भगवा आतंकवाद की व्याख्या

धाराराम यादव

गत् 25 अगस्त, 2010 से देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित राज्यों के पुलिस महानिदेशकों एवं महानिरीक्षकों के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्धाटन करते हुए गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने यह कहकर सारे देश में सनसनी फैला दी कि इधर कई विस्फोटों में ‘भगवा आतंकवाद’ का हाथ रहा है। विगत् दो दशकों में देश के विभिन्न भागों (यथा-नई दिल्ली, मुम्बई, जम्मू कश्मीर, अहमदाबाद, संसद भवन, अयोध्या, वाराणसी स्टेशन एवं संकटमोचन मन्दिर, लखनऊ, फैजाबाद आदि) में हुए अनेक बम विस्फोटों में हजारों निर्दोश नागरिकों की मृत्यु हुयी है। इन विस्फोटों की गहराई से छानबीन और जाँच पड़ताल के बाद गिरफ्तार किये गये सभी अभियुक्त मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं। देश के सेक्यूलर कुनबे द्वारा तब यह जुमला उछाला गया कि आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता। वे सिर्फ आतंकी होते हैं। देश के उदारमना बुध्दिजीवी भी इस तर्क से करीब-करीब सहमत हो गये। मालेगांव विस्फोट और हैदराबाद की मक्का मस्जिद विस्फोट में जब संदेह वश कुछ हिन्दू गिरफ्तार किये गये, तो समाचार माध्यमों सहित पंथ निरपेक्षतावादियो ने हिन्दू आतंकवाद की रट लगा दी और अब देश के गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने इन दो या तीन घटनाओं को आधार बनाकर ‘भगवा आतंकवाद’ नामकरण करके चिन्ता व्यक्त की है। उन्हें यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि ‘भगवा आतंकवाद’ से उनका तात्पर्य क्या है? देश भर में साधू-संत और महात्मा लोग भगवा वस्त्र धारण करते हैं। क्या गृहमंत्री का संकेत उनकी तरफ था? देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का एक संगठन प्रतिदिन भगवा ध्वज फहराकर भारत माँ का समवेत स्वर में यशोगान करता है। कुछ पत्र-पत्रिकायें उसे भी भगवा पार्टी नाम से संबोधित करती हैं। क्या चिदम्बरम का निशाना उस संगठन की तरफ था?

जब मुस्लिम समुदाय के युवकों द्वारा देश के विभिन्न भागों में विस्फोट किये जा रहे थे, तो ‘मुस्लिम आतंकवाद’ कहने से परहेज किया गया। अब मात्र दो-तीन विस्फोटकों में संदेह के आधार पर गिरफ्तार किये गये कुछ हिन्दुओं (जिनकी संख्या मुष्किल से दहाई तक पहुंचने का अनुमान है) के आधार पर देश की कथित सेकुलर पत्र-पत्रिकायें और राजनेता (जिनमें कांग्रेसी भी शामिल हैं) खुलकर ‘हिन्दू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ कहकर घड़ियाली ऑंसू बहा रहे हैं।

मजे की बात यह है कि जब आजमगढ़ के कुछ मुस्लिम युवक विस्फोटों के लिए जिम्मेदार मानकर गिरफ्तार किये गये तो कांग्रेस सहित कतिपय कथित सेकुलर दलों के नेता उन गिरफ्तार युवकों के गांव (आजमगढ़) मातमपुर्सी के लिए पहुंच गये। क्या उन तथा कथित सेक्यूलर राजनेताओं को भी आतंकियों का सहयोगी मानकर केन्द्र सरकार कार्यवाही करेगी? वे वहाँ क्यों गये थे? अनेक आतंकी विस्फोटों में पाक प्रेरित आतंकियों सहित सिमी (स्टूडेन्ट इस्लामिक मूवमेन्ट ऑफ इण्डिया) और इण्डियन मुजाहिदीन के सक्रिय कार्यकर्ता शामिल पाये गये। केन्द्र सरकार द्वारा सिमी पर आतंकी कार्यवाहियों में शामिल होने के आरोप में पाबन्दी लगा दी गयी। इस प्रतिबन्ध को हटाने की वकालत केन्द्रीय मंत्रिमण्डल का सदस्य रहते हुए लालू प्रसाद यादव एवं राम विलास पासवान ने खुले आम की थी और इनके स्वर में स्वर मिलाया था, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने। क्या केन्द्र सरकार इन सेकुलर राजनेताओं को प्रतिबंधित सिमी का समर्थक मानकर कार्यवाही करेगी? दिल्ली के बाटला हाउस काण्ड की न्यायिक जाँच की मांग कांग्रेस के ही कई वरिश्ठ नेताओं सहित सेकुलर कुनबे के राजनेताओं ने की है। इस काण्ड में पुलिस इन्सपेक्टर मोहन चन्द शर्मा शहीद हो गये थे।

