जनगणना के अंतर्गत जातिगणना सामाजिक समरसता एवम एकात्मता के प्रयासों को दुर्बल करेगी – रा.स्‍व.संघ

सरकार्यवाह श्री. भैया जी जोशी की नागपुर में 23/5/2010, रविवार को दोपहर में हुई प्रेसवार्ता का शब्दांकन

अभी इस समय जनगणना की तैयारी चल रही है। इसमें दो-तीन विषय हैं, जिन्हें मैं आपके सामने रखना उचित समझता हूँ। एक, इसी समय नेशनल पापुलेशन रजिस्टर बनाने की बात शुरू हुई है, यह तो बनेगा पर इसमें जो विदेशी नागरिक भारत के अन्दर बसते हैं, अवैध रूप से बसे हुए हैं, उनकी जानकारी भी इसमें आने की संभावना है। संघ का निवेदन है कि, माँग है सरकार के सामने कि इस नेशनल पापुलेशन रजिस्टर को और जो बहुउद्देश्यीय पहचान पत्र दिया जायेगा उसके लिए इसे आधार न मानें। 2003 में उस समय की सरकार ने एक नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजन्स तैयार करने का निर्णय किया था, हमारी माँग है कि उसी को लागू किया जाये। और यह जो पहचान पत्र दिया जायेगा, जो नागरिकता का कानून है उसको आधार बनाकर ही दिया जाये। अन्यथा सम्भावना है कि बहुत से विदेशी नागरिकों को भी पहचान पत्र मिलेगा। इससे, हमें लगता है कि देश की अखण्डता और सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है, खतरा बन सकता है।

उसी के साथ-साथ एक और विषय जो मैं आपके सामने रखना उचित समझता हूँ कि जनगणना में जातिगणना की माँग भी चल रही है। अपने जो संविधान निर्माता डा. बाबा साहब अम्बेडकर जी और उनके समान ही विचार करने वाले लोगों ने जातिविहीन समाज की कल्पना की है। इस प्रकार जाति आधारित गणना उस भावना को छेद देने वाली है, ऐसा लगता है। संविधान ने आरक्षण के संदर्भ में- शेड्यूल्ड कास्ट्स, शेड्यूल्डस ट्राइब्स, यह जो सूत्र दिये हैं, इस प्रकार की जाति आधारित गणना करने से उन सूत्रों को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता रहेगी तो ऐसा निर्णय होगा। हम अनुभव करते हैं कि कई प्रकार की संस्थाओं के द्वारा, व्यक्तियों के द्वारा, संगठनों के द्वारा सामाजिक समरसता और एकता बनाये रखने के लिए कई प्रकार के प्रयास चल रहे हैं। हमारा मानना है कि इस प्रकार की गणना करने से उन सारे प्रयत्नों को दुर्बलता होगी। इसलिए इस संदर्भ में भी बहुत कुछ विचार करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम पहले से ही जाति भावना से ऊपर उठकर समाज विचार करे, संगठित हो, ऐसा रहा है। समग्र समाज का संगठन करने का काम कई वर्षों से रहा है। उसमें हम मानते हैं कि इस प्रकार की भावनाएँ यदि विकसित होती हैं। तो कुल मिलाकर यह सामाजिक ताना-बना खतरे में आ सकता है। ठीक है कि हिन्दू समाज का ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ जिसको माना जाता है, जिसे ओ. बी. सी. कहा जाता है, उनके आरक्षण के संदर्भ में जो प्रावधान करने की बात है, उस पर अलग प्रकार से विचार हो, उसके मानदण्ड अलग से निर्धारित किए जायें। आज सारे देश में उसमें कोई समानता है, ऐसा दिखाई नहीं देता है। तो इस संदर्भ में भी बहुत गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता ध्यान में आती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाते, हमारी मांग है कि इसकी राष्ट्रीय स्तर पर बहस हो। भिन्न-भिन्न प्रकार के यह प्रश्न सामाजिक सद्भाव के प्रश्न हैं, सामाजिक जीवन से जुड़े हुए प्रश्न हैं और इसलिए भिन्न-भिन्न प्रकार के सामाजिक समूहों से भी इसकी एक व्यापक बहस चलनी चाहिए, विचार-विमर्श होना चाहिए। और कोई भी निर्णय करने के पूर्व ऐसी सारी प्रक्रिया हो और उसके बाद निर्णय होना उचित रहेगा, ऐसा संघ मानता है। विशेष रूप से दो बातें, नेशनल पापुलेशन रजिस्टर बनाते समय विदेशी नागरिकों के संदर्भ में, उनके पहचान का प्रावधान नहीं है, तो निश्चित किया जाए। और मल्टी परपज आइडेन्टिटी कार्ड को देते समय भी इस पर विचार होना चाहिए। कानून बना हुआ है 2003 में, उसको ध्यान में लाकर इसको लागू करें और उसके आधार पर ही पहचान पत्र देना चाहिए। और जाति के बारे में अपनी बातें मैंने आपके सामने रखी।

