इण्डोनेशिया में हिन्दू प्रभाव

-लालकृष्ण आडवाणी

कुछ वर्ष पूर्व मेरे एक मित्र ने दुनिया के सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले देश इण्डोनेशिया से लौटने के बाद कच्छ के आदीपुर (गुजरात) में मुझे एक 20 हजार रुपया वहां की करेंसी का नोट दिखाया जिस पर भगवान गणेश मुद्रित थे। मैं आश्चर्यचकित हुआ और प्रभावित भी।

जब पिछले महीने इण्डोनेशिया की राजधानी जकार्ता से सिंधी समुदाय के कुछ महानुभावों के समूह ने 9,10 तथा 11 जुलाई 2010 को जकार्ता में होने वाले विश्व सिंधी सम्मेलन में आने का न्यौता दिया तो मैंने इसे तुरन्त स्वीकारा। इसका कारण यह था कि मैं इस देश पर भारतीय सभ्यता और विशेष रुप से रामायण और महाभारत जैसे महाग्रंथों के प्रभाव के बारे में अक्सर सुनता रहता था। करेंसी नोट पर गणेशजी का छपा चित्र इसका एक उदाहरण है।

मेरी पत्नी कमला, सुपुत्री प्रतिभा, दशकों से मेरे सहयोगी दीपक चोपड़ा और उनकी पत्नी वीना के साथ मैं 8 जुलाई को यहां से रवाना हुआ तथा 13 जुलाई को इस यात्रा की अविस्मरणीय स्मृतियां लेकर लौटा। इण्डोनेशिया में 13,677 द्वीप हैं जिनमें से 6000 से ज्यादा पर आबादी है। वहां की कुल जनसंख्या 20.28 करोड़ में से 88 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम और 10 प्रतिशत ईसाई हैं। यहां की 2 प्रतिशत हिन्दू आबादी मुख्य रुप से बाली द्वीप में रहती है।

बाली द्वीप के लिए हाल ही में स्वीकृत किया गया नया ब्राण्ड ‘लोगो’ (प्रतीक चिन्ह) देश की हिन्दू परम्परा का प्रकटीकरण है। इण्डोनेशिया के पर्यटन मंत्रालय का प्रकाशन इस प्रतीक चिन्ह को इस प्रकार बताता है, त्रिकोण (प्रतीक चिन्ह की आकृति) स्थायित्व और संतुलन का प्रतीक है। यह तीन सीधी रेखाओं से बना है जिनमें दोनों सिरे मिलते हैं, जो सास्वत, अग्नि (ब्रह्मा- सृष्टि निर्माता), लिंग या लिंग प्रतिमान के प्रतीक हैं। त्रिकोण् ब्रहमाण्ड के तीनों भगवानों – (त्रिमूर्ति- ब्रह्मा, विष्णु और शिव), प्रकृति के तीन चरणों (भूर, भुव और स्वाहा लोक) और जीवन के तीन चरणों (उत्पत्ति, जीवन और मृत्यु ) को भी अभिव्यक्त करते हैं। प्रतीक चिन्ह के नीचे लिखा बोधवाक्य शान्ति, शान्ति, शान्ति भुवना अलित दन अगुंग (स्वयं और विश्व) पर शान्ति, जोकि एक पावन और पवित्र सिरहन देती है, जिससे गहन दिव्य ज्योति जागृत होती है जो सभी जीवित प्राणियों में संतुलन और शान्ति कायम करती है।

यहां 20000 रुपये के करेंसी नोट का नमूना दिया गया है। जैसा मैंने ऊपर वर्णन किया कि कुछ वर्ष पूर्व मैंने इसे देखा था और तभी तय किया था कि यदि मुझे इस देश की यात्रा करने का अवसर मिला तो मै स्वयं जा कर इसे प्राप्त करुंगा तथा औरों को दिखाऊंगा।

जकार्ता जाने वाले यात्रियों के लिए इण्डोनेशिया की राजधानी जकार्ता के उत्तर-पश्चिम तट पर स्थित शहर के बीचोंबीच भव्य निर्मित अनेक घोड़ों से खिंचने वाले रथ पर श्री कृष्ण-अर्जुन की प्रतिमा सर्वाधिक आकर्षित करने वाली है।

इण्डोनेशिया में स्थानों, व्यक्तियों के नाम और संस्थानों का नामकरण संस्कृत प्रभाव की स्पष्ट छाप छोड़ता है। निश्चित रूप से यह जानकर कि इण्डोनेशिया में सैन्य गुप्तचर का अधिकारिक शुभांकर (mascot) हनुमान हैं, काफी प्रसन्नता हुई। इसके पीछे के औचित्य को वहां के एक स्थानीय व्यक्ति ने यूं बताया कि हनुमान ने ही रावण द्वारा अपहृत सीता को जिन्हें अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा गया था, का पता लगाने में सफलता पाई थी।

हमारे परिवार ने चार दिन इण्डोनेशिया – दो दिन जकार्ता और दो दिन बाली में बिताए। बाली इस देश के सर्वाधिक बड़े द्वीपों में से एक है। यहां के उद्योगों में सोने और चांदी के काम, लकड़ी का काम, बुनाई, नारियल, नमक और कॉफी शामिल हैं। लेकिन जैसे ही आप इस क्षेत्र में पहुंचते हैं तो आप साफ तौर पर पाएंगे कि यह पर्यटकों से भरा हुआ है। लगभग तीन मिलियन आबादी वाले बाली में प्रतिवर्ष एक मिलियन पर्यटक आते हैं।