गत् 26 अगस्त, 2010 को संसद में गृहमंत्री द्वारा ‘भगवा आतंकवाद’ कहने पर काफी हंगामा हुआ। जब तक गृहमंत्री चिदम्बरम अपने कथन का औचित्य सिध्द नहीं करते, तब तक यही समझा जायगा कि गृहमंत्री सहित पूरी संप्रग सरकार वास्तविक आतंकवाद और उन्हें अंजाम देने वालों से देश का ध्यान हटाने का षडयन्त्र कर रही हैं। शिवसेना के सदस्यों ने चिदम्बरम् की अनपेक्षित और हिन्दुओं को बदनाम करने वाली अनर्गल टिप्पणी के विरोध में हंगामा करने के बाद सदन से बहिर्गमन कर दिया।

अभी हाल में ‘अभिनव भारत’, ‘श्री राम सेना’ आदि नाम से कुछ अनाम से संगठनों का नाम प्रकाश में आया है। उन संगठनों का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कुछ लेना-देना नहीं है। यह संभावना हो सकती हैं कि उन संगठनों से जुड़ा कोई कार्यकर्ता 10-20 वर्षों पूर्व संघ में भी आया हो और छोड़कर चला गया हो। आज के इस युग में जब कार्यकर्ता और राजनेता रोज पार्टियाँ बदलते रहते हैं, तो इस लोकतांत्रिक युग में किसी पूर्व पार्टी को उनके कृत्यों के लिए उत्तरदायी कैसे ठहराया जा सकता है? उदाहरण के लिए सपा के महासचिव और नीति निर्माता रहे उद्योगपति अमर सिंह ने जनवरी-फरवरी, 2010 में पार्टी छोड़ दी या निष्कासित कर दिये गये। अब लोकमंच नामक एक संस्था स्थापित करके प्रतिदिन सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह की वे आलोचना करते रहते हैं। उनके कृत्यों के लिए समाजवादी पार्टी को कदापि जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। इसी प्रकार बेनी प्रसाद वर्मा, राजबब्बर आदि सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये। अब उनके किसी कार्य के लिए सपा को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।

गुप्तचर संगठनों (विशेषकर एल.आई. यू और आई.बी.) के पास सभी संगठनों और उनके प्रमुख कार्यकर्ताओं का बायोडाटा रहता है। उन संगठनों से प्राप्त आख्या के आधार पर सरकारें अपना राजनीतिक एजेण्डा तय करती हैं। यदि गृहमंत्री चिदम्बरम के पास ऐसी कोई रिपोर्ट हो जिसके आधार पर उन्होंने चिदम्बरम् के पास ऐसी कोई रिपोर्ट हो जिसके आधार पर उन्होंने ‘भगवा आतंकवाद’ का उल्लेख किया, तो उन्हें उसका खुलासा करना चाहिए।

