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चौराहा - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
विजय निकोर अनचाहे कैसे अचानक लौट आते हैं पैर उसी चौराहे पर जिस चौराहे पर समय की आँधी में हमारे रास्ते अलग हुए थे, तुम्हारी डबडबाई आँखों में व्यथाएँ उभरी थीं, और मेरी ज़िन्दगी भी उसी दिन ही बेतरतीब हो गई थी । जो लगती है स्पष्ट पर रहती…