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ऐसा था सुभाष हमारा - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
ऐसा था सुभाष हमारा । ऐसा था सुभाष हमारा ।। महल और चौबारा छोड़ा तख्त ताज मीनारा छोड़ा। निज मन का बंधन तोड़ा अपना सुख वैभव छोड़ा।।1।।ऐसा था ..... भारत मां के चरणों में रणभेरी का तान छोड़ा। तन पर खाकी पहन लिया सिविल की नौकरी छोड़ा।। 2।।ऐसा था....... दुश्मन…