महत्वपूर्ण ये है कि हाथ “किसका” काटा गया है… उसके अनुसार कार्रवाई होगी…

-सुरेश चिपलूनकर

अपनी पिछली पोस्ट (केरल में तालिबान पहुँचे, प्रोफ़ेसर का हाथ काटा) में मैंने वामपंथियों के दोहरे चरित्र और व्यवहार के बारे में विवेचना की थी… इस केस के फ़ॉलो-अप के रूप में आगे पढ़िये…

बात शुरु करने से पहले NDF के बारे में संक्षेप में जान लीजिये –

1) केरल के जज थॉमस पी जोसफ़ आयोग ने अपनी विस्तृत जाँच के बाद अपनी रिपोर्ट में “मराड नरसंहार” (यहाँ पढ़िये https://en.wikipedia.org/wiki/Marad_massacre) के मामले में NDF और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को दोषी पाया है। इसी रिपोर्ट में उन्होंने उदारवादी और शांतिप्रिय मुस्लिमों पर भी NDF के हमले की पुष्टि की है और कहा है कि यह एक चरमपंथी संगठन है।

2) भाजपा तो शुरु से आरोप लगाती रही है कि NDF के रिश्ते पाकिस्तान की ISI से हैं, लेकिन खुद कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने NDF की गतिविधियों को संदिग्ध मानकर रिपोर्ट की है। 31 अक्टूबर 2006 को कांग्रेस ने मलप्पुरम जिले में आतंकवाद विरोधी अभियान की शुरुआत की और वाम दलों, PDP (पापुलर डेमोक्रेटिक पार्टी) और NDF पर कई गम्भीर आरोप लगाये।

3) बरेली में पदस्थ रह चुकीं वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी नीरा रावत ने जोसफ़ आयोग के सामने अपने बयान में कहा है कि उनकी जाँच के मुताबिक NDF के सम्बन्ध पाकिस्तान के ISI और ईरान से हैं, जहाँ से इसे भारी मात्रा में पैसा मिलता है। इसी प्रकार एर्नाकुलम के ACP एवी जॉर्ज ने अदालत में अपने बयान में कहा है कि NDF को विदेश से करोड़ों रुपया मिलता है जिससे इनके “ट्रेनिंग प्रोग्राम”(?) चलाये जाते हैं। NDF के कार्यकर्ताओं को मजदूर, कारीगर इत्यादि बनाकर फ़र्जी तरीके से खाड़ी देशों में भेजा जाता है, और यह सिलसिला कई वर्ष से चल रहा है। (यहाँ देखें… https://www.indianexpress.com/oldStory/70524/)

4) 23 मार्च 2007 को कोटक्कल के पुलिस थाने पर हुए हमले में भी NDF के 27 कार्यकर्ता दोषी पाये गये थे।

5) NDF के कार्यकर्ताओं के पास से बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों की सीडी और पर्चे बरामद होते रहते हैं, जिनका उपयोग करके ये औरों को भड़काते हैं।

6) 29 अप्रैल 2007 को पाकिस्तान के सांसद मोहम्मद ताहा ने NDF और अन्य मुस्लिम संगठनों के कार्यक्रम में भाग लिया और गुप्त मुलाकातें की। (यहाँ देखें… https://www.hindu.com/2007/04/29/stories/2007042900971100.htm)

7) यह संगठन “शरीयत कानून” लागू करवाने के पक्ष में है और एक-दो मामले ऐसे भी सामने आये हैं जिसमें इस संगठन के कार्यकर्ताओं ने मुसलमानों की भी हत्या इसलिये कर दी क्योंकि वे लोग “इस्लाम” के सिद्धान्तों(??) के खिलाफ़ चल रहे थे। पल्लानूर में एक मुस्लिम की हत्या इसलिये की गई क्योंकि उसने रमज़ान के माह में रोज़ा नहीं रखा था।

वामपंथियों द्वारा पाले-पोसे गये इस “महान देशभक्त” संगठन के बारे में जानने के बाद आईये इस केस पर वापस लौटें…

