें अमेरिका,रूस,फ्रांस,चीन और ब्रिटेन के पास परमाणु बमों का इतना बड़ा भंडार है कि वे दुनिया को कई बार नष्ट कर सकते हैं। हालांकि ये पांचों देश परमाणु अप्रसार संधि में शामिल हैं। इस संधि का मुख्य उद्देष्य परमाणु हथियार व इसके निर्माण की तकनीक को प्रतिबंधित बनाए रखना है। हालांकि ये देश इस मकसद पूर्ति में सफल नहीं रहे। पाकिस्तान ने ही तस्करी के जरिए उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार निर्माण तकनीक हस्तांरित की और वह आज परमाणु शक्ति संपन्न नया देश बन गया है। उसने पहला परमाणु परीक्षण 2006,दूसरा 2009 और तीसरा 2013 में किया था। उत्तरी कोरिया के इन परीक्षणों से पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में बहुत गहरा असर पड़ा है। चीन का उसे खुला समर्थन प्राप्त है। अमेरिका और जापान को वह अपना दुश्मन देश मानता है। इसीलिए यहां के तानाशाह किम जोंग उन अमेरिका और दक्षिण कोरिया को आणविक युद्ध की खुली धमकी देते रहे हैं। हाल ही में उत्तरी कोरिया की सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी ने 70वीं वर्षगांठ मनाई है। इस अवसर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारी लिऊ युनशान भी मौजूद थे। इसी समय किम ने कहा कि ‘कोरिया की सेना तबाही के हथियारों से लैस है। इसके मायने हैं कि हम अमेरिका जैसे साम्राज्यवादी देश की ओर से छेड़ी गई किसी भी जंग के लिए तैयार हैं।‘ अमेरिका के आधिकारी इस समारोह के ठीक पहले यह आशंका जता भी चुके हैं कि उत्तर कोरिया के पास अमेरिका के विरूद्ध परमाणु हथियार दागने की क्षमता है। दरअसल,कोरिया 10 हजार किलोमीटर की दूरी की मारक क्षमता वाली केएल-02 बैलेस्टिक मिसाइल बनाने में सफल हो चुका है। वह अमेरिका से इसलिए नाराज है,क्योंकि उसने दक्षिण कोरिया में सैनिक अड्ढे बनाए हुए हैं। परमाणु हमलों का खतरा केवल पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया की ही तरफ से नहीं है,हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरून भी कह चुके हैं कि युद्ध की स्थिति में परमाणु विकल्प का बेखौफ इस्तेमाल करेंगे। भारत को आंख दिखाते हुए पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी कह चुके हैं कि उनके परमाणु हथियार महज शोपीस नहीं हैं। इस लिहाज से पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ना भारत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here