प्रश्न 1. कुछ संघ परिवार के लोग हैं, वह बढ़चढ़कर ऐसी डिमांड कर रहे हैं। …………… गोपीनाथ मुंडे जो हैं ………….?

उत्तर – राजनैतिक दल क्या सोचें और क्या कहें……… मैंने संघ की राय आपके सामने रखी।

प्रश्न 2. अपने जो लोग हैं, पोलिटिकल आर्डर में, उन तक विचार नहीं पहुँचा है ?

उत्तर – उनकी अपनी एक सोच है, उनका एक राजनैतिक क्षेत्र है, उसमें वे जैसा चाहें, उचित समझें, करें।इन प्रश्नों को उनके सामने रखा जायेगा। हमने आज तक, संघ की जो रीति है, संघ की जो सोच है, उसको आपके सामने रखा है। हम चाहते हैं कि देश इसके कारण, समरसता और एकात्मता के जो प्रयास हैं, जातिविहीन समाज की जो कल्पना है, उसको इसके कारण ठेस पहुँचने वाली है।

प्रश्न 3. इस सामाजिक सच्चाई को आप स्वीकार करेंगे कि आज भी समाज में विवाह आदि संबंध लेके तमाम चीजें जाति के आधार पर ही होती हैं। आजादी के बाद भी जातियों को लेकर डेमोग्राफी हुई है, उसमें OBC को लेकर आँकड़े अलग-अलग हैं। सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में यह कह चुका है कि हमारे पास इसका कोई एक फिगर नहीं है, तो अगर कोई एक्जैक्ट साइंटिफिक फिगर निकाली जाती तो उसमें क्या विरोध हो सकता है?

उत्तर – हमारा विरोध नहीं। मैंने कहा है इसमें कि, इसके बारे में भिन्न भिन्न प्रकार की बहस हो और सामाजिक समूहों की राय इसमें ली जाए और फिर इसका निर्णय करें। हमने कहा है कि मापदण्ड निर्धारित किए जायें, OBC के आरक्षण के विरोध का तो सवाल ही नहीं आता।

प्रश्न 4. कास्ट -बेस्ड सेंसस नहीं होना चाहिए ये आपका कहना है ?

उत्तर – हाँ, कास्ट-बेस्ड नहीं होना चाहिए । ओ. बी. सी. का मतलब ही ‘अदर बैकवर्ड क्लास’ है तो क्लास के आधार पर ही इसे सेटल्ड भी किया जाए, इस पर विचार किया जाए।

प्रश्न 5. सेंसस की तैयारी चली, यह चालू भी हो गई, एक राउंड हो भी रहा है, आप इतना लेट अभी …….. संघ इतना ……..?

उत्तर – इसकी बहस अभी शुरू हुई है। 1930 से लेकर आज तक कभी कास्ट को लेकर सेंसस नहीं हुआ है, पहली बार यह मांग उठी है। जब पहली बार यह मांग उठी……

प्रश्न 6 नहीं, SC, ST, तो पूछा जाता है …..

उत्तर – तो उतना ही, ………., कैटेगरी ही पूछी है, कास्ट नहीं पूछी। शेड्यूल्ड कास्ट पूछा है, शेड्यूल्ड ट्राइब पूछा है, उसका कोई संबंध नहीं है। आज सभी की जातियाँ जानने की कोशिश हो रही है।

प्रश्न 7 संसद में यह बात निकली है, पार्टीयों में कन्सेन्सस हो गया है। उसके काफी दिन बाद, एक महीने बाद यह….?

