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ये जो अदृश्य है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रमोद भार्गव ऊं भूर्भव: तत्सवितुवरेण्यं भर्गोदेवस्य... ''ओह ! माँ का फिर फोन...'' बकुल गुड़गाँव जाने के लिए तैयार होते हुए चहकी। माँ की तीन साल से बरकरार वही चिरंतन चिंता..., 'उम्र फिसल रही है। पीयूष यदि पसंद है तो उसकी रजामंदी लेकर अंतिम फैसला ले...। अन्यथा वे कहीं और लड़का…