प्रोफ़ेसर टीजे जोसफ़ पर हुए हमले ने केरल पुलिस को मानो नींद से हड़बड़ाकर जगा दिया है और इस हमले के बाद ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए केरल पुलिस ने 9 जुलाई को पापुलर फ़्रण्ट के एक कार्यकर्ता(?) कुंजूमोन को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत गिरफ़्तार किया, कुंजूमोन के घर से बरामद की गई कार में तालिबान और अल-कायदा के प्रचार से सम्बन्धित सीडी और लश्कर-ए-तोईबा से सम्बन्धित दस्तावेज लैपटॉप से बरामद किये गये। राज्य पुलिस ने कहा है कि प्रोफ़ेसर के हाथ काटने वाले दोनों मुख्य आरोपियों जफ़र और अशरफ़ से कुंजूमोन के सम्बन्ध पहले ही स्थापित हो चुके हैं। इसी प्रकार पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए NDF के ही एक और प्रमुख नेता अय्यूब को अलुवा के पास से 10 जुलाई को गिरफ़्तार कर लिया है और उसके पास से भी हथियार और NDF का अलगाववादी साहित्य बरामद किया है।

https://www.asianetindia.com/news/pfi-leader-kunhumon-booked-antiterror-laws_171699.html

पाठक सोच रहे होंगे, वाह… वाह… क्या बात है, केरल की पुलिस और वामपंथी सरकार अपने कर्तव्यों के प्रति कितने तत्पर और मुस्तैद हैं। प्रोफ़ेसर पर हमला होने के चन्द दिनों में ही मुख्य आरोपी और उन्हें “वैचारिक खुराक” देने वाले दोनों नेताओं को गिरफ़्तार भी कर लिया… गजब की पुलिस है भई!!! लेकिन थोड़ा ठहरिये साहब… जरा इन दो घटनाओं को भी पढ़ लीजिये…

1) अप्रैल 2008 में रा स्व संघ के एक कार्यकर्ता बिजू को NDF के कार्यकर्ताओं ने दिनदहाड़े त्रिचूर के बाजार में मार डाला था। कन्नूर, पावारत्ती आदि इलाकों में RSS और NDF के कार्यकर्ताओं में अक्सर झड़पें होती रहती हैं, लेकिन वामपंथी सरकार के मूक समर्थन की वजह से अक्सर NDF के कार्यकर्ता RSS के स्वयंसेवकों को हताहत कर जाते हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

2) कन्नूर जिले के संघ के बौद्धिक प्रमुख श्री टी अश्विनी कुमार जो कि सतत देशद्रोही तत्वों के खिलाफ़ अभियान चलाये रहते थे, उन्हें भी NDF के चरमपंथियों ने कुछ साल पहले सरे-बाज़ार तलवारों से मारा था और जो लोग अश्विनी की मृतदेह उठाने आये उन पर भी हमला किया गया। उस समय तत्कालीन वाजपेयी सरकार और गृह मंत्रालय ने केरल में NDF की संदिग्ध गतिविधियों की विस्तृत रिपोर्ट केन्द्र को सौंपने को कहा था, लेकिन वामपंथी सरकार ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया, क्योंकि उन्हें चुनाव जीतने के लिये NDF और मुस्लिम लीग की आवश्यकता पड़ती रहती है।

जैसा कि पहले भी कहा गया है माकपा को मुस्लिम वोटों की भारी चिंता रहती है, हाल ही में माकपा ने अपनी राज्य कांग्रेस की बैठक मलप्पुरम में रखी थी जो कि 80% मुस्लिम बहुलता वाला इलाका है। माकपा के राज्य सचिव अक्सर मुस्लिमों के धार्मिक कार्यक्रमों में देखे जाते हैं (फ़िर भी इस बात की रट लगाये रहते हैं कि कम्युनिस्ट धर्म के खिलाफ़ हैं, यानी कि “धर्म अफ़ीम है” जैसे उदघोष से उनका मतलब सिर्फ़ “हिन्दू धर्म” होता है, बाकी से नहीं), तो फ़िर अचानक केरल पुलिस इतनी सक्रिय क्यों हो गई है? जवाब है “हाथ किसका काटा गया है, उसके अनुसार कार्रवाई होगी…” पहले तो संघ कार्यकर्ताओं के हाथ काटे जाते थे या हत्याएं की जा रही थीं, लेकिन अब तो “तालिबानियों” ने सीधे चर्च को ही चुनौती दे डाली है। पहले तो वे “लव जेहाद” ही करते थे और ईसाई लड़कियाँ भगाते थे, पर अब खुल्लमखुल्ला एक ईसाई प्रोफ़ेसर का हाथ काट दिया, सो केरल पुलिस का चिन्तित होना स्वाभाविक है। मैं आपको सोचने के लिये विकल्प देता हूं कि पुलिस की इस तत्परता के कारण क्या-क्या हो सकते हैं –