उत्तर – उसमें दो प्रकार के ओपिनियन आ रहे हैं। कोई विरोध करने वाले भी उसी प्रकार खड़े हैं, सभी दलों में से हैं। कास्ट के अनुसार जनगणना करना, उसका विरोध करने वाले भी हैं।

प्रश्न 8. मैं सीधे-सीधे एक प्रश्न यह पूछना चाहता हूँ कि क्या भा. ज. पा. से चर्चा हुई है, नहीं हुई है तो क्या चर्चा कर रहे हैं?

उत्तर – भा. ज. पा. से इस बारे में चर्चा करने की हमको बहुत ज्यादा आवश्यकता है। संघ ने इस बारे में जो सोचा है, प्रारंभ से जो चिंतन हमारा है, उसको मैंने आपके सामने रखा।

प्रश्न 9. आपका अर्थ है कि केवल कैटेगरी पूछी जाये? एस. सी., एस. टी …………?

उत्तर – एस. सी., एस. टी. पूछने का तो विरोध है ही नहीं, वह संविधान में दिया हुआ अधिकार है। उसके बारे में स्थिति स्पष्ट है।

प्रश्न 10. एस. सी., एस. टी. , ओ. बी. सी. पूछने का विरोध नहीं ? …

उत्तर – हाँ, ओ. बी. सी. का कोई स्टैण्डर्ड कहाँ बना हुआ है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग जातियाँ हैं। किस आधार पर ओ. बी. सी. का काउंटिंग किया जाये? उसका कोई निर्धारण नहीं किया है। इसलिये हमने माँग की है कि जरा इसके मानदण्ड निर्धारित करें और बाद में करें।

प्रश्न 10. मानदण्डों के बारे में आपका कोई सुझाव है क्या?

उत्तर – नहीं हमारा कोई सुझाव नहीं है। जब चर्चा चलेगी, तब इसके बारे में सोचकर बतायेंगे।

प्रश्न 11. यानि आप कहते हैं कि पहले बहस हो, उसमें जो निकले, उस पर ही?

उत्तर – उसी से। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी बहस होनी चाहिए। इस प्रकार के बड़े कार्य की बात आप करने जा रहे हो और इसकी चर्चा कहीं पर नहीं हुई है। हमारी इच्छा है, हमारी अपेक्षा है कि शासन राष्ट्रीय स्तर पर इसकी बहस चलाये, भिन्न-भिन्न प्रकार के सामाजिक समूहों से चर्चा करे। विचार-विमर्श करके इस बारे में निर्णय हो। उचित वही होगा, सबकी राय ली जाये।

प्रश्न 12. एक दूसरा मुद्दा है, अवैध रूप से बसे हुए विदेशी नागरिकों को पहचान पत्र देने का प्रावधान नहीं है, इसमें ओरिजिनल एक्ट है और एक आई. एम. डी. टी. एक्ट भी है?

उत्तर – नहीं, यह जो नेशनल पापुलेशन रजिस्टर बन रहा है, उसमें नहीं है। उसके आधार पर वह आइडेन्टिटी कार्ड देते हैं तो समस्या है। आइडेन्टिटी कार्ड देते समय इस पर विचार किया जाय।

प्रश्न 13. अवैध रूप से आकर बसे हुए जो लोग हैं, 3.5 करोड़ – 4 करोड़ उनकी संख्या बतायी जाती है?

उत्तर – सभी आज इसको स्वीकार करते हैं कि बहुत से अवैध विदेशी नागरिक हैं भारत में। उनकी भी इसमें अगर …….. नेशनल सिटिजन्स में आ जाते हैं तो खतरा है। चलिए, धन्यवाद आपका।

2 COMMENTS

  1. thanks Bhaiyya ji for puting the views of RSS on this issue in simple words. Mostly RSS views are put by the media in didtorted manner. Please keep talking to press so that your views and its basis / reasoning/ logics can be understood other wise sonia with the help of people like laoo, diggi babu and manu singhvi will keep spreading rumors

  2. संघ की सही ,स्पष्ट सोच सामने आई है. देशभक्त भारतीयों को बिना किसी पूर्वाग्रह के इसे समझना -विचारना चाहिए. देश विरोधी तो हमें भ्रमित करके दुर्बल बनाना चाहते हैं, बनाते आये हैं.
    इतिहास गवाह है की सरकार की नीतियाँ सदा ही देश को कमजोर बनाने और बारबाद करने वाली साबित होती आई हैं. अतः जाती आधारित जनगणना का इस्तेमाल देश को तोड़ने के लिए किये जाने का शक किया जारहा है तो गलत नहीं.

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