भारत में ग्राम सु-राज्य के नए दौर का आगमन : डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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भारत ग्रामों का देश है, यहां कि सत्तर प्रतिशत जनसंख्या छोटे-छोटे गांवों में निवास करती है। यही वह गांव हैं जो इस देश की विकास यात्रा में अपना योगदान तो पूरा देते हैं लेकिन स्वयं विकास के लिए तरसते हैं। कल तक यह धारणा न केवल भारत के अंदर मान्य थी बल्कि दुनिया भी यही मानती आ रही है कि हिन्दुस्तान के ग्रामों को यदि शहर की तरह विकसित किया जाए तब भी मुख्यधारा में लाने में उन्हें सौ साल से अधि‍क लग जायेंगे, किंतु अब ऐसा नहीं रहेगा। वस्तुत: देश के प्रधानसेवक के एक निर्णय ने आज दुनिया को यह अहसास करा दिया कि इस देश के गांव बदलने लगे हैं। अपने सु-राज्य, स्व-शासन, स्वच्छता, सहकार और विकास के लिए आने वाले सौ सालों तक यहां किसी को इंतजार नहीं करना होगा।

वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “सांसद आदर्श ग्राम योजना” से जन सेवकों के लिए जो आदर्श ग्राम के बुनियादी ढांचे का मॉडल रखा है, उसने आज हर ग्रामीण के मन में आशा की किरण जगाई है। आजादी के बाद से उपेक्षा का शिकार रहे गांवों में खुशहाली लाने के लिए सरकार की इस पहल से उन्हें लगता है कि कल तक अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा देने वाली भाजपा केंद्र में सरकार बनाने के बाद हकीकत में इस विषय को लेकर गंभीर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही आदर्श ग्रामों की स्थापना पर अपना दृष्टिकोण रखा, पहले दिन से ही लोगों का समर्थन इसे मिलने लगा। जिसे देखकर कहा जा सकता है कि भारत के गांव  आधुनिक हों, यह इच्छा तो सभी रखते थे लेकिन किसी के पहल का इंतजार किया जा रहा था। निश्चित ही इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान आ जाएगी। आदर्श ग्राम योजना से गांवों में उपभोक्ता सामानों की मांग बढ़ेगी जो इस बात का द्योतक होगा कि गांवों में रहने वाले निवासियों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से अपने वर्तमान कार्यकाल में कम से कम तीन आदर्श गांव बनाने का आग्रह किया है। यदि उनकी इस अपील को जनप्रतिनिधि‍यों ने गंभीरता से ले लिया तो गांव भी शहरों की तरह मांग आधारित सुविधा की सीढ़ी चढ़ते कुछ ही वर्षों में दिखाई देंगे । वैसे भी सांसद विकास निधि की शुरुआत के पीछे उद्देश्य यही रखा गया था कि सांसद स्थानीय विकास में  योगदान देने के लिए अपने अधि‍कतम प्रयास करें और उनके इन प्रयासों में धन की कमी आड़े ना आए। इसीलिए ही सांसद निधि‍ के रूप में उन्हें प्रदाय की जाने वाली राशि में साल दर साल बढ़ोत्तरी की जाती रही जो 800 करोड़ रुपये प्रति वर्ष से बढ़कर 4000 करोड़ रुपये पर जा पहुंची है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2024 तक हर सांसद को एक गांव आदर्श बनाने का लक्ष्‍य दिया है। इस तरह अगले 10 वर्षों में 6 हजार 360 गांव आदर्श बन चुके होंगे। मोदी हर राज्‍य में 10 गांवों को आदर्श ग्राम बनाना चाहते हैं ताकि उनसे अन्य ग्राम प्रधान और वहां के रहवासी प्रेरणा ले सकें तथा जिनके भ्रमण के बाद हर भारतवासी गर्व महसूस करे।

मोदी के गांवों को विकसित करने का अपना फार्मुला है, देश में 545 लोकसभा सांसद और 250 राज्‍य सभा सांसद है। यह मिलाकर कुल संख्‍या 795 संसद जनप्रतिनिधि‍यों की है।          इस “सांसद आदर्श ग्राम योजना”  में प्रत्येक सांसद को 2016 तक एक गांव को आदर्श बनाना है, जिन तरह की यह योजना है यदि उस तरह यह सफल हो जाती है तो भारत में 2016 तक आदर्श गांवों की संख्‍या 7 हजार 95। हो जाएगी। जिसे ह‍म एक अच्छा आंकड़ा मान सकते हैं।

