भारत वर्ष के चार (4 ) नाम

india2!जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान प्रजापति – अधिष्ठाता -प्रकृति शक्ति पीठ ने कहा कि—- भारत वर्ष के चार (4 ) नाम India’s four (4) Name –?

—— हे महामानवों – भारत का मूल स्वाभीमान व संस्कृति है –आर्य संस्कृति व सनातन धर्म जो सत्युग से चली आ रही है भारतीय भू भाग में अफगानिस्तान से नेपाल तक को(1) आर्यवर्त कहा जाता था। बाद में शकुन्तला के पुत्र के नाम से(2) भारत वर्ष कहा जाने लगा।—

तत्पश्चात् 997 ई. के बाद विदेशी मुसलमानी आंतकियों ने भारत के आर्यों पर अत्याचार करके जिन आर्यों ने इस्लाम स्वीकारा उन्हें मुसलमान, जो आर्य बने रहे उन्हें हिन्दू, गुलाम आदि शब्दों से कहा जाने लगा और फिर हिन्दू से(3) हिन्दुस्तान बना दिया। यानि गुलामस्तान, डाकूस्तान। बाद में अंग्रेज आंतकियों ने भारत के पिछड़े पन, आदिवासी स्तर को देखकर इण्डियन कहा और(4) इण्डिया बना दिया।

बम्बई से मुम्बई, कलकत्ता से कोलकाता, मद्रास से चेन्नई आदि के मूल नामों में परिवर्तन होने के पीछे क्षेत्रीय नेताओं का संघर्ष है। जबकि राष्ट्रीय नेता तो राष्ट्र के विकास की व्यवस्था में ही व्यवस्थ रहे इन्हें इस कार्य में समय ही नहीं मिला। जबकि भारतीय भाषा के शब्दकोष में हिन्द-हिन्दी-हिन्दू और हिन्दूस्तान को फारसी भाषा का बताया गया है।

——————————————‘हिन्दू’ शब्द का फारसी भाषा में मूल अर्थ है- चोर, डाकू, लुटेरे, राहजन, काला, गुलाम आदि। यह ऐतिहासिक सत्य है।———————————————————————

————फारसी भाषा के शब्द कोषों में हिन्दू का अर्थ – आगे ‘काला’ और ‘दास’ संकलन में फारसी और उर्दू भाषा के शब्द कोष यह वर्णन करते है कि यह अर्थहीन और घ्रणित ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ है-

फारसी भाषा का शब्दकोष – ल्युजत-ए-किशवारी, लखनऊ 1964, चोर, डाकू, राहजन, गुलाम, दास। उर्दू फिरोजउल लजत-प्रथम भाग पृ. 615, तुर्की चोर, राहजन, लूटेरा: फारसी गुलाम, दास, बारदा (आज्ञाकारी नौकर), शियाकाम (काला) पेज 376 भार्गव शब्द कोष बारवां संकलन 1965 भी देखे)

परसियन – पंजाबी (डिक्सनरी) शब्द कोश (पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला) भारतीय उपमहाद्वीप के निवासी, डाकू, राहजन, चोर, दास, काला, आलसी।

(हिन्दुकुश – यानि भ्पदकन ज्ञपससमतए ैसंनहीजंतद्ध यहाँ असंख्य मौतें, मार-काट, हत्याएं हुई।

लाला लाजपत राय ने अपने परिचय में – महर्षि दयानन्द के लाहौर 1898 के परिचय के बारे में कहा: लेखक के अनुसार कुछ लोग कहते है कि हिन्दू है जो कि सिन्धु का बिगड़ा हुआ नाम है लेकिन यह गलत है। परन्तु सिन्धु एक नदी का नाम है। किसी समुदाय का नाम नहीं है । यह सही है कि यह नाम असली आर्यन जाति को दिया गया है जो कि इस क्षेत्र में मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा अपमानित करने के लिए इस नाम से पुकारी जाती थी। फारस में लेखक हमारे लेखक कहते है, इस शब्द का तात्पर्य ‘दास’ है और इस्लाम के अनुसार वो सारे लोग जिन्होंने इस्लाम को नहीं अपनाया था उनको दास बना दिया गया।

हे महामानवों,

उपरोक्त शब्द कोषों व महर्षि दयानन्द सरस्वती एवं लाला लाजपत के अनुसार भारत के मूल स्वाभीमान और संस्कृति की रक्षा के लिए आप विचार करे और हमारी शोध (जिसमें हमने पिछले 25 वर्षों से कार्य किया) के अनुसार हमारा आपसे निवेदन है कि कृपया उक्त शब्दों को जिस प्रकार बम्बई को मुम्बई, मद्रास को चेन्नई, कलकत्ता से कोलकाता की तरह मूल शब्दों में बदला है। उसी तरह हिन्द-हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान को भारत वर्ष केे मूलशब्दों में परिवर्तन करने में सहयोग करने की कृपा करे

हमारे सुझाव भी प्रेषित है:-

हिन्द-हिन्दी-हिन्दू-हिन्दुस्थान – ये सब फारसी नाम !!!

