भारत की भ्रष्ट परिवारवादी राजशाही..

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एल.आर.गाँधी

तीन दशक से मिस्र पर एक छत्र निरंकुश तानशाही हकुमत करने वाले हुस्नी मुबारक आज एक पिंजरे में बंद अपने दो राज कुमारों के साथ अपने विरुद्ध चल रही अदालती कार्रवाही में अपनी उमर्द्रज़ बुढ़ापे का रोना रो कर दया की भीख मांग रहे हैं. जनता के आक्रोश के आगे अदालत के जज चाह कर भी इस तानाशाह पर दया नहीं कर पाएंगे ! तानाशाह हुस्नी मुबारक मिस्र की जनता के आक्रोश को समय रहते नहीं समझ पाए ! अरब देशों में चल रहे युवा आन्दोलन की हवा भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश भी पहुँच जायगी – यहाँ की लोकतान्त्रिक -निरंकुश -परिवारवादी राजशाही अभी तक विशवास नहीं कर पा रही.

भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना का आन्दोलन शहरी मध्यवर्ग से होता हुआ कस्बों और गाँव तक द्रुत गति से बढ़ रहा है. मगर भ्रष्टाचार में आकंठ -डूबा शासक वर्ग अभी तक हुस्नी मुबारक की ही भांति इसे हलके में ले रहा है. सरकार और कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया रामदेव बाबा की भांति ही अन्ना को भी डराने और धमकाने की रही. मगर बात नहीं बनी. अब कांग्रेसी नेतृत्‍व की प्रतिक्रिया अन्ना आन्दोलन की उपेक्षा और इसे अपनी मौत मरने को छोड़ देने की है. कांग्रेस के राज कुमार जो बात बात पर बतियाते नज़र आते थे …. कल एक समारोह में अन्ना के सवाल पर चुप्पी साध गए जैसे बहुत ही महत्त्वहीन मसला हो. राहुल बाबा प्रजा राज्यम पार्टी के चिरंजीवी को कांग्रेस में जमा होने के समारोह में अपने पिता राजिव गाँधी के जयंती अवसर पर मौजूद थे. चिरंजीवी ने कांग्रेस में दाखिल होते ही राज कुमार को देश का भावी प्रधानमंत्री घोषित कर अपनी राजभक्ति का परिचय दिया. एक मंत्री महोदय वीरभद्र सिंह ने तो अन्ना आन्दोलनकारियों को डफलीबाज़ तक कह डाला और इनके जनसमर्थन को भारत की १२१ करोड़ की आबादी में महत्त्वहीन करार दिया.यह बात अलग है की वीरभद्र जी को देश की आबादी तक का नहीं था पता …पूछ पाछ कर बोले… तो भी १२१ मिलियन कह बैठे.

आज जन – जन यह जान गया है कि देश पर पिछले पांच दशक से राज करने वाली पार्टी और परिवार ने इस देश को दोनों हाथों से खूब लूटा है. स्विस बैंकों में भी इनका ही अरबों रूपया जमा है. तभी तो बाबा राम देव के आन्दोलन को आधी रात को पुलसिया कार्रवाही से खदेड़ा और अब अन्ना को धमकाने -लटकाने और थकाने का खेल चल रहा है.अन्ना को एन.जी.ओ संगठनों का समर्थन प्राप्त है. अब सरकारी सहायता प्राप्त एन.जी.ओ’ज को पटाया जा रहा है.सोनिया जी की किचन केबिनेट की सदस्य अरुणा रे एक और जनपाल बिल ले कर मैदान में उतरी हैं ..आन्दोलन को कुंद करने का खेल जारी है. राम लीला मैदान में आन्दोलनकारियों को नल का जल पिला कर बीमार किया जा रहा है… सरकार जानती है की अन्ना के एन.जी.ओ समर्थक केवल बिसलरी का बोतल बंद पानी ही पचा पाते हैं. सत्ता धारी अभी तक तो आन्दोलन कारी कितने पानी में हैं… इसी चिंतन में व्यस्त हैं.

सत्ता के नशे में चूर लोकतान्त्रिक-निरंकुश -परिवारवादी भ्रष्ट तंत्र के लोग जनता के आक्रोश को भांपने की समझ गवां बैठे हैं. जनता भ्रष्टाचारी तंत्र से त्रस्त है और अन्ना ने जनता की दुखती रग पर हाथ रक्खा है… समय रहते यदि जनता के आक्रोश को नहीं समझा और शांत किया गया … तो वह दिन दूर नहीं जब मिस्र के ताना शाह हुस्नी मुबारक की भांति ये लोग भी जनता की अदालत में ‘पिंजरे में बंद ‘ दया की भीख मांग रहे होंगे.

फर्क है बस किरदारों का

बाकी खेल पुराना है…….

2 COMMENTS

  1. आजादी के ६३-६४ साल बाद ही सही कम से कम आम जनता के अन्दर अंग्रेजो के फैलाये हुए वायरुस (३ प्रमुख virus – चाय, क्रिकेट, अग्रेजी) का असर भले ही कम न हो रहा हो kintu आम जनता का स्वाभिमान जागने लगा है. गुलामी की मानसिकता ख़त्म हो रही है.
    श्री गाँधी जी बिलकुल सही कह रहे है की सत्ता सुख के आदि परिवर्तन की आंधी को भाप नहीं पा रहे है या भाप कर भी स्वीकार नहीं कर प् रहे है.

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