इसी योजना के दूसरे चरण में प्रत्येक जन प्रतिनिधि‍ को अपने संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2019 तक दो गांवों को आदर्श बनाना आवश्यक है। यदि इस हिसाब से 795 सांसद अपने यहां के दो-दो गांवों को विकसित करेंगे, तो कुल गांवों की यह संख्‍या 1 हजार 590 हो जाएगी। इसके आगे प्रत्येक सांसद को वर्ष 2019 से 2024 तक पांच गांव आदर्श बनाने का लक्ष्‍य दिया गया है। इस लिहाज से कुल आदर्श गांवों की संख्‍या इस अविध में 3 हजार 975 होती है। इन सभी गांवों की संख्‍या को अब जोड़कर देखेंगे, तो अगले 10 वर्षों में आदर्श गांवों की संख्‍या 6 हजार 360 होगी।

वस्तुत: भारत के ग्राम विकास को लेकर किए गए अध्ययन भी आज यही बता रहे हैं कि यहां शहरों में जितनी आरंभि‍क विकास की संभावनाएं थीं वह पूरी हो चुकी हैं। अब तो सिर्फ छोटे कस्बों, नगरों और ग्रामों से रोज आ रही हजारों की भीड़ को ठहराने की वैकल्पिक व्यवस्थायें देने के साथ आवश्यकतानुसार नगर विकास की योजनाओं में परिवर्तन करना है। जबकि नए परिवर्तन के लिए दुनियाभर की कंपनियों के लिए शहर नहीं गांव ज्यादा लाभ देंगे, इसलिए विकास की नवीनतम संभावनाएं भी यहीं तलाशना होगा।

जब इस बात को लेकर एक निजी एजेंसी रैंडस्टैड ने सर्वे कराया तो उसका निष्कर्ष यही निकला कि भारत का ग्रामीण बाजार आनेवाले दिनों में फार्मा, दूरसंचार व आइटी कंपनियों के लिए अत्या‍धि‍क लाभकारी सिद्ध होगा। भविष्य में दूरसंचार क्षेत्र में जो प्रगति होगी वह ग्रामीण मांग के कारण होगी। हर पंचायत को ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ने की सरकार की योजना इसे और आगे पहुंचाएगी। यही कारण है कि जब फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग जैसे लोग भारत की यात्रा पर आते हैं तो उन्हें अपनी कंपनी के लिए यहां के ग्रामों में अपार संभावनाएं नजर आने लगती हैं।

वस्तुत: प्रधानमंत्री मोदी आदर्श ग्राम विकास के द्धारा स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, विकास के साथ-साथ आपसी सौहार्द्र का केंद्र देश में हर जगह खड़ा करने की मुहीम में जुटे दिखाई दे रहे हैं, इसे हम विकसित भारत की दिशा में बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम भी मान सकते हैं। केंद्र सरकार की “सांसद आदर्श ग्राम योजना” को आज हम ग्राम विकास की दिशा में पहली शुरूआत मानें, लेकिन इसका कुछ वर्षों में ही सांसदों से होते हुए महापौर, विधायकों, जनपद अध्यक्षों और उसके नीचे के जो-जो जन प्रतिनिधि‍यों के दायित्व पद हैं उन तक जाना तय माना जा सकता है।

देश में छह लाख से अधिक गांव हैं। जाहिर है कि सभी को एक समय में आदर्श गांव नहीं बनाया जा सकता, इस दिशा में कुछ मुश्किलों के साथ डगर कठि‍न अवश्य है, किंतु यह काम असंभव नहीं, क्यों कि इस योजना से प्रेरणा लेकर आगे विधायक विकास निधि से विधायक आदर्श ग्राम योजना तथा अन्य जन प्रतिनिधि‍ माध्यमों से देश के सभी ग्रामों को आदर्श बनाया जा सकता है। देश में आज “सांसद आदर्श ग्राम योजना” के प्रारंभ हो जाने के बाद यह अनुमान लगाया जाना बिल्कुल मुश्किल नहीं रह गया है कि भारत में अब आनेवाले दिनों में ग्राम विकास कितनी तेजी से होगा। उम्मीद है कि ग्रामों का यह देश अब सभी को अधि‍क गति के साथ विकास के पायदान पार करता नजर आएगा।

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मयंक चतुर्वेदी
मयंक चतुर्वेदी मूलत: ग्वालियर, म.प्र. में जन्में ओर वहीं से इन्होंने पत्रकारिता की विधिवत शुरूआत दैनिक जागरण से की। 11 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय मयंक चतुर्वेदी ने जीवाजी विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के साथ हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर, एम.फिल तथा पी-एच.डी. तक अध्ययन किया है। कुछ समय शासकीय महाविद्यालय में हिन्दी विषय के सहायक प्राध्यापक भी रहे, साथ ही सिविल सेवा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को भी मार्गदर्शन प्रदान किया। राष्ट्रवादी सोच रखने वाले मयंक चतुर्वेदी पांचजन्य जैसे राष्ट्रीय साप्ताहिक, दैनिक स्वदेश से भी जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर लिखना ही इनकी फितरत है। सम्प्रति : मयंक चतुर्वेदी हिन्दुस्थान समाचार, बहुभाषी न्यूज एजेंसी के मध्यप्रदेश ब्यूरो प्रमुख हैं।

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