अब मूल प्रश्न पर आते हैं कि आखीरकार वे कौन से कारण उत्तदायी हैं जिनसे प्रेरित होकर गृहमंत्री चिदम्बरम ने ‘भगवा आतंकवाद’ नामकरण किया? क्या सचमुच इसके पीछे कांग्रेस पार्टी अथवा कथित सेक्यूलरिस्टों का कोई षडयंत्र है? या जान-बूझकर मुस्लिम आतंकवाद को छिपाने या उसे कमतर ऑंकने की कोई साजिश रची जा रही है? क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक बनाने का एक देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। इस होड़ में देश की सभी कथित सेक्यूलर पार्टियाँ शामिल हैं। संविधान के अनुच्छेद – 15, 16 में धर्म के आधार पर सेवाओं में आरक्षण देने की मनाही है। इसके बावजूद आन्ध्रप्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा तीसरी या चौथी बार मुस्लिमों के लिए आरक्षण का आदेश जार किया गया। हर बार आन्ध्रप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण आदेश निरस्त कर दिया गया। अंतिम आदेश भी आन्ध्र उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किया गया है किन्तु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आन्ध्र उच्च न्यायालय के आदेश को स्टे कर दिया गया है। वैसे संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अन्तर्गत ‘अन्य पिछड़े वर्गो’ को स्वीकृत आरक्षण का लाभ पिछड़े वर्गो की सूचि में शामिल करीब दो दर्जन मुस्लिम जातियों को दिया गया है। यह आरक्षण सामाजिक एवं शैक्षिक रुप से पिछड़े वर्गो के लिए अनुमन्य है।

एक मूर्धन्य पंथनिरपेक्षतावादी राम विलास पासवान बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के एक हमशक्ल को चुनाव प्रचार में साथ लेकर चल रहे थे। अपने इस कृत्य द्वारा जहाँ वे मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे थे, वहीं उन्हें अनजाने में ही सही आतंकवाद का समर्थन घोषित कर रहे थे। चुनाव आयोग अथवा कांग्रेस सरकार द्वारा पासवान के इस कृत्य पर चुप्पी साध ली गयी।

निष्कर्षतः देश का कथित पंथनिरपेक्षतावादी समूह मुस्लिम आतंकवाद को जाने-अनजाने प्रोत्साहित कर रहा है और सारे देश को ‘हिन्दू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ से जबरन भयभीत करके हिन्दुओं को बदनाम करने का षड़यन्त्र रच रहा है।

* लेखक, समाजसेवी और पूर्व बिक्रीकर अधिकारी हैं।

भगवा आतंकवाद की व्याख्या

धाराराम यादव

गत् 25 अगस्त, 2010 से देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित राज्यों के पुलिस महानिदेशकों एवं महानिरीक्षकों के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्धाटन करते हुए गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने यह कहकर सारे देश में सनसनी फैला दी कि इधर कई विस्फोटों में ‘भगवा आतंकवाद’ का हाथ रहा है। विगत् दो दशकों में देश के विभिन्न भागों (यथा-नई दिल्ली, मुम्बई, जम्मू कश्मीर, अहमदाबाद, संसद भवन, अयोध्या, वाराणसी स्टेशन एवं संकटमोचन मन्दिर, लखनऊ, फैजाबाद आदि) में हुए अनेक बम विस्फोटों में हजारों निर्दोश नागरिकों की मृत्यु हुयी है। इन विस्फोटों की गहराई से छानबीन और जाँच पड़ताल के बाद गिरफ्तार किये गये सभी अभियुक्त मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं। देश के सेक्यूलर कुनबे द्वारा तब यह जुमला उछाला गया कि आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता। वे सिर्फ आतंकी होते हैं। देश के उदारमना बुध्दिजीवी भी इस तर्क से करीब-करीब सहमत हो गये। मालेगांव विस्फोट और हैदराबाद की मक्का मस्जिद विस्फोट में जब संदेह वश कुछ हिन्दू गिरफ्तार किये गये, तो समाचार माध्यमों सहित पंथ निरपेक्षतावादियो ने हिन्दू आतंकवाद की रट लगा दी और अब देश के गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने इन दो या तीन घटनाओं को आधार बनाकर ‘भगवा आतंकवाद’ नामकरण करके चिन्ता व्यक्त की है। उन्हें यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि ‘भगवा आतंकवाद’ से उनका तात्पर्य क्या है? देश भर में साधू-संत और महात्मा लोग भगवा वस्त्र धारण करते हैं। क्या गृहमंत्री का संकेत उनकी तरफ था? देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का एक संगठन प्रतिदिन भगवा ध्वज फहराकर भारत माँ का समवेत स्वर में यशोगान करता है। कुछ पत्र-पत्रिकायें उसे भी भगवा पार्टी नाम से संबोधित करती हैं। क्या चिदम्बरम का निशाना उस संगठन की तरफ था?

