ऐसा था सुभाष हमारा । ऐसा था सुभाष हमारा ।।
महल और चौबारा छोड़ा
तख्त ताज मीनारा छोड़ा।
निज मन का बंधन तोड़ा
अपना सुख वैभव छोड़ा।।1।।ऐसा था …..
भारत मां के चरणों में
रणभेरी का तान छोड़ा।
तन पर खाकी पहन लिया
सिविल की नौकरी छोड़ा।। 2।।ऐसा था…….
दुश्मन से टक्कर लेकरके
’जयहिन्द’ का नाद छोड़ा।
वह यहां रहा वह वहां रहा
जहां गया पहुंचा ना थोड़ा।। 3।। ऐसा था……
वह मांगा खून देश खातिर
सब कोई दो थोड़ा थोड़ा।
बदले में आजादी का वादा
सबसे मांगा और जोड़ा।। 4।। ऐसा था…….