ईरान के साथ धमकी से पेश ना आए अंतरराष्ट्रीय समुदाय

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PCportrait2000अटलांटा-अमेरिका के एक प्रमुख समाचार चैनल को दिए एक साक्षात्कार में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने अमेरिका समेत दुनिया की महाशक्तियों को ईरान के साथ तानाशाही भरे व्यवहार से बाज आने का सुझाव दिया है।

उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की बाबत पूछे एक सवाल के उत्तर में ये बात कही। उन्होंने कहा कि बजाए धमकी देने के अमेरिका और सहयोगी देशों को चाहिए कि वह ईरान के साथ कूटनीतिक तरीके से मामले को सुलझाएं।

उल्लेखनीय है कि ईरान के परमाणु प्रमुख के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिशद के पांच सदस्य देष स्विटजरलैण्ड में बैठक कर रहे हैं। ये बैठक ईरान में हाल ही में प्रकाश में आए एक नए परमाणु रिएक्टर की स्थापना के सदंर्भ में बुलाई गई है। बैठक में जर्मनी भी खासतौर पर हिस्सा ले रहा है।

ईरान के इस नवीन परमाणु संयत्र के खुलासे ने जी-20 देषों की विगत बैठक में भी खासा तनाव पैदा कर दिया था।

कार्टर ने अपने साक्षात्कार में स्पष्ट कहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम परमाणु अप्रसार संधि के खिलाफ नहीं है। इसके विपरीत ये तो पूरी तरह से वैधानिक है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि ईरान अंतरराट्रीय पर्यवेक्षकों को अपने संयत्रों को देखने और जांचने की अनुमति देकर सारे संभ्रमों को दूर कर देगा।

कार्टन ने कहा कि परमाणु बिजली प्राप्त करने के लिए ईरान को प्लूटोनियम और यूरोनियम के संवर्धन का पूरा वैधानिक हक हासिल है।

उन्होंने अमेरिका और इजरायल को आरोपित करते हुए कहा कि जब आप लगातार ईरान को हमले की धमकी देंगे तो ईरान को भी आत्मरक्षा का अधिकार हासिल है। कार्टर ने कहा कि जहां तक उनका मानना है कि ईरान ने अभी ये तय नहीं किया है कि उसे क्या करना है लेकिन अब हमें सावधानी बरत कर ईरान के साथ सार्थक वार्तालाप कर सभी समस्याओं को समाधान खोजना होगा।

1977 से 1981 के मध्य अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जिमी कार्टर ने कहा कि उनके राष्ट्राध्यक्ष कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने सर्वाधिक महत्व के जिन 30 मुद्दों और समस्याओं की तलाश की थी वे समस्याएं आज के दौर में भी जस की तस खड़ी दिख रही हैं। उन्होंने कहा कि मध्यपूर्व की समस्या, ईरान, ऊर्जा जरूरत और व्यापक स्वास्थ्य सुधार के मुद्दों पर अभी भी बहुत ध्यान देने की जरूरत है और उन्हें उम्मीद है कि ओबामा प्रशासन इन पर ध्यान देगा।

-राकेश उपाध्याय

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  1. ईरान ने जो कहा है बिलकुल ठीक है। हर देश को अधिकार है अपने को आत्म निर्भर, सक्षम बनाने में। अमेरिका के पास 8 से 10 हजार परमाणू बम है फिर क्यो उसे दूसरे देश के बम बनाने से खुजली हो रही है। शक्ति संतुलन बराबर होने से सब कोई किसी को दबाता नहीे है।

    यह अलग बात है कि हम विश्व के प्रतिबधों से डरकर इससे पीछे हट गऐ हैं। क्या विश्व सहयोग नहीं करेगा तो क्या हम भूखे मर जाऐगे। ईरान को दाद देते है कि वह बिना किसी से डरे अपने देशहित में परमाणू संयंत्र बना रहे हैं। सभी देश जानते हैं कि एक भी परमाणू बम फूटने से दूसरे भी उपयोग करेंगे और यह तीसरे नहीं बल्कि विश्व के अन्तिम युद्ध में बदल जाऐगा। कहते है हरम में सब …….। अतः कोई भी देश परमाणू बम का उपयोग करके महाविनाश से खुद को बचा नहीं सकेगा।

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