राजनेताओं के घालमेल की परिणति है संत रामपाल प्रकरण

0
184

rampal  ( हिसार ,हरियाणा से लौटकर  )

==============================================================

हिसार –चंडीगढ़ मार्ग पर बरवाला के पास मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बारह एकड़ का विशाल  आश्रम , जिसके चारों तरफ किलाबंदी किये हुए सैकड़ों हथियार बंद निजी सैनिक , तीन मंजिले बंगले के साथ ही बड़े बड़े हाल , अस्पताल , हथियार व अन्य जखीरों को सहेजे दो कमरे . पानी का विशाल टैंक , चौबीसों घंटे सीसीटीवी की नजर में चाकचौबंद सुरक्षा . ऐशोआराम की सारी सुविधाएँ . जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज दर्शाते चहुँ ओर लगे स्टीकर .

दो सप्ताह का हाई फाई ड्रामा . चालीस हजार के करीब पुलिस बल की अनवरत परेड . पच्चीस हजार श्रद्धालुओं की अटकती सांसें . एक मामूली जे ई से एक सत्ताधीश , मठाधीश व स्वम्भू भगवान बने बाबा की अपने आप को कानून से ऊपर मानने के अहंकार से उपजी भूल .

उपरोक्त शब्द चित्र है हरियाणा के हिसार जिले में बरवाला स्थित संत रामपाल के सतलोक आश्रम का . नवम्बर माह  के प्रथम सप्ताह  से तीसरे सप्ताह तक चली इस रस्साकसी में किसका कितना नुकसान हुआ यह तो जाँच के बाद ही चल पायेगा ,परन्तु कोर्ट के आदेश की अनुपालना न करने की संत की हठधर्मिता ने कम से कम छह श्रद्धालुओं की जान तो ले ही ली .

ताजा घटित इस प्रकरण को समझने के लिए कुछ समय पूर्व भूत काल में जाना होगा . हरियांणा  सरकार में जे ई की नौकरी छोड़कर  संत बने तिरेसठ वर्षीय  रामपाल उस समय प्रकाश में आये जब २००६ में संत के करोंथा आश्रम पर आर्यसमाजियों के साथ विवाद में एक व्यक्ति की मौत हो गयी . उसी मौत का भूत राम पाल का पीछा नहीं छोड़ रहा है .उसी मामले में संत रामपाल के खिलाफ केस चल रहा है .रामपाल को कुछ समय जेल में रहने के बाद कोर्ट से जमानत मिल गयी थी .बाद में इस विवाद क्षेत्र को छोड़कर रामपाल ने बरवाला में डेरा जमा लिया था .संत के हजारों अनुयायिओं का जमावड़ा इसी आश्रम में लगने लगा . हरियाणा के अतिरिक्त, उतरप्रदेश , राजस्थान , मध्यप्रदेश , बिहार तथा नेपाल से भी भक्तजन यहाँ आकर सर्व दुःख हारी नाम ज्ञान लेने को आतुर हो गए . वर्तमान प्रकरण के समय भी लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु आश्रम में रुके हुए थे .

वर्तमान विवाद तब हुआ जब उपरोक्त मामले में  कोर्ट द्वारा पेश होने की तिथि पर संत ने कोर्ट में जाने से इनकार कर दिया . कोर्ट द्वारा निर्धारित तिथि पर जब रामपाल नहीं पहुंचा तो कोर्ट की  अवमानना स्वरुप कोर्ट ने हरियाणा सरकार को येन केन प्रकरेण २१ नवम्बर से पहले पहले रामपाल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के  सख्त आदेश दिए . इसी आदेश की अनुपालना में पुलिस फ़ोर्स के लगभग चालीस हजार जवान एवं अधिकारी तैनात किये गए . परन्तु संत रामपाल के पास भी प्रशिक्षित सुरक्षा बल तैनात थी .पुलिस सूत्रों के अनुसार बाबा समर्थकों ने पुलिस पर पेट्रोल बम,  पत्थर व गोलियां चलाई . पुलिस द्वारा लाठी व आसू गैस का प्रयोग भी किया गया . इस प्रकरण में छह मौतें हुई तथा १०५   पुलिस कर्मियों समेत लगभग तीन सौ व्यक्ति  घायल हुए .परन्तु अंततः १९ नवम्बर की रात पुलिस बाबा को गिरफ्तार करने में कामयाब हो गयी .