1) केरल पुलिस के अधिकतर उच्च अधिकारी ईसाई हैं, इसलिये? या…

2) एक अल्पसंख्यक(?) ने दूसरे अल्पसंख्यक(?) पर हमला किया, इसलिये? या…

3) एक “अल्पसंख्यक” मनमोहन सिंह का प्यारा है (यानी “देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है…” वाला ब्राण्ड) और जिसका हाथ काटा गया वह “अल्पसंख्यक”, सोनिया आंटी के समुदाय का है (एण्डरसन, क्वात्रोची ब्राण्ड), इसलिये? या…

4) कहीं करोड़ों का चन्दा देने वाले, “चर्च” ने माकपा को यह धमकी तो नहीं दे दी, कि अगले चुनाव में फ़ूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी… इसलिये?

बहरहाल, जो भी कारण हों, प्रोफ़ेसर टी जोसफ़ के मामले में त्वरित कार्रवाई हो रही है, खुद राज्य के DGP जोसफ़ के घर सांत्वना जताने पहुँच चुके हैं, गिरफ़्तारियाँ हो रही हैं… अब्दुल नासिर मदनी के साथ दाँत निपोरते हुए फ़ोटो खिंचवाने वाले माकपा नेता पिनरई विजयन अब कह रहे हैं कि NDF एक साम्प्रदायिक संगठन है, माकपा इस मामले को गम्भीरता से ले रही है और इसकी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजी जा रही है… तात्पर्य यह है कि जोसफ़ का हाथ काटने के बाद बहुत तेजी से “काम” हो रहा है।

जिस “तालिबानी” NDF कार्यकर्ता कुंजूमान को केरल पुलिस ने अब आतंकवादी कहकर गिरफ़्तार किया है, इसी कुंजूमान पर RSS के कार्यकर्ता कलाधरन के हाथ काटने के आरोप में केस चल रहा है… चल रहा है और चलता ही रहेगा… क्योंकि कार्रवाई यह देखकर तय की जाती है कि “हाथ किसका काटा गया है…”…

यह है “वामपंथ” और “धर्मनिरपेक्षता” (सॉरी… बेशर्मनिरपेक्षता) की असलियत!!!!!!

8 COMMENTS

  1. भाई सुरेश जी सच को समझने की सामर्थ्य और सच कहने के अदम्य साहस के लिए आप को साधुवाद और आपका अभिनन्दन.
    इन दानवी ताकतों के अंत का समय अब निकट ही है, हालत इसके साक्षी हैं.आप डेट रहें, यश मिल कर रहेगा.

  2. बहुत अच्छा लिखा आपने

    तिवारी जी आप पर हंसी आती है जब आप लेफ्ट के बारे में इमानदार और देशभक्ति लिखते है लेकिन आज सभी को पता है लेफ्ट की असलितय क्या है ढोल पीटने से झूट सत्य नहीं होता है.तो आप प्लेअसे देश के बारे भी सोंचे उम्र में आप बड़े है लेकिन देश प्रेम में नहीं दीखते है
    —-

  3. तिवारी जी, कोई व्यक्तिगत कटाक्ष नहीं मगर बस एक बात रखने की इच्छा है की इन्सान की जिंदगी और जरूरतों को इंसानियत की नजर से देखने की कोशिश कीजिये, राजनीती की नजर से नहीं क्यूंकि इतनी समझ हर किसी में हैं की क्या सही हो रहा है और क्या गलत. अच्छे व बुरे का प्रभाव हर किसी पर होता है, आखिर यह देश हम सभी का है और इससे जुडी हर बात हमारी जिंदगी को सीधे सीधे असर करती है. कोई भी १००% पूर्ण नहीं होता मगर उसी १००% में कोई समाज को बेहतर रूप देने की कोशिश करता है और कोई अपने आदर्शों की दीवार में सबको बंद कर देता है. इसलिए बेहतर हो अगर हम सही गलत के बीच सही का साथ दें और वक़्त के साथ गलत को सही के दवाब में बंधने की कोशिश करें. इश्वर हमें सही रह पर बढ़ने की समझ दे. इसी विश्वाश के साथ – जयहिंद.

