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विकास की भारतीय रूपरेखा - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-कन्हैया झा- "सर्वे भवन्तु सुखिनः" श्रृंखला (*) के आखिरी दसवें लेख में "विराट भारत" की कल्पना दी गयी है. एक विराट राष्ट्र ऐसा विशाल है "जिसमें सब चमकते हैं" अर्थात सभी विकसित हैं. "अर्थस्य मूलह राज्यम" के अनुसार शासनतंत्र का मुख्य कार्य देश के अर्थ पुरुषार्थ को पोषित कर सम्पन्नता…