इस द्वीप की राजधानी देनपासर है। हमारे ठहरने का स्थान मनोरम दृश्य वाला फोर सीजंस रिसॉर्ट था जो समुद्र के किनारे पर है और हवाई अड्डे से ज्यादा दूर नहीं है। रिसॉर्ट जाते समय रास्ते में मैंने जकार्ता में कृष्ण-अर्जुन जैसी विशाल पत्थर पर बनी आकृति देखी हालांकि यह जकार्ता में देखी गई आकृति से अलग किस्म की थी।

मैंने अपनी कार के ड्राइवर से पूछा: यह किसकी प्रतिमा है? और क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जब उसने जवाब दिया तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। उसने बताया, ”यह महाभारत के घटोत्कच की प्रतिमा है।” उसने शहर में इस आकृति में घटोत्कच के पिता भीम को भी दिखाया गया है जो दानव से भीषण युध्द कर रहे हैं।

भारत में, इन दोनों महाकाव्यों रामायण और महाभारत में से सामान्य नागरिक रामायण के अधिकांश चरित्रों को पहचानते हैं। लेकिन महाभारत के चरित्र कम जाने जाते है। वस्तुत:, भारत में भी बहुत कम होंगे जिन्हें पता होगा कि घटोत्कच कौन है। और वहां हमारी कार का ड्राइवर भीम से उसके रिश्ते के बारे में भी पूरी तरह से जानता था।

जकार्ता में सिंधी सम्मेलन और बाली में हमें रामायण के दृश्यों के मंचन की झलक देखने को मिली जो भारत में प्रचलित परम्परागत रुप से थोड़ा भिन्न थी। कलाकारों का प्रदर्शन तथा प्रस्तुति और जिन स्थानों पर यह प्रदर्शन देखने को मिले वहां का सामान्य वातावरण भी पर्याप्त श्रध्दा और भक्ति से परिपूर्ण था। मैं यह अवश्य कहूंगा कि इण्डोनेशिया के लोग हमसे ज्यादा अच्छे ढंग से रामायण और महाभारत को जानते हैं और संजोए हुए है।

8 COMMENTS

  1. मान्यवर आडवानी जी
    अपने दिल को सुकून देने वाली जानकारी दी . धन्यवाद .मुझे एक मित्र ने जानकारी दी है कि नीदरलैंड में ” भगवान राम ” की तस्वीरों वाले नोटों को वहां की सरकार ने मान्यता दे दी है . भारत में यदि ऐसा होने लगे तो साम्प्रदायिकता का आरोप लग जायेगा .हम चाहेंगे कि यह मुद्दा संसद में भी उठे .

  2. आदरणीय अदवानिजी,
    सादर नमस्कर !
    आपका रिपोर्ट पढ़ के बहोत अच्छा लगा .
    आपको शायद बताया गया होगा की बलि द्वीप में हिन्दू युनिवरसिटी बनी है
    उसमे हम लोग आयुर्वेद का अभ्यासक्रम शुरू करने जा रहे है !
    आपके आशीर्वाद मिले ऐसी प्रार्थना !
    -डॉ. हितेश जानी

  3. आदरनिये आडवानी जी ,
    ये जानकारी निश्चित रूप से हर्ष का विषय है की मुस्लिम बहुल देश में हिन्दू सभ्यता की गरिमा बनी हुई है , और जबकि भारत जेसे हिन्दू बहुल देश में हम अपनी गरिमा खो रहे हैं ,
    इंडोनेशिया के संधर्भ में लिखा ये लिख निश्चित रूप से मुस्लिम देशों के बारे में सम्मान पैदा कर सकता है
    ……………….. आशिर्वद्भिलासी दीपा शर्मा

  4. advani ji is lekh ke liye aap ko bahut bahut badhaiyan. nishchit roop se aapne apne sankshipt lekh me indonasia ka bahut sundar chitrana kiya hai.ek muslim desh hote hue bhi indonesia ki samajh hamesha kahin aage hai. ek driver ka mahabharat ke patron ko janna man ko chhu jata hai. baali dweep ne hindu sanskriti ko sanjo ke rakha hai. main to yahan tak kahunga ki hindu sanskriti ki aatma bali dweep me niwas karti hai to atishayokti nahi hogi.

  5. अति सुंदर, ज्ञानवर्धक लेखन हेतु साधुवाद एवं अभिनन्दन. काश भारत के मुस्लिम इस से कुछ प्रेरणा ले पाते. सेक्युलरिस्टों की जमात तो जानबूझकर गलत बयानी के लिए प्रतिबद्ध होने के कलंक को ओढ़े हुए है, पर शायद उनमें भी कोई इमानदार सोच वाले हों. अतः ये भारतीयता का गौरव जगाने वाला छोटासा पर बड़े महत्व के सन्देश वाला लेख अधिक से अधिक पाठकों के ध्यान में आना अछा सिद्ध होगा.

  6. आदरणीय आडवानी जी द्वारा इंडोनेसिया .यात्रा वृतांत को संछिप्त आलेख में प्रस्तुत करने के लिए बधाई .

  7. आदरणीय अडवानी जी
    प्रवक्ता.कॉम पर आपका स्वागत है!
    ये बात पूरी तरह सत्य है की हम भारतीय हिन्दू अपनी विरासत को भूल चुके हैं या भूलते जा रहे हैं!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here