बाबा गिरफ्तार भी कर लिए गए , कोर्ट में पेश भी कर दिया गया , परन्तु इतने बड़े हाई फाई ड्रामा व एक मामूली संत की कानून को चुनौती के लिए आखिर कौन जिम्मेवार है ? इतने बड़े स्तर पर हथियारों के जखीरे , निजी सुरक्षा कर्मियों की पूरी फ़ौज व आश्रम में अन्य घोर अनियमितताओं की क्यों राज्य सरकार , सी आई डी या अन्य गुप्तचर एजेंसीयों को भनक तक नहीं लगी ?  क्यों एक और भिंडर वाला पनपने दिया गया ? यदि जानकारी थी तो किसके इशारे पर समय रहते  कारवाई नहीं की गयी ?क्यों सरकार करोंथा में हुई  एक मौत के बदले बरवाला में छह मौतों की इन्तजार करती रही ? क्यों मीडिया कर्मियों को पीट पीटकर सच्चाई को जनता के सामने आने से रोका गया ?

उपरोक्त प्रश्नों को सरकार भले ही अनुत्तरित छोड़ दे , परन्तु जनता इन सवालों के जवाब जरूर तलास लेती है . यह पब्लिक है , सब जानती है .

जब सत्ता लोलुप राजनेता येन केन प्रकरेण मात्र कुर्सी प्राप्ति ही उद्देश्य रखकर इन ढोंगी बाबाओं के दरबार में  हाथ जोड़े दंडवत चरण स्पर्श करते रहेंगे तो कैसे ऐसे संतों की गैर कानूनी गतिविधियों पर अंकुश लग पायेगा ? हरियाणा के हाल के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के चालीस प्रत्याशियों द्वारा सिरसा के एक डेरा संत से आशीर्वाद लेकर चुनाव जीतने की मंशा पालना क्या राजनेताओं का संतों संग  घाल मेल का खेल नहीं है ? क्या ऐसे नेता इन संतों की अवैध एवं गैर कानूनी गतिविधियों के खिलाफ मुंह खोल पाएंगे ? जो पार्टियाँ इन संतों के आशीर्वाद स्वरुप ही सत्ता सुख भोग रहीं हैं , क्या वे सरकारी मशीनरी को इनके खिलाफ कुछ करने देंगी ? कदापि नहीं . कोई एक पार्टी किसी संत के चरण छूती है तो दूसरी किसी अन्य संत से वोट का प्रसाद लेने हेतु दंडवत होती है . समाचार सुर्ख़ियों में इसी संत रामपाल के सतलोक आश्रम की ट्रस्टी के रूप में एक भूत पूर्व मुख्यमंत्री  की पत्नी का नाम आया है . जब तक इस प्रकार के इन ढोंगी संतों को राजनेताओं का आश्रय मिलता रहेगा , ये बरवाला प्रकरण घटित होते रहेंगें . राजनेताओं की घाल मेल की ही परिणति  है बरवाला प्रकरण .आखिर माननीय कोर्ट अकेले कब तक प्रशासन चलाते  रहेंगे ? कुछ तो सरकारों को भी अपनी पहल से कार्रवाई करनी ही होगी .क्या सरकारें ऐसा कर पाएंगी ?

 

Get your own FREE website, FREE domain & FREE mobile app with Company email. Know More >

1 COMMENT

  1. “राजनेताओं के घालमेल की परिणति है संत रामपाल प्रकरण” और पढ़े लिखे हिन्दू इन बाबाओं के कुकर्मों के कारण हिन्दू धर्म को ही नष्ट करते हिन्दू-विरोधी तत्वों के हाथों खिलौना बने हुए हैं। इन पथभ्रष्ट खिलौनों के सिर चढ़ हिन्दू-राष्ट्र विरोधी तत्व अनायास ही देश में अराजकता फैलाते सत्तारूढ़ बने रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here