‘हिन्दू’ शब्द को विदेशी मुसलमान, लूटेरांे, आक्रमणकारियों ने भारत के आर्यों पर सदियांे की गुलामी के समय जबरदस्ती थोपा था तथा द्रविडों पर भी प्रभाव पड़ा। हिन्दू का फारसी भाषा में अर्थ है- चोर, डाकू, लुटेरा, गुलाम, राहजन आदि यह ऐतिहासिक सत्य है।

‘हिन्द’- यानि गुलाम – जयहिन्द, ये गुलामी के पूर्व तक तो ‘जय गुलाम’ सही था। अब कैसा जय गुलाम। अब जय भारत बोलें। हिन्द ‘हिन्द भूमि’ यानि ‘गुलाम भूमि’ गुलामी तक तो सही थी अब ‘भारत भूमि’ आर्य भूमि आदि ही बोलें !

‘हिन्दी’- संस्कृत की एक सरल भाषा परन्तु इसका नाम ‘हिन्दी’ फारसी शब्द है अतः इसका नाम होना चाहिए ‘आर्ष भाषा’ या देवनागरी भाषा !!

‘हिन्दू’- चोर, डाकू, लूटेरे, राहजन, काला, गुलाम आदि आदि जो कि सदियो की गुलामी में तो ठीक था अब हमें अपने मूल रूप ‘आर्य’ में आना चाहिए।

आओ हम आर्य बनें ! एक बनें !! श्रेष्ठ बनें !!! भारतीय बने!!!!

‘हिन्दुस्थान’- यानि ‘गुलामस्थान’ को बदलकर आर्य स्थान बोलें। विश्व हिन्दू परिषद् की जगह विश्व आर्य परिषद् या विश्व सनातन परिषद् या विश्व भारत परिषद् आदि नवीन नामकरण संस्कार से असीम शांति मिलेगी। करके देखो !!! (शब्द कोषों में पटना व दिल्ली के उत्तर-पश्चिम को ही हिन्दुस्थान दर्शाया है)

इस प्रकार उपरोक्त सभी नामों को जिस प्रकार बम्बई से मुम्बई, मद्रास से चैन्नई, कलकत्ता से कोलकाता आदि कई जगहों के नाम को बदलकर मूल रूप में रखने से शांति मिली है वैसे ही इन हिन्द, हिन्दू आदि नामों को आर्य रूप में संसोधन से भी असीम शांति मिलेगी, करके देखो। इसी प्रकार प्दकपं का अर्थ भी भारत न समझने की कृपा करे क्योंकि अमेरिका में रेड अमेरिका को पिछड़ा, आदिवासी कहा है तो यहां भारत के लोग काले हैं अतः इससे अर्थ कैसे बदल सकता है? कृपया चिन्तन मनन करें, क्योंकि उपरोक्त गुलामी के शब्दों ने भारत वर्ष की मूल संस्कृति एवं स्वाभीमान पर गहरा आघात किया है। शब्द ही ब्रह्म है। शब्द से संस्कार बनते है!

3 COMMENTS

  1. वास्तव में इस आलेख में उल्लेखित चार नाम -आर्यावर्त,भारतवर्ष,हिन्दुस्तान और इंडिया उस भूभाग के नाम हैं जिसमे वर्तमान – भारत ,पाकिस्तान,बांग्लादेश,अफगानिस्तान,तिब्बत,नेपाल,श्रीलंका,कम्बोडिया, म्यांमार और भूटान समाहित था. इस ‘इंडियन सबकॉन्टिनेंटल’ में छोटे-छोटे सेकड़ों स्वतंत्र राजा -महाराजा और स्वयम्भू चक्रवर्ती सम्राट अपने-अपने देश की सीमाओं को बढ़ने के लिए एक-दूसरे का रक्त बहाने को तैयार रहते थे.वे इतने षड्यंत्रकारी हुआ करते थे की अपने सगे सम्बन्धियों को भी नहीं बक्शते थे. दुर्योधन का राष्ट्र हस्तिनापुर था तो पांडवों का ‘इन्द्रप्रस्थ ‘ पहले तो जुए के मार्फ़त और बाद में कुरुक्षेत्र के मैदान में उन्होंने न केवल अपने वंश की बल्कि इस तथाकथित आर्यावर्त की जो दुर्गति की वो किसे नहीं मालुम?
    पृथ्वीराज चौहान ने अपनी ही मौसेरी बहिन संयोगिता का अपहरण किया तो न वे बच सके और न जैचंद और न ये आर्यावर्त-भारत. फिर कसे बना हिन्दुस्तान और इंडिया ये भी सभी को मालुम है.

  2. दर असल हम भारत के रहने वाले हिन्दू नहीं हैं हम आदि सनातन देवी देवता धर्म के वंशज हैं। इसी धरा पर सतयुग में देवी देवता रहते थे। कालान्तर में हम स्व को भूल कर अपने को हिन्दू कहने लगे। आजादी के बाद जो शासक आए वो कमोबेश अंग्रेजों के ही उत्तराधिकारी आए। नतीजा गर्व का भाव जाग ही नहीं पाया।

    आँख खोल देने वाले रिसर्च और लेख के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।


    सादर,

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