जब मुस्लिम समुदाय के युवकों द्वारा देश के विभिन्न भागों में विस्फोट किये जा रहे थे, तो ‘मुस्लिम आतंकवाद’ कहने से परहेज किया गया। अब मात्र दो-तीन विस्फोटकों में संदेह के आधार पर गिरफ्तार किये गये कुछ हिन्दुओं (जिनकी संख्या मुष्किल से दहाई तक पहुंचने का अनुमान है) के आधार पर देश की कथित सेकुलर पत्र-पत्रिकायें और राजनेता (जिनमें कांग्रेसी भी शामिल हैं) खुलकर ‘हिन्दू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ कहकर घड़ियाली ऑंसू बहा रहे हैं।

मजे की बात यह है कि जब आजमगढ़ के कुछ मुस्लिम युवक विस्फोटों के लिए जिम्मेदार मानकर गिरफ्तार किये गये तो कांग्रेस सहित कतिपय कथित सेकुलर दलों के नेता उन गिरफ्तार युवकों के गांव (आजमगढ़) मातमपुर्सी के लिए पहुंच गये। क्या उन तथा कथित सेक्यूलर राजनेताओं को भी आतंकियों का सहयोगी मानकर केन्द्र सरकार कार्यवाही करेगी? वे वहाँ क्यों गये थे? अनेक आतंकी विस्फोटों में पाक प्रेरित आतंकियों सहित सिमी (स्टूडेन्ट इस्लामिक मूवमेन्ट ऑफ इण्डिया) और इण्डियन मुजाहिदीन के सक्रिय कार्यकर्ता शामिल पाये गये। केन्द्र सरकार द्वारा सिमी पर आतंकी कार्यवाहियों में शामिल होने के आरोप में पाबन्दी लगा दी गयी। इस प्रतिबन्ध को हटाने की वकालत केन्द्रीय मंत्रिमण्डल का सदस्य रहते हुए लालू प्रसाद यादव एवं राम विलास पासवान ने खुले आम की थी और इनके स्वर में स्वर मिलाया था, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने। क्या केन्द्र सरकार इन सेकुलर राजनेताओं को प्रतिबंधित सिमी का समर्थक मानकर कार्यवाही करेगी? दिल्ली के बाटला हाउस काण्ड की न्यायिक जाँच की मांग कांग्रेस के ही कई वरिश्ठ नेताओं सहित सेकुलर कुनबे के राजनेताओं ने की है। इस काण्ड में पुलिस इन्सपेक्टर मोहन चन्द शर्मा शहीद हो गये थे।

गत् 26 अगस्त, 2010 को संसद में गृहमंत्री द्वारा ‘भगवा आतंकवाद’ कहने पर काफी हंगामा हुआ। जब तक गृहमंत्री चिदम्बरम अपने कथन का औचित्य सिध्द नहीं करते, तब तक यही समझा जायगा कि गृहमंत्री सहित पूरी संप्रग सरकार वास्तविक आतंकवाद और उन्हें अंजाम देने वालों से देश का ध्यान हटाने का षडयन्त्र कर रही हैं। शिवसेना के सदस्यों ने चिदम्बरम् की अनपेक्षित और हिन्दुओं को बदनाम करने वाली अनर्गल टिप्पणी के विरोध में हंगामा करने के बाद सदन से बहिर्गमन कर दिया।

