राजनीति का तुष्टिकरण या इस्लामीकरण?

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देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं कि देश के विकास संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। वोट के लालच में गरीबों को दरकिनार किया जा रहा, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट तुष्टिकरण का पुलिंदा है। उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय चिन्तित है बिना आदेश लिये आतंकियों की रिहाई हो रही। मुख्यमंत्री 400 से अधिक अपराधियों को छोड़ने की बात कहते है।

केन्द्र की कांग्रेसी सरकार हो या सपा, बसपा सभी आगामी लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं को पटाने के लिए आम जन के अधिकारों की उपेक्षा कर रहे हैं। तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है वोट के लालच में जायज-नाजायज सभी माँगे पूरी की जा रही है जिसके कारण सबके न्याय की आशा ही नहीं की जा सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कहते हैं कि राजनीति में तुष्टिकरण नहीं राजनीति का इस्लामीकरण हो रहा है। आखिर सपा सरकार सभी निर्दोषों पर क्यों नहीं दया कर रही? फास्टट्रैक में मुकदमों की त्वरित कार्यवाई क्यों नहीं कराई जा रही? केवल एक जाति, सम्प्रदाय विशेष के लोग ही फर्जी मुकदमें मे फसाये गये हैं? सर्व समाज के साथ अन्याय क्यों?

आखिर उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आतंकवादियों पर से ही मुकदमे वापस कर उन्हें क्यों छोड़ा जा रहा है ? केवल मुस्लिम लड़कियों को सहायता दी जा रही, हिन्दु लड़कियों का क्या दोष? मुस्लिम अधिकारी एवं आतंकवादी के मरने पर ही लाखों की सहायता, अन्य के मरने पर कोई पूछनेवाला नहीं? दोहरा चरित्र, दोहरा मापदण्ड, राजनीति को धंधा बना रहा है। समाज को बांटने के प्रयास तेज हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार जेलों में बंद मुस्लिम अपराधियों को छोड़ने की जो कवायद कर रही है मुस्लिम अपराधियों को छोड़ भी दिया गया है। सपा सरकार का कहना है उसने चुनावों के समय मुसलमानों से वादा किया था कि वह सत्ता में आने के बाद इन अपराधियों को छोड़ उसे निभा रही है अपने आप को समाजवादी कहने वाले मुलायम सिंह सत्ता पाने के लिए मजहब एवं जातिवाद आधारित राजनीति कर रहे है।मुस्लिमों की सभा में मुस्लिम अपराधियों को छोड़ने की बात कही जाती है आज उत्तर प्रदेश सरकार संविधान तथा न्यायपालिका के विरूद्ध जाकर लगातार अपराधियों को छोड़ने का प्रयास कर रही है। सपा सरकार के लगभग 1 वर्ष के कार्यकाल में लगभग सत्तर साम्प्रदायिक दंगें हो चुके है जिनकी शुरूआत मुसलमानों ने किसी न किसी बहाने को लेकर की, परन्तु इन दंगों में मुस्लिमों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि इन दंगों में पीडित हिन्दू जनता तथा मुस्लिम दंगाईयों और आंतकियों को गिरफ्तार करने वाले कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मियों के ही खिलाफ कार्यवाही की गई। यह सब मुस्लिम वोटों के दबाव में आकर किया गया। दंगा करने वाले मुसलमानों को तो मुआवजे के रुप में लाखों रुपया देकर पुरस्कृत किया गया जिससे इन लोगों के हौसले दिनों दिन बढ़ते जा रहे है।

पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह जिस खालिद मुजाहिद को आतंकी मानते हैं न्यायालय भी कहता है। उसकी मौत पर जो मातम सरकार मना रही है जैसे पुलिस वालों पर कार्रवाही हुई, उनके परिवार को 6 लाख मुआवजा देने सरकार पहुंची। इसका संदेश क्या है?

आजम खां जैसे मुस्लिम नेताओं से घिरे रहकर केवल एक पक्ष की बात करके, घोर साम्प्रदायिकता के व्यवहार से समाजवादी पार्टी जनता को क्या संदेश देना चाहती है? पिछले दिनों दो गुटों की आपसी रंजिश में मारे गये मुस्लिम डीएसपी के परिवारी जनों को दो नौकरी तथा 50 लाख दिए जाते है वहीं दूसरी तरफ सीमा पर शत्रु से लड़ते अपना सिर गवाने वाले हिन्दू सिपाही के परिवार वालों को सिर्फ 2 लाख रुपये दिए जाते है। इसके अतिरिक्त मुस्लिम लड़कियों को 30 हजार रूपये व अन्य विभिन्न योजनाओं द्वारा मुस्लिम समुदाय को लाभान्वित करने के कार्यक्रमों ने पूरे प्रदेश में समाजवादी पार्टी की धर्मनिरपेक्ष छवि को बेनकाब कर दिया है। इस प्रकार समाजवादी पार्टी की एकतरफा मुस्लिम भक्ति के कारण बहुसंख्यक समाज अपने आपको ठगा हुआ महसूस करने लगा है।

मुस्लिम अपराधियों को छोड़ने का प्रयास और अपनी जान पर खेलकर इन अपराधियों को पकड़ने वाले पुलिसकर्मियों को दंडित करने की सोच आखिर क्या है? यदि सपा सरकार का यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश सरकार इन अपराधियों की इच्छा अनुसार चलेगी। इस्लामी आतकंवादियों को ढेरों पुरस्कार देकर उन्हें रिहा कर देगें। दूसरी तरफ सरकार पर दबाव बनाने के लिए सपा प्रायोजित ‘‘रिहाई मंच’’ सपा पर मुसलमानों के उत्पीड़न, मुकदमें वापस न लेने का आरोप लगा सपा को धोखेबाज करार दे रही है। प्रदेश तथा देशवासियों को सोचना होगा कि अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले मुलायम सिंह जब मुस्लिम आधारित राजनीति करके साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दे रहे है जिससे समाज में भेदभाव के कारण साम्प्रदायिक वैमनस्य बढ़ रहा है तो फिर राष्ट्र की एकता व अखंडता कैसे सुरक्षित रह पायेगी। आखिर इस प्रकार की राजनीति समाज को समान रूप से विकास के अवसर कैसे देगी। अगर सबको न्याय देन है तो निष्पक्ष भाव से सबको न्याय दे तुष्टिकरण किसी का नहीं हो अन्यथा इस प्रकार से राजनीति का इस्लामीकरण समाज के लिए घातक होगा?

 

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