  4. ये वामपंथी बेशर्म हैं. इन्हें हिंद महासागर में डुबो देना चाहिए. इनसे कुछ आशा करना मुर्खता होगी. केरल को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया है. इस प्रदेश की यही नियति है? इस्लामी उफान को कौन रोक सकता है? rss अकेले अपने मजबूत कन्धों से जूझ रहा है. लेकिन कब तक? ईश्वर rss को शक्ति प्रदान करे. केरल और कश्मीर धीरे धीरे भारत के हाथ से निकलते जा रहे हैं. अब सिर्फ सैन्य ताकत के बल पर ऐसे राज्यों को भारत के अन्दर रखा जा सकता है. दूसरी क़तर में राज्य नजर आयेंगे. असम, नोर्थ ईस्ट के सभी राज्य उ. प. , बिहार, प. बंगाल आदि. ये सब राज्य धीरे धीरे भारतीय गणराज्य से बाहर होने का प्रयास करेंगे.

  5. चिपूलकर जी आपने सही इन नास्तिक मार्क्सवादियों को पर सटीक टिपण्णी की है. मुझे मुस्लिमों से ये अपेक्षा तो नहीं है की वो हाथ न काटें. भाई हाथ है तो काटने ke liye hi bani है! kuraan me तो baat baat me हाथ काटने ka jikra है. lekin voton ke liye ये kisi bhi had tak gir sakte hain. yahan do nyay parilakshit hota है ek kamjoron ke liye aur ek takatvar ke liye. abhi musalmanon को kadi chunauti milegi kyonki unhone is baar hamle ka shikar kisi neerih को नहीं balki ek takatvar sanstha को banaya है. ham तो भई tamasha dekhne wale hain dekhte hain ab kya hota है. waise bhi kamjor vyakti tamasha dekhne ke atirikta aur kar bhi kya sakta है?

  6. ghatna vishesh par purvagrh se yukt hokarvasi khabre parosna band karo.chita mat karo communist to vakai keral west bengal tatha tripura men bhi dhude nahin milenge .fir prashn yeh hai ki ek lomharshak ghatna par hi itne aansu kyon bahaye jarahe hain hamare bhjpa shashit m p men to har gali mohalle men men ensa roj ho raha hai .vishwash na ho to m p ke kisi rss karykarta se hi punchh lo.jahan tak keral ke rajnetik dhurbikaran ka prshn hai to ye to KG ka bachcha bhi jaanta hai ki kisisi bhi dharam mazhab ka sanghthan left front ke saath nahin hai .RSS bhajpa ke saath hai. christian to jahir hai antony aur sonia ji ke sath hain.ye to aap bhi apne aalekh men vyngatmak roop se kah chuke hain.raha keral ke musalmano ka to we तो khud kah rahe ki we kisi ko nahin jante sirf muslim leeg ke bahane chunav men takat dikhate hain.left ke sath sirf padhe लिखे imandar dharm nirpeksh aavam hi hai.sare samprdayik tatw एक ही thaili ke chatte btte hai .sarvhara varg ko मजहवी log aapas men baantkar shoshan ka chak jari rakhne men punjeepatiyon aur dharam ke thekedaron ki bhadeti kar rahe hain.

  7. वाकई इन वामपंथियों को पता नहीं शर्म नाम की चीज होती है या नहीं ? या इन्हें बस भगवन ने हिन्दू धर्म का विरोध करने के लिए ही पैदा किया है |
    पर चिंता की कोई बात नहीं ये भारत से तो बेशक धीरे-धीरे ख़त्म हो रहे हैं पर बाकि विश्व में बहुत तेजी से इनका बीज ख़त्म हो रहा है |
    और शायद अब अगले कुछ सालों में ये केवल नक्सल वादियों के रूप में ही रह जायेंगे और सब ख़त्म हो जायेंगे |

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