नशा:राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’

सड़क किनारे पड़ी थी एक लाश

उसके पास कुछ लोग

बैठे थे बदहवाश |

उनमे चार छोटे बच्चे

और उनकी माँ थी ,

बूढ़े माँ – बाप थे

कुँवारी बहन थी |

सभी का रो – रो

कर बुराहाल था ,

खाल से लिपटे ढांचे

बता रहे थे ,

वो….. परिवार

 

कितना बेहाल था |

मैंने पूछा एक आदमी से

भाई ये कैसे मर गया ,

क्या किसी वाहन से

दुर्घटना हो गयी |

लेकिन इसके शरीर पर

चोट तो है नहीं ,

आखिर इसकी जान

कैसे चली गयी |

उसने कहा ये पीता था शराब ,

और स्मैक का भी आदी था |

घरवालों को मारना पीटना

इसकी दिनचर्या थी ,

गाँजे की चिलम का

पक्का साथी था |

ज़मीन जायदाद सब

कौडियों के भाव बेच डाली ,

सारे परिवार को बर्बाद कर गया |

बेचारे घर वाले कल भी रोते थे ,

अब भी रोयेंगे वो नशेड़ी

उसे मरना था मर गया ||

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राघवेन्द्र कुमार 'राघव'
शिक्षा - बी. एससी. एल. एल. बी. (कानपुर विश्वविद्यालय) अध्ययनरत परास्नातक प्रसारण पत्रकारिता (माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय जनसंचार एवं पत्रकारिता विश्वविद्यालय) २००९ से २०११ तक मासिक पत्रिका ''थिंकिंग मैटर'' का संपादन विभिन्न पत्र/पत्रिकाओं में २००४ से लेखन सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में २००४ में 'अखिल भारतीय मानवाधिकार संघ' के साथ कार्य, २००६ में ''ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी'' का गठन , अध्यक्ष के रूप में ६ वर्षों से कार्य कर रहा हूँ , पर्यावरण की दृष्टि से ''सई नदी'' पर २०१० से कार्य रहा हूँ, भ्रष्टाचार अन्वेषण उन्मूलन परिषद् के साथ नक़ल , दहेज़ ,नशाखोरी के खिलाफ कई आन्दोलन , कवि के रूप में पहचान |

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