अभी हाल में ‘अभिनव भारत’, ‘श्री राम सेना’ आदि नाम से कुछ अनाम से संगठनों का नाम प्रकाश में आया है। उन संगठनों का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कुछ लेना-देना नहीं है। यह संभावना हो सकती हैं कि उन संगठनों से जुड़ा कोई कार्यकर्ता 10-20 वर्षों पूर्व संघ में भी आया हो और छोड़कर चला गया हो। आज के इस युग में जब कार्यकर्ता और राजनेता रोज पार्टियाँ बदलते रहते हैं, तो इस लोकतांत्रिक युग में किसी पूर्व पार्टी को उनके कृत्यों के लिए उत्तरदायी कैसे ठहराया जा सकता है? उदाहरण के लिए सपा के महासचिव और नीति निर्माता रहे उद्योगपति अमर सिंह ने जनवरी-फरवरी, 2010 में पार्टी छोड़ दी या निष्कासित कर दिये गये। अब लोकमंच नामक एक संस्था स्थापित करके प्रतिदिन सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह की वे आलोचना करते रहते हैं। उनके कृत्यों के लिए समाजवादी पार्टी को कदापि जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। इसी प्रकार बेनी प्रसाद वर्मा, राजबब्बर आदि सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये। अब उनके किसी कार्य के लिए सपा को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।

गुप्तचर संगठनों (विशेषकर एल.आई. यू और आई.बी.) के पास सभी संगठनों और उनके प्रमुख कार्यकर्ताओं का बायोडाटा रहता है। उन संगठनों से प्राप्त आख्या के आधार पर सरकारें अपना राजनीतिक एजेण्डा तय करती हैं। यदि गृहमंत्री चिदम्बरम के पास ऐसी कोई रिपोर्ट हो जिसके आधार पर उन्होंने चिदम्बरम् के पास ऐसी कोई रिपोर्ट हो जिसके आधार पर उन्होंने ‘भगवा आतंकवाद’ का उल्लेख किया, तो उन्हें उसका खुलासा करना चाहिए।

अब मूल प्रश्न पर आते हैं कि आखीरकार वे कौन से कारण उत्तदायी हैं जिनसे प्रेरित होकर गृहमंत्री चिदम्बरम ने ‘भगवा आतंकवाद’ नामकरण किया? क्या सचमुच इसके पीछे कांग्रेस पार्टी अथवा कथित सेक्यूलरिस्टों का कोई षडयंत्र है? या जान-बूझकर मुस्लिम आतंकवाद को छिपाने या उसे कमतर ऑंकने की कोई साजिश रची जा रही है? क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक बनाने का एक देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। इस होड़ में देश की सभी कथित सेक्यूलर पार्टियाँ शामिल हैं। संविधान के अनुच्छेद – 15, 16 में धर्म के आधार पर सेवाओं में आरक्षण देने की मनाही है। इसके बावजूद आन्ध्रप्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा तीसरी या चौथी बार मुस्लिमों के लिए आरक्षण का आदेश जार किया गया। हर बार आन्ध्रप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण आदेश निरस्त कर दिया गया। अंतिम आदेश भी आन्ध्र उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किया गया है किन्तु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आन्ध्र उच्च न्यायालय के आदेश को स्टे कर दिया गया है। वैसे संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अन्तर्गत ‘अन्य पिछड़े वर्गो’ को स्वीकृत आरक्षण का लाभ पिछड़े वर्गो की सूचि में शामिल करीब दो दर्जन मुस्लिम जातियों को दिया गया है। यह आरक्षण सामाजिक एवं शैक्षिक रुप से पिछड़े वर्गो के लिए अनुमन्य है।

एक मूर्धन्य पंथनिरपेक्षतावादी राम विलास पासवान बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के एक हमशक्ल को चुनाव प्रचार में साथ लेकर चल रहे थे। अपने इस कृत्य द्वारा जहाँ वे मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे थे, वहीं उन्हें अनजाने में ही सही आतंकवाद का समर्थन घोषित कर रहे थे। चुनाव आयोग अथवा कांग्रेस सरकार द्वारा पासवान के इस कृत्य पर चुप्पी साध ली गयी।

निष्कर्षतः देश का कथित पंथनिरपेक्षतावादी समूह मुस्लिम आतंकवाद को जाने-अनजाने प्रोत्साहित कर रहा है और सारे देश को ‘हिन्दू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ से जबरन भयभीत करके हिन्दुओं को बदनाम करने का षड़यन्त्र रच रहा है।

* लेखक, समाजसेवी और पूर्व बिक्रीकर अधिकारी हैं।

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