भारत हथियाने के विदेशी षडयंत्र

डॉ.कैलाश चन्द्र

भारत हथियाने के विदेशी षडयंत् अंग्रेजों ने भारत को 200 वशोर्ं तक गुलाम बनाये रखा। कुछ अंग्रेज़ व्यापारी 17वीं शताब्दी में भारत में आकर व्यापार करने लगे, उन्होनें अपनी फैक्ट्रीयाँ बनाईं और उनकी सुरक्षा के प्रबंध करते हुए अपनी सैनिक भाक्ति यहां के लोगों को भरती करके ब़ाते चले गये। सर्वविदित है कि अंग्रेजों ने दो विश्वयुद्ध, पहला सन 1914 से 1918 का और दूसरा 1939 से 1945 का भारतीय फौजों के द्वारा ही जीते। परन्तु उससे भी पहले अंग्रेजों ने भारतीय सेना के द्वारा ही धीरेधीरे पूरे भारत को भी जीत लिया था। भारतीय सेना में आज भी डेढ़ दो सौ वर्ष पुरानी अंग्रेजों द्वारा बनाई हुई रेजिमेंटें हैं, यदि आप उनके इतिहास पढ़ें तो चकित रह जायेंगे कि किस प्रकार से यहां की सेना के बल पर ही भारतीय राजाओं को परास्त करके भारत को गुलाम बनाया गया।

आज कांग्रेस की अध्यक्षा बनी इटली की श्रीमती सोनिया गांधी अपनी बुद्धि और चतुराई के बल पर भारत की सर्वाशक्ति सम्पन्न बेताज बादाशह बन गई है। उन्हीं की इच्छा का प्रधानमंत्री बनता है, उन्हीं के आाशीर्वाद से राश्ट्रपति, पूरा मंत्रीमण्डल भी, चाहे गृहमंत्री, रक्षामंत्री हो, चाहे मुख्य निर्वाचन आयुक्त या केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त हो, सी.बी.आई. का प्रमुख हो या राश्ट्रीय सलाहाकार परिशद के सदस्य हों। सभी एक ही व्यक्ति के आाीर्वाद से अपने पदों पर आसीन है। बस उनमें एक ही परिवार के प्रति वफादारी होनी चाहिए। हिन्दुओं के वोटों से ही सत्ता प्राप्त करके, लगातार हिन्दुओं को आर्थिक और राजनैतिक रूप से कमजोर करते हुए, दो के संसाधनों को अल्पसंख्यकों के ही साक्तिकरण में लगाकर, नौकरियों में हिन्दुओं का प्रतित घटाकर, सुरक्षा बलों में गैर हिन्दुओं को अधिक से अधिक भर्ती करके अपना खेलखेल रही हैं। क्योंकि यदि भारत पर राज करना है तो यहां के 80 प्रतित बहुसंख्यक हिन्दू समाज को कमजोर करके और अन्य अल्पसंख्यकों को साथ लेकर ही राज किया जा सकता है।

60 के दशक में होप कूक ;भ्वचम ब्ववामद्ध नाम की एक अमेरिकी लड़की भारत आई और सिक्किम के राजकुमार से विवाह रचा कर सिक्किम की महारानी बन बैठी और भारत को आंखें दिखाने लगी। पिचम बंगाल के दार्जलिंग जिले पर उसने अपना दावा ठोक दिया की भारत यह क्षेत्र सिक्किम को वापस करे। वह तो भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की कुालता और बुद्धिमत्ता ही थी कि सिक्किम में राजपरिवार के विरुद्ध विद्रोह खडा हो गया और सिक्किम का भारत में विलय हो गया। ऐसे ही बारबरा नामक एक विदोी लड़की ने नेपाल के राजघराने से सम्बन्ध ब़ाकर राजा नहीं तो राजा के भाई से विवाह कर लिया।

लेडी मांउटबेटन ने पंडित जवाहरलाल नेहरु को अपने प्रेमपा में ऐसा फसाया कि नेहरु जी कई महत्वपूर्ण निर्णय लार्ड मांउटबेटन की इच्छा के अनुसार लेने लगे। मांउबेटन के कहने पर ही नेहरु जी ने कमीर के भारत में विलय पत्र पर प्लेबीसाइट (जनमत संग्रह) की भार्त लगायी। भारतीय सेना पाकिस्तान से अपने क्षेत्र वापिस ले सकती थी परन्तु नेहरु जी ने कमीर का प्रन न्छव में भेज दिया। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ किन्तु स्वतंत्र भारत को फिर से अंग्रेज गवर्नर जनरल मांउटबेटन के अधीन बनाये रखने का जो कारनामा श्री नेहरु जी ने किया क्या उसके पीछे भी लेडी मांउटबेटन का हाथ नहीं था? जबकि पाकिस्तान ने विदोी गर्वनर जनरल के अधीन रहना स्वीकार नहीं किया।

पंचतंत्र में ऐसा ठीक ही कहा गया है कि बुद्धिर्यस्य बलम तस्य निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम अर्थात बुद्धिमान ही बलाली है और बुद्धिहीन के पास बल होते हुए भी वह निबर्ल है

2 COMMENTS

  1. भाई साहब आपने तो प्रश्न भी किये और उत्तर भी दे दिया कि
    बुद्धिर्यस्य बलम तस्य निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम.
    अभी और कुछ कहने की जरूरत है क्या ?

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