क्या यही हें ज्योतिष और भाग्य का सम्बन्ध..? : Relation of astrology and luck

अगर यह मान कर बैठ जाएं कि जो भाग्य में लिखा है वही मिलेगा तो जीवन ज्यादा संघर्षमय हो जाएगा। हमारा स्वभाव स्वयं का भाग्य बनाने का होना चाहिए ना कि यह मान लेने का कि जो किस्मत में होगा वह तो मिलेगा ही। कई बार लोग इस विश्वास में कर्म में मुंह मोड़ लेते हैं। फिर हाथ में आती है सिर्फ असफलता।

भाग्य को मानने वालों को कर्म में विश्वास होना चाहिए। भाग्य के दरवाजे का रास्ता कर्म से ही होकर गुजरता है। कोई कितना भी किस्मतवाला क्यों ना हो, कर्म के सहारे की आवश्यकता उसे पड़ती ही है। बिना कर्म के यह संभव ही नहीं है कि हम किस्मत से ही सबकुछ पा जाएं। हां, यह तय है कि अगर कर्म बहुत अच्छे हों तो भाग्य को बदला जा सकता है।

आजकल कई युवा ज्योतिषियों की बात मानकर बैठ जाते हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि ज्योतिष गलत है। बिना कर्म कोई ज्योतिष काम नहीं करेगा। हम अक्सर सड़कों से गुजरते हुए ट्राफिक सिग्रल देखते हैं। वे हमें रुकने और चलने का सही समय बताते हैं। ज्योतिष या भाग्य भी बस इसी ट्राफिक सिग्रल की तरह होता है। कर्म तो आपको हर हाल में करना ही पड़ेगा। भाग्य यह संकेत कर सकता है कि हमें कब कर्म की गति बढ़ानी है, कब, कैसे और क्या करना है।

सावित्री की कथा देखिए, सावित्री राजकुमारी थी, पिता ने कहा अपनी पसंद का वर चुन लो। पूरे भारत में घूमने के बाद उसने जंगल में रहने वाले निर्वासित राजकुमार सत्यवान को जीवनसाथी के रूप में पसंद किया। राजा ने समझाया, नारद भी आए और बताया कि सत्यवान की आयु एक वर्ष ही शेष बची है। उससे विवाह करना, यानी शेष जीवन वैधव्य भेागना तय है। लेकिन सावित्री नहीं मानी। सत्यवान से विवाह किया। उसने एक वर्ष पहले ही तप, पूजा, उपवास शुरू कर दिए।

िजस दिन सत्यवान की मौत होनी थी, वो पूरे दिन उसके साथ रही। यमराज उसके प्राण हरने आए। उसने यमराज से अपने पति के प्राणों के बदले में ससुर का स्वास्थ्य, उनका खोया राज और अपने लिए पुत्र मांग लिए। बिना सत्यवान के पुत्र होना संभव नहीं था। भाग्य का लिखा बदल गया। नारद की भविष्यवाणी को सावित्री ने भाग्य का निर्णय ना मानकर उसे संकेत के रूप में समझा। अपना कर्म किया और पति के प्राण बचा लिए।

आकाश मंडल में ग्रहों की चाल और गति का मानव जीवन पर सूक्ष्म प्रभाव पड़ता है। इस प्रभाव का अध्ययन जिस विधि से किया जाता है उसे ज्योतिष कहते हैं। भारतीय ज्योतिष वेद का एक भाग है। वेद के छ अंगों में इसे आंख यानी नेत्र कहा गया है जो भूत, भविष्य और वर्तमान को देखने की क्षमता रखता है। वेदों में ज्योतिष को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। वैदिक पद्धति पर आधारित भारतीय ज्योतिष फल प्राप्ति के विषय में जानकारी देता है साथ ही अशुभ फलों और प्रभावो से बचाव का मार्ग भी देता है लेकिन पा