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नदी का परिचय - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
गहराती हुई नदी में बन रहे थे पानी के बहुत से व्यूह नदी के किनारों की मासूमियत पड़ी हुई थी छिटकी बिटकी यहाँ वहां जहां बहुत से केकड़े चले आते थे धुप सेकनें. किनारों पर अब भी नहीं होता था व्यूहों का या गहराईयों का भान पर नदी थी कि…