अंतरिक्ष में भारतीय मितव्ययता का परिचायक : स्‍क्रेमजेट परीक्षण

डॉ. शुभ्रता मिश्रा

किसी भी राष्ट्र, समाज और परिवार के विकास में मितव्ययता का अपना विशेष महत्व होता है। विश्व में आज अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण कर निवेश के माध्यम से विकास प्रक्रिया को आगे बढाने की महती आवश्यकता है। निवेश किसी भी क्षेत्र में हो सकता है, चाहे वह विज्ञान और तकनीकी का क्षेत्र ही क्यों न हो। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में इसी मितव्ययता का परिचय हमारे इसरो के वैज्ञानिकों ने एडवांस्‍ड टेक्‍नोलॉजी से लैस स्‍क्रेमजेट इंजन के सफल परीक्षण के साथ एक बार फिर देश के समस्त दिया है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र से 28 अगस्त को इसरो के वैज्ञानिकों ने स्‍क्रेमजेट इंजन का परीक्षण किया। वास्तव में स्क्रैमजेट इंजन का प्रयोग केवल रॉकेट के वायुमंडलीय चरण के लिए होता है। इस परीक्षण के दौरान स्‍क्रेमजेट इंजन को 1970 में तैयार किए गए तीन टन वजन के आरएच-560 नामक साउंड रॉकेट में लगाया गया था। ऐसे तो जो परंपरागत रॉकेट इंजन होते हैं, उनमें ईंधन को जलाने के लिए अलग से ऑक्सिडाइजर लगाने पड़ते हैं, लेकिन स्‍क्रेमजेट इंजन में एक प्रकार का एयर ब्रीदिंग प्रोपल्‍सन सिस्‍टम लगा होता है, जिससे यह विशिष्ट इंजन ईंधन को जलाने के लिए वातावरण में उपस्थित ऑक्‍सीजन का उपयोग करके रॉकेट को सुपरसोनिक स्पीड प्रदान करता है। ऐसा करने से इसमें अलग से ऑक्‍सीडाइजर लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। इससे स्‍क्रेमजेट इंजन वाले यानों का वजन भी लगभग आधा हो जाता है।
हाल ही में किए गए स्‍क्रेमजेट इंजन के सफल भारतीय परीक्षणों से भारतीय वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि हाँलाकि स्‍क्रेमजेट इंजन में द्रव हाइड्रोजन भी होती है, जो ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलकर रॉकेट को ऊर्जा प्रदान करती है। पहले चरण में रॉकेट इसी ऊर्जा का उपयोग कर आगे बढ़ता है। फिर दूसरे चरण में जब रॉकेट की गति, ध्वनि की गति से छः गुना अधिक हो जाती है, तब लगभग 20 किमी की ऊंचाई पर स्क्रेमजेट इंजन वायुमण्डलीय ऑक्सीजन लेकर अपना काम शुरू कर देते हैं। वैसे पृथ्वी की सतह से 50 किलोमीटर की दूरी तक वायुमंडल में ऑक्सीजन उपलब्ध रहती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि स्क्रैमजेट इंजन वायुमण्डलीय ऑक्सीजन को द्रवित भी कर सकता है और इस द्रवित ऑक्सीजन को रॉकेट में संग्रहित भी किया जा सकता है।
नासा ने सबसे पहले सन् 2004 में स्‍क्रेमजेट इंजन का प्रदर्शन किया था। इसके बाद इसरो ने सन् 2006 में स्‍क्रेमजेट का भूपरीक्षण किया था। जबकि देखा जाए तो विश्व के तकनीकी सर्वोत्तम कहे जाने वाले देश जापान, चीन, रूस और यूरोपीय संघ आज भी इस स्‍क्रेमजेट इंजन वाली सुपरसोनिक कॉमबस्‍टर तकनीक के परीक्षण में ही लगे हुए हैं। सही मायनों में कहें तो उनको अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। इन सबको पीछे छोड़ते हुए भारत ने 28 अगस्त 2016 को वो कर दिखाया, जिससे दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय की आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गईं। आगामी भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम एवं शोध में अब इससे और अधिक सहायता मिलेगी। यह माना जा रहा है कि हाइपरसोनिक गति से जाने वाले यानों के लिए स्‍क्रेमजेट इंजन अत्यंत ही उपयुक्‍त साबित होंगे।
भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत की वसुधैव कुटुम्बकम और मितव्ययिता की अपनी प्राचीन परम्परा का निर्वहन करते हुए एक ऐसे स्‍क्रेमजेट इंजन का सफल परीक्षण किया है, जिससे अब सैटेलाइट प्रक्षेपण के खर्चें और कम हो जाएंगे क्योंकि अब इससे ईंधन में ऑक्सीडाइजर की मात्रा को कम करके प्रक्षेपण पर आने वाले खर्च में कटौती की जा सकेगी। इससे आगामी लॉन्चिंग की कीमत तुलनात्मक रूप से लगभग 10 गुना तक कम हो सकती हैं। इसके साथ ही यह स्‍क्रेमजेट इंजन रियूजेबल लॉन्‍च व्‍हीकल को हायरपासोनिक स्‍पीड पर उपयोग करने में भी सहायक सिद्ध होगा। इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार इस सफल परीक्षण के पश्चात् अब स्‍क्रेमजेट इंजन को फुल स्‍केल आरएलवी में प्रयोग किया जा सकेगा।scram jet

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डॉ. शुभ्रता मिश्रा
डॉ. शुभ्रता मिश्रा वर्तमान में गोवा में हिन्दी के क्षेत्र में सक्रिय लेखन कार्य कर रही हैं। डॉ. मिश्रा के हिन्दी में वैज्ञानिक लेख विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं । उनकी अनेक हिन्दी कविताएँ विभिन्न कविता-संग्रहों में संकलित हैं। डॉ. मिश्रा की अँग्रेजी भाषा में वनस्पतिशास्त्र व पर्यावरणविज्ञान से संबंधित 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । उनकी पुस्तक "भारतीय अंटार्कटिक संभारतंत्र" को राजभाषा विभाग के "राजीव गाँधी ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार-2012" से सम्मानित किया गया है । उनकी एक और पुस्तक "धारा 370 मुक्त कश्मीर यथार्थ से स्वप्न की ओर" देश के प्रतिष्ठित वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है । मध्यप्रदेश हिन्दी प्रचार प्रसार परिषद् और जे एम डी पब्लिकेशन (दिल्ली) द्वारा संयुक्तरुप से डॉ. शुभ्रता मिश्रा के साहित्यिक योगदान के लिए उनको नारी गौरव सम्मान प्रदान किया गया है।

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