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यह आस्था बनाम कानून नहीं, यह कानून द्वारा आस्था का अनुमोदन है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-लालकृष्‍ण आडवाणी मैंने अपने जीवन के शुरु के बीस वर्ष कराची में बिताए। इस दौरान मैं दो ही भाषाओं को जानता था एक मेरी मातृभाषा सिंधी और दूसरी अंग्रेजी, जिसमें मेरी पढ़ाई हुई। फिल्मों के प्रति मेरे शौक के चलते मैं हिंदी कुछ-कुछ समझ लेता था और टूटी-फूटी बोल भी…