भारत एक बड़ा बाज़ार बन गया है
बिकने लगा सब कुछ विदेशी हाथों का औज़ार बन गया है
इंसान बिक गया, ईमान बिक गया
घर में रखा साजों-सामान बिक गया
विचार बिक गया समाचार बिक गया
आदमी की भीतर से बाहर तक शिष्टाचार बिक गया
अब खिलौनों की क्या बात करे
ना रहा दम-ख़म खेल में
खिलौने बिकते-बिकते खिलाड़ी बिक गया
मंत्री बिक गया मंत्रालय बिक गया
दिल के रखवाली करने वाला चिकित्सालय बिक गया
ज्ञान की गंगा बहाने वाला विश्वविद्यालय बिक गया
सरकार से लोकतंत्र तक आदमी के हित का हवाला देने वाला न्यायालय बिक गया
सचिव की कीमत कम जहाँ उससे ऊँचा सचिवालय बिक गया
दुःख से भरा दुखिया का जीवन
अनाथों का अनाथालय बिक गया
जब सब बिक गया तो पहुंचे मंदिर के चौखट पर दुखमय
पता चला वो देवालय भी बिक गया
वैरी फाइन