वाकई, उप्र में मोदी की सुनामी है

-सुरेश हिन्दुस्थानी-
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भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी अमित शाह का कहना है कि वाराणसी में जैसे ही पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी नामांकन जमा करेंगे, वैसे ही मोदी नाम की लहर सुनामी में परिवर्तित हो जाएगी। वास्तव में यह कहना वर्तमान राजनीतिक स्थिति को अक्षरश: रेखांकित करता है। यह कहना इसलिए भी तर्कसंगत माना जा सकता है कि आज देश के सभी राज्यों में भाजपा के प्रति एक ज्वार है, जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उनमें स्थिति और आंकड़े प्रगतिगामी हैं, और जिन राज्यों में सरकारें नहीं हैं, उनमें अपेक्षा से अधिक सफलता मिलने के संकेत दिखाई देने लगे हैं। भाजपा के प्रति लोगों का लगाव और झुकाव ऐसे ही नहीं आया होगा, इसमें गैर भाजपा दलों की कारगुजारियां और सरकार चलाने की शैली भी बहुत बड़ा कारण माना जा सकता है। लेकिन जिस प्रकार से नरेन्द्र मोदी ने देश की पूरी राजनीति को ही अपने इर्द गिर्द कर लिया है और जिस प्रकार से आम जनमानस की आशाओं के केन्द्र बिन्दु बनकर उभरे हैं, उससे साफ लगता है कि नरेन्द्र मोदी की आवाज में वो दर्द है जिससे देश का हर नागरिक पीड़ित है। एक कार्यक्रम में प्रख्यात पत्रकार रजत शर्मा ने स्वयं कहा था कि आज तक मैंने कई चुनाव देखे हैं, लेकिन ऐसा चुनाव पहली बार देख रहा हूं जिसमें सभी नेता और देश की जनता मोदी, मोदी चिल्ला रहे हैं। वास्तव में पहले के चुनावों में जो राजनीतिक लहर या सहानुभूति रही, उसके पीछे कोई न कोई कारण रहे, फिर चाहे वह इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति हो या फिर कुछ और…। हर चुनाव में कोई न कोई लहर दिखती थी। आज भी देश में एक लहर है, लेकिन यह एक अलग प्रकार की लहर है। देश की सारी राजनीति का केन्द्र एक ही राजनेता है, वह है नरेन्द्र मोदी, केवल नरेन्द्र मोदी। क्योंकि नरेन्द्र मोदी के बिना किसी भी पार्टी के नेता का भाषण अधूरा है, वह भाषण चाहे समर्थन में हो या फि विरोध में ही हो, नरेन्द्र मोदी हर नेता के भाषण में प्रतिबिंबित होते हैं।

वास्तव में नरेन्द्र मोदी का प्रचार तो विरोधियों ने ही किया है, उन्हें इस लायक बनाने में गैर भाजपा दलों का योगदान माना जा सकता है, लेकिन यह उतना सत्य नहीं कहा जा सकता। क्योंकि इसके पीछे गुजरात का वह विकास है, जहां मुसलमानों ने भी जबरदस्त प्रगति की है। आज से 15 वर्ष पूर्व गुजराती मुसलमानों की जो स्थिति थी, आज वह उससे कई गुना बेहतर स्थिति में हैं। भाजपा सभी राज्यों में जिस स्थिति में देखी जा रही है, उससे भाजपा के कार्यकर्ताओं का उत्साहित होना स्वाभाविक है। आज पूरे देश का प्रचार तंत्र और जनता में जो आवाज सुनाई दे रही है, वह यही है कि एक मोदी को रोकने के लिए देश की सारी राजनीतिक शक्तियां एकत्रित हो गईं हैं। क्या मोदी का कद वास्तव में इतना विस्तारित हो चुका है कि सारे दलों के विरोध करने के बाद भी उनका कद बढ़ता ही जा रहा है। इसमें विरोधियों ने मात ही खाई है, आज तक नरेन्द्र मोदी ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा कि विरोधियों को बोलने का अवसर मिल जाए, वह जो कुछ भी बोलते हैं वह देश से सरोकार रखने वाली भाषा होती है और राष्ट्रप्रेम को दर्शाने वाली भाषा का कोई विरोध कर भी नहीं सकता। नरेन्द्र मोदी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि हम कुछ बनने के लिए नहीं बल्कि कुछ करने के लिए आए हैं। देश को वादे नहीं, इरादे चाहिए। कहा जा सकता है कि आज इन्हीं इरादों की खातिर देश में नरेन्द्र मोदी की हवा का असर दिखाई दे रहा है और भाजपा नेताओं के मुताबिक यही हवा सुनामी का रूप लेगी।

वाराणसी में नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति मात्र ने कई राजनेताओं की जमीन हिलाकर रख दिया है। इतना ही नहीं कई स्थापित नेताओं को अपनी संभावित हार भी दिखाई देने लगी है। देश के संचार माध्यमों के तमाम सर्वे इस बात का खुलाशा कर चुके हैं कि राजनीतिक दृष्टि से सबसे बड़े इस प्रदेश में भाजपा एक नम्बर की पार्टी बनकर सामने आई है, केवल नम्बर ही नहीं बल्कि भाजपा दो तिहाई सीट प्राप्त करने की स्थिति में है। कांग्रेस की सबसे बड़ी दुविधा यह है कि वह उत्तरप्रदेश में चार विरोधी दलों से सामना कर रही है। जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है तो यह तो तय है कि भाजपा इस चुनाव में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन कर सकती है। वहीं दूसरी ओर सोनिया के चुनाव क्षेत्र में कांग्रेस का समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी यह कतई नहीं चाहेगी कि उसका प्रभाव कम हो जाए, क्योंकि सपा की सोच यह है कि इस बार भी मोदी को रोकने के नाम पर वह कांग्रेस को समर्थन देने लायक सीट प्राप्त करले। वास्तव में सपा को वोट देने का एक अर्थ यह भी निकाला जा सकता है कि वह कांग्रेस को दिया गया गया है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी की भूमिका भी कमोवेश इसी सिद्धांत के आस पास घूमती हुई दिखाई देती है। वह भी जिस प्रकार से चुनाव लड़ रही है उससे साफ दिखाई देने लगा है कि वह भाजपा का समर्थन तो बिलकुल नहीं करेगी, हां कांग्रेस के लिए जरूर तैयार हो सकती है। वर्तमान में उत्तरप्रदेश में भाजपा के सामने हर दल को अपनी सीट बचाने की चुनौती पैदा हो गई है।

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